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गोंडा: पहचान की मोहताज बन गई योग गुरु महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि कोंडर

योग के जनक कहे जाने वाले महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि आज पहचान की मोहताज बन चुकी है. दरअसल अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर ईटीवी भारत की जांच-पड़ताल में महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि के विकास कार्यों की हकीकत सामने आई.

महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि पर पूजा-अर्चना करते स्वामी भगवदाचार्य.
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Published : Jun 21, 2019, 5:00 PM IST

Updated : Jun 21, 2019, 6:27 PM IST

गोंडा: 21 जून को पूरे विश्व में योग दिवस मनाया जा रहा है. अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर मोदी सरकार ने विश्व को योग के मायने बताने की पहल तो कर दी है, लेकिन योग के जनक महर्षि पतंजलि को लोगों ने भुला दिया है. जिले के वजीरगंज थाना क्षेत्र के कोंडर गांव में योग गुरू महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि आज भी पहचान की मोहताज है. इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने हकीकत जानने की कोशिश की.

जानकारी देते महर्षि पतंजलि जन्मभूमि के अध्यक्ष स्वामी भगवदाचार्य.

आखिर क्यों उपेक्षा की शिकार है महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि

  • गोण्डा जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर वजीरगंज थाना क्षेत्र में कोंडर गांव आता है.
  • कोंडर का यह क्षेत्र भगवान श्रीराम की गायों के चरने के कारण अस्तित्व में आया था.
  • लगभग 5,000 वर्ष पहले यह कोंडर गांव महर्षि पतंजलि की लीलाओं का केंद्र रहा था.
  • भगवान का शेषावतार कहे जाने वाले महर्षि पतंजलि अयोध्या से सटे इसी गांव में मां गोंडिका के गर्भ से उत्पन्न हुए थे.
  • यहीं पर रहकर उन्होंने लोगों को योग की शिक्षा दी और कालांतर में अंतर्ध्यान हो गए.
  • कोंडर गांव और यहां की विशाल कोंडर झील आज भी उस विशालता को प्रदर्शित करने के लिए काफी है.
  • हालांकि आज यह गांव विश्व के मानचित्र पर अपनी असल पहचान का बनाने का मोहताज हो गया है.
  • गांव को पहचान दिलाने के लिए महर्षि पतंजलि जन्मभूमि के अध्यक्ष स्वामी भगवदाचार्य तमाम प्रयास कर रहे हैं.
  • स्वामी भगवदाचार्य ने सरकार से मांग की है कि इस जगह को विकसित कर महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि की पहचान दिलाई जाए.
  • महर्षि पतंजलि के नाम से अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना की जाए.
  • स्थानीय लोग भी मांग कर रहे हैं कि इस जगह को सरकार विकसित करे.
  • देश और विदेश से लोग यहां आएं और महर्षि पतंजलि के बारे में जानें.

गोंडा: 21 जून को पूरे विश्व में योग दिवस मनाया जा रहा है. अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर मोदी सरकार ने विश्व को योग के मायने बताने की पहल तो कर दी है, लेकिन योग के जनक महर्षि पतंजलि को लोगों ने भुला दिया है. जिले के वजीरगंज थाना क्षेत्र के कोंडर गांव में योग गुरू महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि आज भी पहचान की मोहताज है. इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने हकीकत जानने की कोशिश की.

जानकारी देते महर्षि पतंजलि जन्मभूमि के अध्यक्ष स्वामी भगवदाचार्य.

आखिर क्यों उपेक्षा की शिकार है महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि

