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गोण्डा: थ्री नॉट थ्री रायफल अब बढ़ाएगी विभाग के म्यूजियम की शोभा

170 सालों से प्रयोग की जा रही थ्री नॉट थ्री रायफल को गणतंत्र दिवस के अवसर पर अलविदा कह दिया गया. तकनीकी खामियों जैसे एक बार में सिर्फ एक ही कारतूस का लगना फायर के बाद बट तोड़कर निकालना जैसे समस्याओं से घिरी यह राइफल अब पुलिस के म्यूजियम में चार चांद लगाएगी.

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थ्री नॉट थ्री रायफल.
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Published : Jan 26, 2020, 11:38 PM IST

गोण्डा: थ्री नॉट थ्री राइफल को गणतंत्र दिवस के मौके पर पूरी तरह से अलविदा कह दिया गया है. यह रायफल पिछले 170 सालों से उपयोग की जा रही थी. पुलिस अब अत्याधुनिक तकनीक वाले हथियार इंसास से लैस हो चुकी है. पुरानी थ्री नॉट थ्री राइफल का निशाना अचूक होने के कारण अभी तक पुलिस प्रशिक्षण में इसका इस्तेमाल किया जाता था. अत्याधुनिक हथियारों के आगे अब थ्री नॉट थ्री राइफल बहुत पीछे छूट चुकी है.

थ्री नॉट थ्री रायफल को कहा गया अलविदा.

पुलिस विभाग में प्रयोग की जाने वाली थ्री नॉट थ्री रायफल का सफर 170 साल पुराना है. अंग्रेजों के जमाने से इस रायफल का उपयोग हो रहा था. 1857 के समय अग्रेज, युद्ध में इसका उपयोग करते थे. इस समय थ्री नॉट थ्री रायफल का उपयोग सिर्फ नाममात्र के लिए ही बचा है. इसका उपयोग सिर्फ परेड या प्रैक्टिस के लिए किया जाता था, क्योंकि इस रायफल का निशाना अचूक होता है.

एक बार में करती थी एक फायर
यह राइफल काफी पुरानी होने की वजह से चलने में समस्या उत्पन्न कर रही थी और मरम्मत में भी काफी दिक्कतें आ रही थीं. यह रायफल एक बार में सिर्फ एक फायर करती थी और उसके बाद दूसरे फायर के लिए खोखा निकालकर दूसरा कारतूस लगाना पड़ता था. एसपी ने मुख्यालय के पुलिस परेड ग्राउंड में गणतंत्र दिवस के मौके पर इस राइफल पर फूल माला चढ़ाकर विदाई दी. इसकी जगह अब अत्याधुनिक तकनीक से लैस इंसास रायफल लेगी.

इसे भी पढ़ें- बलिया: गंगा पूजन के साथ शुरू होगी 'गंगा यात्रा', राज्यपाल और बिहार के डिप्टी सीएम रहेंगे मौजूद

पुलिस अधीक्षक ने अपने संबोधन में इंसास की खूबियां के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि शासन स्तर से पूरी पुलिस प्रणाली को हाईटेक करने का काम किया जा रहा है. तकनीक हाईटेक होने के कारण पुलिस अब काफी मजबूत हुई है और आसानी से अपराधियों तक पहुंच जाती है. यही कारण है कि अपराधी अब पुलिस की निगाह से बच नहीं पाते हैं.

गोण्डा: थ्री नॉट थ्री राइफल को गणतंत्र दिवस के मौके पर पूरी तरह से अलविदा कह दिया गया है. यह रायफल पिछले 170 सालों से उपयोग की जा रही थी. पुलिस अब अत्याधुनिक तकनीक वाले हथियार इंसास से लैस हो चुकी है. पुरानी थ्री नॉट थ्री राइफल का निशाना अचूक होने के कारण अभी तक पुलिस प्रशिक्षण में इसका इस्तेमाल किया जाता था. अत्याधुनिक हथियारों के आगे अब थ्री नॉट थ्री राइफल बहुत पीछे छूट चुकी है.

थ्री नॉट थ्री रायफल को कहा गया अलविदा.

पुलिस विभाग में प्रयोग की जाने वाली थ्री नॉट थ्री रायफल का सफर 170 साल पुराना है. अंग्रेजों के जमाने से इस रायफल का उपयोग हो रहा था. 1857 के समय अग्रेज, युद्ध में इसका उपयोग करते थे. इस समय थ्री नॉट थ्री रायफल का उपयोग सिर्फ नाममात्र के लिए ही बचा है. इसका उपयोग सिर्फ परेड या प्रैक्टिस के लिए किया जाता था, क्योंकि इस रायफल का निशाना अचूक होता है.

