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दलहन में गोण्डा फिसड्डी, फिर भी वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट में हुआ चयन - odop cell gonda

उत्तर प्रदेश के गोण्डा जनपद को दलहन उत्पाद के लिए 'वन डिस्टिक वन प्रोडक्ट’ के तहत चयनित किया गया था, लेकिन जिला दलहन उत्पाद में फिसड्डी साबित हुआ है.

दलहन उत्पाद में गोण्डा फिसड्डी.
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Published : Aug 12, 2019, 11:48 PM IST

गोण्डा: सरकार द्वारा चलाई जा रही बेहद महत्वाकांक्षी योजना ‘एक जिला, एक उत्पाद’ में गोण्डा पूरी तरह से फिसड्डी साबित हो गया है. इसका कारण यहां दलहन को चुना जाना है. जिसका उत्पादन गोण्डा में बिल्कुल न के बराबर होता है.

शासन ने जिले में 30 वर्ष पुराने उत्पादन रिकॉर्ड को मद्देनजर रखते हुए इस जिले का चयन दलहन उत्पाद के लिए किया था. इसको लेकर अब जिला प्रशासन भी परेशान है. जिला प्रशासन द्वारा लगातार शासन से दूसरे उत्पाद के चयन के लिए पत्राचार किया जा रहा है.

दलहन उत्पाद में गोण्डा फिसड्डी.

दलहन उत्पाद में गोण्डा फिसड्डी-

  • यूपी दिवस के अवसर पर 24 जनवरी 2018 को शासन ने इस योजना को शुरू किया था.
  • योजना ‘वन डिस्टिक वन प्रोडक्ट’ जिसका उद्देश्य लघु एवं मध्यम उद्योग को बढ़ावा देना है.
  • स्थानीय उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा मिल सके, इसकी योजना सरकार ने बनाई थी.
  • योजना की मॉनिटरिंग के लिए शासन ने ओडीओपी प्रकोष्ठ की स्थापना की गई.
  • ओडीओपी प्रकोष्ठ को योजना सुचारू रूप से चलाने के लिए स्थापित किया गया था.
  • दलहन उत्पाद में जिला चयनित होने के बाद कृषि और उद्योग विभाग के अधिकारी बेहद परेशान हैं.
  • उत्पादन शून्य होने के कारण इस योजना के तहत कोई भी उद्यमी आगे नहीं आया.

पढें- गोण्डा: घाघरा नदी खतरे के निशान से ऊपर, बाढ़ का खतरा मंडराया

दलहन उत्पाद के स्थान पर मुख्य फसल धान या चावल से संबंधित प्रोडक्ट को ‘वन डिस्टिक वन प्रोडक्ट’ के तहत चयनित करने के लिए शासन को पत्र भेज रहा है.

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के तहत जनपद को दलहन के लिए चुना गया था, लेकिन वर्तमान में दलहन का उत्पादन जिले में शून्य है. जिलाधिकारी व आयुक्त के माध्यम से शासन को दलहन उत्पाद के स्थान पर धान से संबंधित या चावल उत्पाद को चयनित करने के लिए पत्राचार किया गया है. वैसे वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए लक्ष्य प्राप्त हो गया है.
-अश्विनी कुमार वर्मा, उपायुक्त उद्योग

गोण्डा: सरकार द्वारा चलाई जा रही बेहद महत्वाकांक्षी योजना ‘एक जिला, एक उत्पाद’ में गोण्डा पूरी तरह से फिसड्डी साबित हो गया है. इसका कारण यहां दलहन को चुना जाना है. जिसका उत्पादन गोण्डा में बिल्कुल न के बराबर होता है.

शासन ने जिले में 30 वर्ष पुराने उत्पादन रिकॉर्ड को मद्देनजर रखते हुए इस जिले का चयन दलहन उत्पाद के लिए किया था. इसको लेकर अब जिला प्रशासन भी परेशान है. जिला प्रशासन द्वारा लगातार शासन से दूसरे उत्पाद के चयन के लिए पत्राचार किया जा रहा है.

दलहन उत्पाद में गोण्डा फिसड्डी.

दलहन उत्पाद में गोण्डा फिसड्डी-

  • यूपी दिवस के अवसर पर 24 जनवरी 2018 को शासन ने इस योजना को शुरू किया था.
  • योजना ‘वन डिस्टिक वन प्रोडक्ट’ जिसका उद्देश्य लघु एवं मध्यम उद्योग को बढ़ावा देना है.
  • स्थानीय उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा मिल सके, इसकी योजना सरकार ने बनाई थी.
  • योजना की मॉनिटरिंग के लिए शासन ने ओडीओपी प्रकोष्ठ की स्थापना की गई.
  • ओडीओपी प्रकोष्ठ को योजना सुचारू रूप से चलाने के लिए स्थापित किया गया था.
  • दलहन उत्पाद में जिला चयनित होने के बाद कृषि और उद्योग विभाग के अधिकारी बेहद परेशान हैं.
  • उत्पादन शून्य होने के कारण इस योजना के तहत कोई भी उद्यमी आगे नहीं आया.

