गोण्डा: आजादी के 70 वर्षों के बाद भी ग्रामीण एक पुल के लिए तरस रहे है. जिले के ग्रामीणों ने चंदे इकट्ठा करके लकड़ी का पुल बनाया और अब यह चर्चा का विषय बन हुआ है. परसौली गांव में एक विशाल नाले को पार करने के लिए गांव वालों को काफी समस्या होती थी. स्कूली बच्चों को भी इसे पार करने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता था जो काफी खतरनाक था. ऐसे में स्वयं से ही गांव वालों ने लकड़ी का पुल बना डाला, जिससे उनके रास्ते की दूरी भी काफी कम हो गयी है.
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ग्रामीणों ने बनाया लकड़ी का पुल
- देश के प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री जहां मेट्रो, इलेक्ट्रिक वाहनों एवं समुंदर के भूतल में बुलेट ट्रेन चलाने की वकालत करते है.
- वहीं ऐली परसौली के माझा बंधे के लोग गहरे और चौड़े नाले को पार करने के लिये चंदे से पुल बना कर आवागमन कर रहे हैं.
- यहां के लोग नाव के सहारे नवाबगंज बाजार आते-जाते थे और बच्चों का भी स्कूल नाव से ही आना-जाना होता था.
- इससे काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था.
- ग्रामीणों ने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से इस नाले पर पुल बनाने की मांग की गई थी लेकिन अनदेखा कर दिया जाता था.
- ग्रामीणों ने एक जुटता दिखाते हुए चंदा इकट्ठा करके लगभग दो लाख की लागत से लकड़ी के पुल का निर्माण कर लिया है.
- अब ग्रामीणों को नाव से आने जाने और देरी का रिस्क नही उठाना पड़ता है.
- ग्रामीण बांस, बल्ली के पुल से पैदल, साइकिल, मोटर साइकिल से आते जाते है.
आयुक्त, डीआईजी, तहसीलदार पूरे अमले के साथ गांव में बाढ़ में समाएं हुए स्कूल का निरीक्षण करने आ चुके है. प्रशासन को ये लकड़ी का पुल नहीं दिखाई पड़ता. ग्रामीणों ने बताया कि प्रशासन और जन प्रतिनिधियों से पुल बनवाने की मांग की गई थी. सभी ने अनसुना कर दिया तो ग्रामीणों ने चंदे से पुल का निर्माण कर लिया.