  • गोण्डा जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर वजीरगंज थाना क्षेत्र में कोंडर गांव आता है.
  • कोंडर का यह क्षेत्र भगवान श्रीराम की गायों के चरने के कारण अस्तित्व में आया था.
  • लगभग 5,000 वर्ष पहले यह कोंडर गांव महर्षि पतंजलि की लीलाओं का केंद्र रहा था.
  • भगवान का शेषावतार कहे जाने वाले महर्षि पतंजलि अयोध्या से सटे इसी गांव में मां गोंडिका के गर्भ से उत्पन्न हुए थे.
  • यहीं पर रहकर उन्होंने लोगों को योग की शिक्षा दी और कालांतर में अंतर्ध्यान हो गए.
  • कोंडर गांव और यहां की विशाल कोंडर झील आज भी उस विशालता को प्रदर्शित करने के लिए काफी है.
  • हालांकि आज यह गांव विश्व के मानचित्र पर अपनी असल पहचान का बनाने का मोहताज हो गया है.
  • गांव को पहचान दिलाने के लिए महर्षि पतंजलि जन्मभूमि के अध्यक्ष स्वामी भगवदाचार्य तमाम प्रयास कर रहे हैं.
  • स्वामी भगवदाचार्य ने सरकार से मांग की है कि इस जगह को विकसित कर महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि की पहचान दिलाई जाए.
  • महर्षि पतंजलि के नाम से अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना की जाए.
  • स्थानीय लोग भी मांग कर रहे हैं कि इस जगह को सरकार विकसित करे.
  • देश और विदेश से लोग यहां आएं और महर्षि पतंजलि के बारे में जानें.
Intro:गोण्डा : योग गुरु महर्षि पतंजलि का जन्मभूमि पहचान की मोहताज

एंकर :- खबर गोंडा से है। विश्व योग गुरू होने का दम्भ भरने वाला भारत देश और सरकारें आज योग के गुरु यानी योग के प्रणेता महर्षि पतंजलि को ही भुलाकर बैठी है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के जरिये मोदी और योगी सरकार ने विश्व को योग के मायने बताने की पहल तो कर दी मगर योग के जनक को ही भुलाकर बैठे हैं। जी हाँ अयोध्या से सटे गोण्डा जिले के वजीरगंज क्षेत्र के कोडर गांव में जन्मी विभूति महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि आज भी पहचान की मोहताज है और सरकारी मशीनरी की उपेक्षा की शिकार है पेश है एक खास रिपोर्ट,

V/o: 01: गोण्डा जनपद मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर कोडर को गांव आज विश्व के मानचित्र पर होना चाहिए मगर आज भी यह असल पहचान का मोहताज है। अब आइये आपको बताते हैं कोंडर की कहानी। जी हाँ गोंडा का यह क्षेत्र दरअसल भगवान श्रीराम की गायों के चरने के कारण अस्तित्व में आया और इसी जनपद के वजीरगंज क्षेत्र का कोंडर गांव लगभग 5000 साल पहले महर्षि पतंजलि की लीलाओं का केंद्र रहा। भगवान शेषावतार कहे जाने वाले महर्षि पतंजिल अयोध्या से सटे इसी गांव में मां गोंडिका के गर्भ से उत्पन्न हुए थे। यही पर रहकर उन्होंने लोगों को योग की शिक्षा दी और कालांतर में अंतर्ध्यान हो गए। कोंडर गांव और यहां विशाल कोंडर झील आज भी उस विशालता को प्रदर्शित करने के लिए काफी है। पतंजलि की जन्मभूमि आज भी पहचान की मोहताज है और इसको पहचान दिलाने के लिए स्वामी भगवदाचार्य तमाम प्रयास कर रहे है और उन्होंने सरकार से मांग किया कि सरकार इस जगह को विकसित कर पतंजलि की जन्मभूमि की पहचान दिलाई और महर्षि पतंजलि के नाम से अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना करें वहीं स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि इस जगह को सरकार विकसित करें जिससे देश व विदेश से लोग यहां आए और पतंजलि के बारे में जाने।

Byte: 01: स्वामी भगवदाचार्य, अध्यक्ष पतंजलि जन्मभूमि
Byte: 02: रामकुमार स्थानीय

Fvo: हमारी सरकारों ने योग दिवस तो मना लिया विश्व गुरू बनने की बात भी कह डाली अब देखना यह है की योग के असली गुरू की जन्मभूमि पर मशीनरी की नजर कब पड़ती है और इसको असल पहचान कब मिलती है।

VISUALS :

अनुराग कुमार सिंह
गोंडा यूपी 9838658213

Body:अनुराग कुमार सिंहConclusion:
Last Updated : Jun 21, 2019, 6:27 PM IST
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