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गोण्डा: ऑक्सीजन प्लांट को लगा ग्रहण, डेढ़ साल बाद भी अधर में लटकी परियोजना

गोण्डा के बाबू ईश्वर शरण जिला चिकित्सालय में डेढ़ साल पहले शुरु हुई ऑक्सीजन प्लांट लगाने परियोजना अधर में लटकी है. यही वजह है कि अस्पताल में समय से ऑक्सीजन न मिलने से आय दिन मरीज दम तोड़ देते हैं.

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ऑक्सीजन प्लांट परियोजना नहीं हुई पूरी.
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Published : Dec 7, 2019, 10:20 AM IST

गोण्डा: देवीपाटन मंडल का लाइफ लाइन माना जाने वाला बाबू ईश्वर शरण जिला चिकित्सालय जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते निर्माणाधीन ऑक्सीजन प्लांट को ग्रहण लग गया है. इस प्लांट को स्थापित करने के पीछे उद्देश्य था कि ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत न हो, लेकिन करीब डेढ़ वर्ष बीत जाने के बाद भी यह परियोजना पूरी नहीं हो सकी. पाइप लाइन के माध्यम से ऑपरेशन थिएटर से लेकर पीक्यू सहित सभी वार्डों में बेड-टू-बेड ऑक्सीजन सप्लाई की योजना बनाई गई थी. बता दें कि इस चिकित्सालय में मंडल के कोने कोने से गंभीर अवस्था में मरीज आते हैं.

ऑक्सीजन प्लांट परियोजना नहीं हुई पूरी.

साल भर बाद भी मरीजों को नहीं मिल रहा लाभ
अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना के लिए कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेज सीएनडीएस ने नया स्थान चिन्हित किया था. इस प्रोजेक्ट को पूरा करने की जिम्मेदारी लखनऊ की आर क्यूब आर्टिक्स एंड एसोसिएट कंपनी को सौंपी गई थी. कंपनी ने प्लांट बैठाने के कमरों का निर्माण कराने के बाद बेड टू बेड पाइपलाइन भी बिछा दी है, लेकिन अभी तक कार्य न पूरा होने के कारण मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.

पुरानी बिल्डिंग में लग रहा ऑक्सीजन प्लांट
खास बात यह है कि ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग में कराया जा रहा है, जबकि 100 बेड की अस्पताल की नई बहुमंजिला बिल्डिंग बनकर तैयार है. वहां ऑक्सीजन प्लांट की लाइन नहीं बिछाई गई है.

हर रोज आते हैं 500-600 मरीज
पुराने अस्पताल में अलग-अलग विभागों के करीब बारह वॉर्ड है. यहां प्रतिदिन दुर्घटना व अन्य रोगों से ग्रसित 500 से 600 मरीज प्रतिदिन भर्ती किए जाते हैं. यहां प्रतिदिन तमाम ऐसे मरीज आते हैं जिनको इलाज शुरू होने से पहले ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है.

मरीजों को होती है तत्काल ऑक्सीजन की जरुरत
कभी-कभी ऐसा भी देखा जाता है कि मरीज नाजुक हालत में अस्पताल में आते हैं जिन्हें तुरंत ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है. जब तक ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था की जाती है तब तक मरीज दम तोड़ देता है. ऐसे में अगर बेड-टू-बेड ऑक्सीजन की सप्लाई शुरु हो जाए तो मरीजों को तत्काल ऑक्सीजन मुहैया कराई जा सकेगी.

इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मधु गैरोला ने बताया कि ऑक्सीजन प्लांट का काम चल रहा है. कार्यदाई संस्था को जल्द से जल्द कार्य पूर्ण कराने के निर्देश दिए गए हैं. जल्द ही कार्य पूर्ण हो जाने की उम्मीद है.
- मधु गैरोला, सीएमओ


यह भी पढ़ें- उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में तोड़ा दम

गोण्डा: देवीपाटन मंडल का लाइफ लाइन माना जाने वाला बाबू ईश्वर शरण जिला चिकित्सालय जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते निर्माणाधीन ऑक्सीजन प्लांट को ग्रहण लग गया है. इस प्लांट को स्थापित करने के पीछे उद्देश्य था कि ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत न हो, लेकिन करीब डेढ़ वर्ष बीत जाने के बाद भी यह परियोजना पूरी नहीं हो सकी. पाइप लाइन के माध्यम से ऑपरेशन थिएटर से लेकर पीक्यू सहित सभी वार्डों में बेड-टू-बेड ऑक्सीजन सप्लाई की योजना बनाई गई थी. बता दें कि इस चिकित्सालय में मंडल के कोने कोने से गंभीर अवस्था में मरीज आते हैं.

ऑक्सीजन प्लांट परियोजना नहीं हुई पूरी.