एक बार में करती थी एक फायर
यह राइफल काफी पुरानी होने की वजह से चलने में समस्या उत्पन्न कर रही थी और मरम्मत में भी काफी दिक्कतें आ रही थीं. यह रायफल एक बार में सिर्फ एक फायर करती थी और उसके बाद दूसरे फायर के लिए खोखा निकालकर दूसरा कारतूस लगाना पड़ता था. एसपी ने मुख्यालय के पुलिस परेड ग्राउंड में गणतंत्र दिवस के मौके पर इस राइफल पर फूल माला चढ़ाकर विदाई दी. इसकी जगह अब अत्याधुनिक तकनीक से लैस इंसास रायफल लेगी.

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पुलिस अधीक्षक ने अपने संबोधन में इंसास की खूबियां के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि शासन स्तर से पूरी पुलिस प्रणाली को हाईटेक करने का काम किया जा रहा है. तकनीक हाईटेक होने के कारण पुलिस अब काफी मजबूत हुई है और आसानी से अपराधियों तक पहुंच जाती है. यही कारण है कि अपराधी अब पुलिस की निगाह से बच नहीं पाते हैं.

Intro:अपने 170 साल पुराने स्वर्णिम इतिहास को सजोय थ्री नॉट थ्री राइफल को गणतंत्र दिवस के मौके पर पूरी तरह से अलविदा कह दिया गया है । अब अपनी मित्र पुलिस अत्याधुनिक तकनीक वाले हथियार इंसास से लैस हो चुकी है । पुरानी थ्री नॉट थ्री राइफल का निशाना अचूक होने के कारण अभी तक पुलिस प्रशिक्षण में इसका इस्तेमाल किया जाता था । प्रशिक्षण भी इससे नहीं दिया जाएगा । अत्याधुनिक हथियारों के आगे अब यह राइफल बहुत पीछे छूट चुकी है l तमाम तकनीकी खामियों मसलन एक बार में सिर्फ एक ही कारतूस का लगना फायर के बाद बट तोड़कर निकालना जैसे समस्याओं से घिरी यह राइफल अब पुलिस के म्यूजियम में चार चांद लगाएगी ।

Body:बता दें पुलिस विभाग में प्रयोग की जाने वाली थ्री नॉट थ्री रायफल का सफर 170 साल पुराना है। अंग्रेजों के जमाने से इस रायफल का उपयोग हो रहा था। 1857 के समय अग्रेज, युद्ध में इसका उपयोग करते थे। इस समय थ्री नॉट थ्री रायफल का उपयोग सिर्फ नाममात्र के लिए ही बचा है। इसका उपयोग सिर्फ परेड या प्रैक्टिस के लिए ही होता है निशाना अचूक होने के कारण इसका इस्तेमाल प्रैक्टिस में किया जाता था। बता दें कि यह राइफल काफी पुरानी होने की वजह से चलने में समस्या उत्पन्न कर रही थी। इनकी मरम्मत में भी काफी दिक्कतें आ रही थी। इसमें खास दिक्कत ये थी कि यह रायफल एक बार में सिर्फ एक फायर करती थी और उसके बाद दूसरे फायर के लिए खोखा निकालकर दूसरा कारतूस लगाना पड़ता था।

Conclusion:मुख्यालय के पुलिस परेड ग्राउंड में गणतंत्र दिवस के मौके पर एसपी ने इस पुरानी राइफल को फूल माला चढ़ाकर विदाई दी गई l अब इसकी जगह अत्याधुनिक तकनीक से लैस इंसास संभालेगी । अपने संबोधन में पुलिस अधीक्षक ने इसकी खूबियां व तकनीकी हथियारों के आगे काफी पीछे छूट चुकी इस राइफल की खामियों पर प्रकाश डाला । कहां की शासन स्तर से पूरी पुलिस प्रणाली को हाईटेक करने का काम किया जा रहा है । तकनीक हाईटेक होने के कारण पुलिस अब काफी मजबूत हुई है और आसानी से अपराधियों तक पहुंच जाती है । यही कारण है कि अपराधी अब पुलिस की निगाह से बच नहीं पाते हैं ।

बाईट- आर के नैय्यर(पुलिस अधीक्षक गोण्डा)
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