गोरखपुर: नीति, नियम और सिद्धांत की बात करने वाले बीआरडी मेडिकल कॉलेज, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, नगर निगम समेत गोरखपुर परिक्षेत्र के 100 से अधिक संस्थान ऐसे हैं, जो अपने कर्मचारियों के भविष्य निधि अंशदान की रकम, आयुक्त भविष्य निधि कार्यालय में जमा नहीं कर रहे. यह खेल सालों से चल रहा है. समीक्षा में आयुक्त ने जब इन संस्थानों की गड़बड़ी को पकड़ा तो इनके खिलाफ नोटिस जारी कर 15 दिन के भीतर जवाब देने के लिए कहा है. आयुक्त ने कहा है कि अगर जल्द से जल्द संस्थान कर्मचारियों की भविष्य निधि अंशदान जमा नहीं करते हैं तो सख्त कार्रवाई की जाएगी. नोटिस जारी होने से इन संस्थानों में हड़कंप मच गया है. इसमें नगर पालिका परिषद पडरौना और 10 जिलों में ग्राम विकास विभाग के मनरेगा में भी गड़बड़ी मिली हैं.
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गोरखपुर परिक्षेत्र कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के आयुक्त शशांक जायसवाल ने ईटीवी भारत को बताया कि कर्मचारियों का भविष्य निधि अंशदान जमा न करना एक बड़ा अपराध है. इसको लेकर संस्थानों को नोटिस जारी किया गया है. तय समय में नोटिस का जवाब नहीं मिलने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि कुछ संस्थाएं वित्तीय अभाव में भविष्य निधि अंशदान नहीं जमा कर रही हैं. वहीं कुछ संस्थाएं पैसा होने के बाद भी मनमानी कर रही हैं और धन को रोक कर रख रही हैं. अब नोटिस के जवाब का इंतजार है. अंशदान की धनराशि करोड़ों में है. इससे हजारों की संख्या में कर्मचारी का हित प्रभावित हो रहा है, जो उचित नहीं है. दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय समेत गोरखपुर परिक्षेत्र के 100 से अधिक संस्थानों को नोटिस जारी कर क्षेत्रीय कर्मचारी भविष्य निधि कार्यालय की ओर से चेतावनी दी गई है. नोटिस का 15 दिन में जवाब न देने वाले संस्थानों के खिलाफ वसूली के लिए देय निर्धारण प्रक्रिया शुरू की जाएगी. इसके बाद वारंट भी जारी किया जाएगा. ईपीएफओ के वसूली अधिकारी को ऐसे लोगों की गिरफ्तारी करने का अधिकार है.
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के आउटसोर्सिंग कर्मचारियों का करीब 10 करोड़ रुपये अंशदान का बकाया है. वहीं बलिया, देवरिया, कुशीनगर, गोरखपुर, महाराजगंज, संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच में स्थित शैक्षिक संस्थान, विश्वविद्यालय, चीनी मिल, विद्यालय, महाविद्यालय और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों (शोरूम, दुकान, मॉल आदि) के प्रमुखों को नोटिस दिया गया है. इन्हें बताया गया कि संस्थान कर्मचारी भविष्य निधि और प्रकीर्ण अधिनियम, 1952 के अंतर्गत आते हैं. लेकिन, संस्थान कर्मचारियों के भविष्य निधि का अंशदान नहीं जमा कर रहे हैं. कुछ संस्थान सभी कर्मचारियों की जगह कुछ कर्मचारियों का ही अंशदान जमा कर रहे हैं. मनरेगा में आउटसोर्सिंग पर रखे गए कर्मचारियों का भी अंशदान नहीं जमा हो रहा है. जानकारी होने के बाद भी संस्थानों द्वारा बड़ी लापरवाही की जा रही है. फिलहाल, नोटिस का जवाब और अंशदान जमा होने का इंतजार है, नहीं तो कार्रवाई होनी तय है.
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