गोंडा: जहां जिला प्रशासन स्वच्छ भारत मिशन के तहत 95 फीसदी शौचालयों के निर्माण पर बधाइयां दे रहा है तो वहीं, प्रशासन की नाक के नीचे ही बने शौचालय अपने पूर्ण निर्माण को तरस रहे हैं. स्वच्छ भारत मिशन के तहत वार्डों में शौचालय बनाए गए हैं जो अभी तक पूरी तरह बन ही नहीं पाए. हालात यह है कि अंदर लगे सामान भी अस्त-व्यस्त हो चुके हैं.
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नगर के माकार्तिगंज में पुरुष एवं महिलाओं के लिए बना शौचालय बदहाली की मार झेल रहा है. लोगों का कहना है कि यह कभी चालू ही नहीं हुआ. यह बन के तैयार तो हो गया लेकिन अभी तक इसका संचालन नहीं हुआ. सरकार की स्वच्छता पर मंशा जग जाहिर है. प्रधानमंत्री ने तो खुद स्वयं स्वच्छ भारत अभियान को शुरू किया लेकिन आज जहां सरकार अपने कामों का हिसाब दे रही है वहीं जिला मुख्यालय पर शौचालयों की स्थिति दयनीय बनी हुई है.
शिव कुमार स्थानीय ने बताया कि एक लाख में शौचालय का निर्माण कराया गया जो अब खुद गंदगी का अड्डा बन चुका है. इसी तरह बड़गांव चौराहे स्थित शौचालय की भी यही स्थिति पाई गई जहां शौचालय की टंकी गिर चुकी है. पाइप भी उखड़ गए हैं. अब नगर की स्थिति पर तो अदम गोंडवी की यह कविता ही याद आती है कि 'तुम्हारी फाइलों में तो गांव का मौसम गुलाबी है, मगर यह आंकड़े झूठे हैं यह दावा किताबी है'.
इस मामले में जब हमने नगर पालिका गोंडा के अधिशासी अधिकारी विकास सैनी से बात की तो उन्होंने बताया कि शौचालय बनाने की कंपनी सीधे शासन द्वारा नामित थी. गुणवत्ता के दृष्टिगत रखते हुए कंपनी का काम रोक दिया गया है और उसके खिलाफ जो भी नियमानुसार कार्रवाई है वह कर रहे हैं.