पढें- गोण्डा: घाघरा नदी खतरे के निशान से ऊपर, बाढ़ का खतरा मंडराया

दलहन उत्पाद के स्थान पर मुख्य फसल धान या चावल से संबंधित प्रोडक्ट को ‘वन डिस्टिक वन प्रोडक्ट’ के तहत चयनित करने के लिए शासन को पत्र भेज रहा है.

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के तहत जनपद को दलहन के लिए चुना गया था, लेकिन वर्तमान में दलहन का उत्पादन जिले में शून्य है. जिलाधिकारी व आयुक्त के माध्यम से शासन को दलहन उत्पाद के स्थान पर धान से संबंधित या चावल उत्पाद को चयनित करने के लिए पत्राचार किया गया है. वैसे वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए लक्ष्य प्राप्त हो गया है.
-अश्विनी कुमार वर्मा, उपायुक्त उद्योग

Intro:सरकार द्वारा चलाई जा रही बेहद महत्वाकांक्षी योजना ‘एक जिला, एक उत्पाद’ में गोण्डा पूरी तरह से फीसड्डी साबित हो गया है। इसका कारण यहां दलहन को चुना जाना है। जिसका उत्पादन गोण्डा में बिल्कुल न के बराबर होता है।शासन ने जिले में 30 वर्ष पुराने उत्पादन रिकॉर्ड को मद्देनजर रखते हुए इस जिले का चयन दलहन उत्पाद के लिए कर दिया गया। इसको लेकर अब जिला प्रशासन भी परेशान है। जिला प्रशासन द्वारा लगातार शासन से दूसरे उत्पाद के चयन के लिए पत्राचार किया जा रहा है। इस बाबत जिला उद्योग अधिकारी ने बताया शासन से पत्राचार किया जा रहा है 2019-20 के लिए लक्ष्य निर्धारित हो गया है अगर उत्पाद नहीं बदलता तो दलहन की लक्ष्य पूर्ति हेतु प्रयास किये जायेंगे।

Body:यूपी दिवस के अवसर पर 24 जनवरी 2018 को शासन ने इस योजना को शुरू किया नाम दिया ‘वन डिस्टिक वन प्रोडक्ट’ जिसका उद्देश्य लघु एवं मध्यम उद्योग को बढ़ावा देना था। इससे उत्तर प्रदेश में कौशल विकास के साथ-साथ स्थानीय उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा मिल सके इसकी योजना सरकार ने बनाई थी, साथ ही इसकी मॉनिटरिंग के लिए शासन द्वारा ओडीओपी प्रकोष्ठ की स्थापना भी की गई, जिससे योजना सुचारू रूप से चल सके।
बता दें कि जिले में 30 वर्ष पुराने उत्पादन रिकॉर्ड को मद्देनजर रखते हुए इस जिले का चयन दलहन उत्पाद के लिए कर दिया गया। विगत करीब दो दशक से जिले में दलहन की मुख्य फसल अरहर का उत्पादन लगभग बहुत ही कम है। दलहन उत्पाद में जिला चयनित होने के बाद कृषि व उद्योग विभाग के अधिकारी बेहद परेशान दिखे। उत्पादन शून्य होने के कारण इस योजना के तहत कोई भी उद्यमी आगे नहीं आया। अब प्रशासन दलहन को छोड़कर यहां की मुख्य फसल धान या चावल से संबंधित प्रोडक्ट को ‘वन डिस्टिक वन प्रोडक्ट’ के तहत चयनित करने के लिए शासन को पत्र भेज रही है।
Conclusion:इस संबंध में उपायुक्त उद्योग अश्वनी कुमार वर्मा ने बताया कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के तहत जनपद को दलहन के लिए चुना गया था, लेकिन वर्तमान में दलहन का उत्पादन जिले में शून्य है। जिलाधिकारी व आयुक्त के माध्यम से शासन को दलहन उत्पाद के स्थान पर धान से संबंधित या चावल उत्पाद को चयनित करने के लिए पत्राचार किया गया है। वैसे वित्तीय वर्ष 2019—20 के लिए लक्ष्य प्राप्त हो गया है। यदि शासन द्वारा संशोधित नहीं किया जाता है तो जो उत्पाद शासन द्वारा चयनित किया गया है। उसे जनपद में संचालित करने का प्रयास किया जाएगा।

बाईट- अश्विनी कुमार वर्मा( उपायुक्त उद्योग)
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