गोंडा: किसान अगर लीक से हट कुछ नया करने की ठाने तो वह बहुत कुछ कर सकता हैं. इनमें सरकार भी उनका काफी सहयोग कर सकती है. कृषि विज्ञान केंद्र गोण्डा ने मधुमक्खी पालन से काफी किसानों की जिंदगी को बेहतर बनाया है. इसमें निकलने वाली शहद से किसान कम समय में ही लाखों रुपये कमा सकते हैं. साथ ही साथ इससे निकलने वाली मोम से भी किसानों को फायदा होता हैं.
शहद का उत्पादन बना आय के स्रोत का दूसरा जरिया
मधुमक्खी पालन किसानों के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है. इसका कारण यह है कि इसमें जमीन की मात्रा बेहद कम लगती है. जिसके कारण किसान अपनी अन्य खेतों को और भी कार्यों में लगा सकता हैं. जिले के एक किसान रामशंकर तिवारी बताते हैं कि वह चार सालों से यह मधुमक्खी पालन कर रहे हैं. इस समय उनके पास 100 बक्से हैं जिनमें वह शहद का उत्पादन मधुमक्खीयों द्वारा करते हैं. उन्होंने बताया कि वह अब तक लगभग 100 कुंटल यानी दस हजार किलो शहद का उत्पादन कर चुके हैं. इससे मिलने वाली मोम अलग से बिकती है. साथ ही अगर मधुमक्खीयो की संख्या बढ़ती है तो इसे भी बेचा जा सकता है. इस बक्से की कीमत लगभग 4 हजार रुपये है लेकिन सरकारी सब्सिडी से यह लगभग दो हजार रुपयों में ही मिल जाती है.
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किसानों का बढ़ रहा रोजगार
इस बारे में केवीके के पादप सुरक्षा एवं विषय वस्तु विशेषज्ञ आशीष पांडेय बताते हैं कि बेरोजगार इससे जुड़ कर बेहद बढ़िया रोजगार के साधन तलाश सकते हैं. इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र समय-समय पर प्रशिक्षण भी देता रहता है जो सात से आठ दिन चलते हैं. इसमें किसानों को बक्सों में मधुमक्खी का पालन करना होता हैं. उन्होंने बताया कि यह बक्से वह खादी ग्रामोद्योग आयोग गोरखपुर से भी ले सकते हैं जो सब्सिडी के साथ मिलती है. इसमें किसानों को 50 फीसदी की सब्सिडी मिल जाती हैं. उन्होंने बताया कि एक बक्से से किसान 35 से 40 किलो तक शहद निकाल सकता है. वहीं सबसे बड़ा फायदा यह है कि मधुमक्खियां वंश वृद्धि करती हैं जिससे 10 बक्से को सीजन में 20 बक्सों में बदल जा सकता हैं. जिले में 20 किसान प्रशिक्षण लेकर मधुमक्खी पालन की शुरुआत कर चुके हैं.