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गोण्डा: जब किसी ने नहीं सुनी गांव वालों की समस्या तो खुद ही बना लिया लकड़ी का पुल

उत्तर प्रदेश के गोण्डा जिले में पुल के लिए तरसे ग्रामीणों ने खुद से ही लकड़ी का पुल बना डाला. नाले को पार करने में गांव वालों को परेशानी होती थी. वहीं स्कूली बच्चों को भी नाव से आना-जाना पड़ता था. ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा करके बांस और बल्ली का पुल बना दिया.

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Published : Sep 3, 2019, 9:59 AM IST

ग्रामिणों ने किया पुल का निर्माण

गोण्डा: आजादी के 70 वर्षों के बाद भी ग्रामीण एक पुल के लिए तरस रहे है. जिले के ग्रामीणों ने चंदे इकट्ठा करके लकड़ी का पुल बनाया और अब यह चर्चा का विषय बन हुआ है. परसौली गांव में एक विशाल नाले को पार करने के लिए गांव वालों को काफी समस्या होती थी. स्कूली बच्चों को भी इसे पार करने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता था जो काफी खतरनाक था. ऐसे में स्वयं से ही गांव वालों ने लकड़ी का पुल बना डाला, जिससे उनके रास्ते की दूरी भी काफी कम हो गयी है.

ग्रामीणों ने किया पुल का निर्माण.

इसे भी पढ़ें:- गोण्डा: कजरी तीज पर श्रद्धालु करेंगे महादेव का जलाभिषेक, प्रशासन ने की तैयारियां

ग्रामीणों ने बनाया लकड़ी का पुल

  • देश के प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री जहां मेट्रो, इलेक्ट्रिक वाहनों एवं समुंदर के भूतल में बुलेट ट्रेन चलाने की वकालत करते है.
  • वहीं ऐली परसौली के माझा बंधे के लोग गहरे और चौड़े नाले को पार करने के लिये चंदे से पुल बना कर आवागमन कर रहे हैं.
  • यहां के लोग नाव के सहारे नवाबगंज बाजार आते-जाते थे और बच्चों का भी स्कूल नाव से ही आना-जाना होता था.
  • इससे काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था.
  • ग्रामीणों ने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से इस नाले पर पुल बनाने की मांग की गई थी लेकिन अनदेखा कर दिया जाता था.
  • ग्रामीणों ने एक जुटता दिखाते हुए चंदा इकट्ठा करके लगभग दो लाख की लागत से लकड़ी के पुल का निर्माण कर लिया है.
  • अब ग्रामीणों को नाव से आने जाने और देरी का रिस्क नही उठाना पड़ता है.
  • ग्रामीण बांस, बल्ली के पुल से पैदल, साइकिल, मोटर साइकिल से आते जाते है.

आयुक्त, डीआईजी, तहसीलदार पूरे अमले के साथ गांव में बाढ़ में समाएं हुए स्कूल का निरीक्षण करने आ चुके है. प्रशासन को ये लकड़ी का पुल नहीं दिखाई पड़ता. ग्रामीणों ने बताया कि प्रशासन और जन प्रतिनिधियों से पुल बनवाने की मांग की गई थी. सभी ने अनसुना कर दिया तो ग्रामीणों ने चंदे से पुल का निर्माण कर लिया.

गोण्डा: आजादी के 70 वर्षों के बाद भी ग्रामीण एक पुल के लिए तरस रहे है. जिले के ग्रामीणों ने चंदे इकट्ठा करके लकड़ी का पुल बनाया और अब यह चर्चा का विषय बन हुआ है. परसौली गांव में एक विशाल नाले को पार करने के लिए गांव वालों को काफी समस्या होती थी. स्कूली बच्चों को भी इसे पार करने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता था जो काफी खतरनाक था. ऐसे में स्वयं से ही गांव वालों ने लकड़ी का पुल बना डाला, जिससे उनके रास्ते की दूरी भी काफी कम हो गयी है.

ग्रामीणों ने किया पुल का निर्माण.