साल भर बाद भी मरीजों को नहीं मिल रहा लाभ
अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना के लिए कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेज सीएनडीएस ने नया स्थान चिन्हित किया था. इस प्रोजेक्ट को पूरा करने की जिम्मेदारी लखनऊ की आर क्यूब आर्टिक्स एंड एसोसिएट कंपनी को सौंपी गई थी. कंपनी ने प्लांट बैठाने के कमरों का निर्माण कराने के बाद बेड टू बेड पाइपलाइन भी बिछा दी है, लेकिन अभी तक कार्य न पूरा होने के कारण मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.

पुरानी बिल्डिंग में लग रहा ऑक्सीजन प्लांट
खास बात यह है कि ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग में कराया जा रहा है, जबकि 100 बेड की अस्पताल की नई बहुमंजिला बिल्डिंग बनकर तैयार है. वहां ऑक्सीजन प्लांट की लाइन नहीं बिछाई गई है.

हर रोज आते हैं 500-600 मरीज
पुराने अस्पताल में अलग-अलग विभागों के करीब बारह वॉर्ड है. यहां प्रतिदिन दुर्घटना व अन्य रोगों से ग्रसित 500 से 600 मरीज प्रतिदिन भर्ती किए जाते हैं. यहां प्रतिदिन तमाम ऐसे मरीज आते हैं जिनको इलाज शुरू होने से पहले ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है.

मरीजों को होती है तत्काल ऑक्सीजन की जरुरत
कभी-कभी ऐसा भी देखा जाता है कि मरीज नाजुक हालत में अस्पताल में आते हैं जिन्हें तुरंत ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है. जब तक ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था की जाती है तब तक मरीज दम तोड़ देता है. ऐसे में अगर बेड-टू-बेड ऑक्सीजन की सप्लाई शुरु हो जाए तो मरीजों को तत्काल ऑक्सीजन मुहैया कराई जा सकेगी.

इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मधु गैरोला ने बताया कि ऑक्सीजन प्लांट का काम चल रहा है. कार्यदाई संस्था को जल्द से जल्द कार्य पूर्ण कराने के निर्देश दिए गए हैं. जल्द ही कार्य पूर्ण हो जाने की उम्मीद है.
- मधु गैरोला, सीएमओ


यह भी पढ़ें- उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में तोड़ा दम

Intro:देवीपाटन मंडल का लाइफ लाइन माना जाने वाला बाबू ईश्वर शरण जिला चिकित्सालय जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते वर्षों से निर्माणाधीन ऑक्सीजन प्लांट को ग्रहण लग गया है। करीब डेढ़ वर्ष बीत जाने के बाद भी यह परियोजना पूरी नहीं हो सकी। इस प्लांट को स्थापित करने के पीछे उद्देश्य था ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत ना हो, परंतु लापरवाही की भेंट चढ़ी यह योजना डेढ़ वर्ष बाद भी पूरी नहीं हो सकी। पाइप लाइन के माध्यम से ऑपरेशन थिएटर से लेकर पीक्यू सहित सभी वार्डों में बेड टू बेड ऑक्सीजन सप्लाई की योजना बनाई गई थी। बता दें कि इस चिकित्सालय में मंडल के कोने कोने से गंभीर अवस्था में मरीज आते हैं।




Body:अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना के लिए कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेज सीएनडीएस नया स्थान चिन्हित कर दिया था। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने की जिम्मेदारी लखनऊ की आर क्यूब आर्टिक्स एंड एसोसिएट कंपनी को सौंपी गई थी। कंपनी ने प्लांट बैठाने के कमरों का निर्माण करा कर बेड टू बेड पाइपलाइन भी बिछा दी है । लेकिन अभी तक कार्य न पूरा होने के कारण मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। खास बात यह है कि ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग में कराया गया है जबकि 100 बेड की अस्पताल की नई बहु मंजिला बिल्डिंग बनकर तैयार है वहां पर ऑक्सीजन प्लांट की लाइन नहीं बिछाई गई है । हालांकि पुराने अस्पताल में अलग-अलग विभागों के एक दर्जन वार्ड है l यहां पर प्रतिदिन दुर्घटना व अन्य रोगों से ग्रसित 500 से 600 मरीज प्रतिदिन भर्ती किए जाते हैं । यहां पर प्रतिदिन तमाम ऐसे मरीज आते हैं जिनको इलाज शुरू होने से पहले ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। कभी-कभी ऐसा भी देखा जाता है किन नाजुक हालत में पहुंचे ऐसे मरीज जिन्हें तुरंत ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। जब तक ऑक्सीजन सिलेंडर वह उससे लगाने की व्यवस्था की जाती है तब तक मरीज दम तोड़ देते हैं। बैक टू बेड ऑक्सीजन की सप्लाई शुरू हो जाने से नाजुक हालत में पहुंचे मरीजों को तत्काल ऑक्सीजन मुहैया हो जाएगी ।


Conclusion:इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ मधु गैरोला ने बताया कि ऑक्सीजन प्लांट का काम चल रहा है । कार्यदाई संस्था को जल्द ही कार्य पूर्ण कराने के निर्देश दिए गए हैं । जल्द ही कार्य पूर्ण हो जाने की उम्मीद है ।

बाईट- मधु गैरोला(सीएमओ गोण्डा)
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