इसे भी पढ़ें:- गोण्डा: कजरी तीज पर श्रद्धालु करेंगे महादेव का जलाभिषेक, प्रशासन ने की तैयारियां

ग्रामीणों ने बनाया लकड़ी का पुल

  • देश के प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री जहां मेट्रो, इलेक्ट्रिक वाहनों एवं समुंदर के भूतल में बुलेट ट्रेन चलाने की वकालत करते है.
  • वहीं ऐली परसौली के माझा बंधे के लोग गहरे और चौड़े नाले को पार करने के लिये चंदे से पुल बना कर आवागमन कर रहे हैं.
  • यहां के लोग नाव के सहारे नवाबगंज बाजार आते-जाते थे और बच्चों का भी स्कूल नाव से ही आना-जाना होता था.
  • इससे काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था.
  • ग्रामीणों ने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से इस नाले पर पुल बनाने की मांग की गई थी लेकिन अनदेखा कर दिया जाता था.
  • ग्रामीणों ने एक जुटता दिखाते हुए चंदा इकट्ठा करके लगभग दो लाख की लागत से लकड़ी के पुल का निर्माण कर लिया है.
  • अब ग्रामीणों को नाव से आने जाने और देरी का रिस्क नही उठाना पड़ता है.
  • ग्रामीण बांस, बल्ली के पुल से पैदल, साइकिल, मोटर साइकिल से आते जाते है.

आयुक्त, डीआईजी, तहसीलदार पूरे अमले के साथ गांव में बाढ़ में समाएं हुए स्कूल का निरीक्षण करने आ चुके है. प्रशासन को ये लकड़ी का पुल नहीं दिखाई पड़ता. ग्रामीणों ने बताया कि प्रशासन और जन प्रतिनिधियों से पुल बनवाने की मांग की गई थी. सभी ने अनसुना कर दिया तो ग्रामीणों ने चंदे से पुल का निर्माण कर लिया.

Intro:आजादी के 70 वर्षो के बाद भी एक पुल के लिए तरस रहे गोण्डा जिले के ग्रामीणों ने अब जिला प्रशासन और यहाँ के जनप्रतिनिधियों को शर्मिंदा कर चंदे इकट्ठा कर लकडी का पुल बना। जो इस समय चर्चा का विषय बन हुआ है। बता दें जिले के एली परसौली गांव में एक विशाल नाले को पार करने के लिए गांव वालों को काफी समस्या होती थी स्कूली बच्चों को भी इसे पार करने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता था जो काफी रिस्की था। ऐसे में स्वयं से ही अपनी सुविधा के अनुसार गांव वालों ने लकड़ी का पुल बना डाला जिससे उनके रास्ते की दूरी भी काफी कम हो गयी और समय भी बच जाता है। उन्होने कहा कि जनप्रतिनिधियों से काफी बार यहाँ पुल बनाने की बात रखी गयी लेकिन जब किसी ने हमारी बात नहीं सुनी तो हमने चंदा इकट्ठा कर इस पुल को बनाया

Body:देश के प्रधान मंत्री और मुख्यमंत्री जहां मेट्रो,इलेक्ट्रिक वाहनों एंव समुंदर के भूतल में बुलेट ट्रेन चलाने की वकालत करते है, वहीं यूपी के गोण्डा जिले के तरबगंज तहसील क्षेत्र के ऐली परसौली के घोड़हन पुरवा, विसुन पुरवा, माझा बंधे के लोग गहरे और चौड़े नाले को पार करने के लिये चंदे से पुल बना कर आवागमन कर रहे है। बताते चले कि लोग नावों के सहारे नवाबगंज बाजार आते जाते थे। बच्चे को भी स्कूल नाव से ही आना जाना होता था,जिससे काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था। ग्रामीणों द्वारा प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से इस नाले पर पुल बनाने की मांग की गई लेकिन सभी अनदेखा करते रहे। तो ग्रामीणों ने एक जुटता दिखाते हुए,चंदा इकट्ठा कर लगभग दो लाख की लागत से लकड़ी के पुल का निर्माण कर लिया।अब ग्रामीणों को नाव से आने जाने व देरी का रिस्क नही उठाना पड़ रहा है। ग्रामीण अब इस बांस,बल्ली के पुल से पैदल, साइकिल, मोटर साइकिल से आते जाते है। Conclusion:बताते चले आयुक्त, डीआईजी,परगनाधिकारी,तहसीलदार पूरे अमले के साथ घोड़हन पुरवा,केवटाही का दौरा कर बाढ़ आए केवटाही में नदी में समाहित हुए स्कूल का निरीक्षण कर चुके है।
लेकिन प्रशासन को ये लकड़ी का पुल नही दिखाई पड़ा।ग्रामीणों ने बताया कि प्रशासन और जन प्रतिनिधियों से पुल बनवाने की मांग की गई। लेकिन जब सभी ने अनसुना कर दिया तो हम लोगो ने चंदे से पुल का निर्माण कर लिया है।

बाईट-1 भगवान दीन ग्रामीण
बाईट-2 राकेश ग्रामीण
बाईट-3 बुधई ग्रामीण
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