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गोण्डा: ग्रामीण स्वास्थ्य उपकेंद्रों का हाल-बेहाल, लोगों को कैसे मिले इलाज

गांवों में ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए 322 उपकेंद्र बनाए गए थे. विभाग को देने से पहले ही ये सभी उपकेंद्र खंडहर में तब्दील हो गए हैं. जिम्मेदार जांच कर कार्रवाई करने की बात कर रहे हैं.

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Published : Jul 18, 2019, 8:21 PM IST

खंडहर में तब्दील हुए ग्रामीण स्वास्थ्य उपकेंद्र.

गोण्डा: राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन योजना के तहत ग्रामीण अंचलों में करोड़ों रुपये की लागत से बनाए गए 322 उपकेंद्र उपयोग में आने से पहले खंडहर में तब्दील हो गए हैं. अधिकांश उपकेंद्रों को झाड़ियों ने अपनी आगोश में ले लिया है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में और कागजों में ये उपकेंद्र संचालित ही नहीं हो रहा, बल्कि यहां पर प्रसव भी होता है.

खंडहर में तब्दील हुए ग्रामीण स्वास्थ्य उपकेंद्र.


खंडहर में तब्दील हुए स्वास्थ्य उपकेंद्र-

  • ग्रामीणों को गांव में ही स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने के लिए उपकेंद्र बनाए गए थे.
  • 2007 से 2011 तक जिले में करीब 366 उपकेंद्रों के निर्माण के लिए जमीन चिन्हित किया गया.
  • इसमें 322 उपकेंद्र बन कर तैयार हो गए.
  • उपकेंद्रों के निर्माण की जिम्मेदारी सीएनडीएस और राजकीय निर्माण निगम को सौंपी गई थी.
  • अधिकांश उपकेंद्र विभाग को सौंपने से पहले ही खंडहर में तब्दील हो गए हैं.
  • बाद में कार्यदायी संस्थाओं ने इन उपकेंद्रों को येन केन प्रकारेण विभाग को सौंप दिया.
  • विभाग ने इन उपकेंद्रों पर एक एएनएम और आशा बहुओं की तैनाती कर दी.
  • यहां प्रतिदिन एएनएम और आशा बहुएं गर्भवती महिलाओं और बच्चों का इलाज करेंगी.
  • आपातकालीन परिस्थितियों के लिए इन उपकेंद्रों पर प्रसव कक्ष भी बनाए गए थे.

विभागीय आंकड़ों के अनुसार 2011 से अब तक करीब 8 वर्षों में 44 केंद्रों का निर्माणकार्य पूरा नहीं किया जा सका है. 20 निर्माणाधीन हैं, जबकि 24 पर अब तक काम ही नहीं शुरू हो सका है. अब ये उपकेंद्र चोरों के अड्डे बन गए हैं. उपकेंद्र पर नशेड़ियों का जमावड़ा होता है.


इसकी जांच कराई जाएगी. जिन कर्मचारियों की तैनाती की गई है अगर वह केंद्र पर नहीं जाती हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
-अरुण कुमार श्रीवास्तव, प्रभारी सीएमओ

गोण्डा: राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन योजना के तहत ग्रामीण अंचलों में करोड़ों रुपये की लागत से बनाए गए 322 उपकेंद्र उपयोग में आने से पहले खंडहर में तब्दील हो गए हैं. अधिकांश उपकेंद्रों को झाड़ियों ने अपनी आगोश में ले लिया है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में और कागजों में ये उपकेंद्र संचालित ही नहीं हो रहा, बल्कि यहां पर प्रसव भी होता है.

खंडहर में तब्दील हुए ग्रामीण स्वास्थ्य उपकेंद्र.


खंडहर में तब्दील हुए स्वास्थ्य उपकेंद्र-

  • ग्रामीणों को गांव में ही स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने के लिए उपकेंद्र बनाए गए थे.
  • 2007 से 2011 तक जिले में करीब 366 उपकेंद्रों के निर्माण के लिए जमीन चिन्हित किया गया.
  • इसमें 322 उपकेंद्र बन कर तैयार हो गए.
  • उपकेंद्रों के निर्माण की जिम्मेदारी सीएनडीएस और राजकीय निर्माण निगम को सौंपी गई थी.
  • अधिकांश उपकेंद्र विभाग को सौंपने से पहले ही खंडहर में तब्दील हो गए हैं.
  • बाद में कार्यदायी संस्थाओं ने इन उपकेंद्रों को येन केन प्रकारेण विभाग को सौंप दिया.
  • विभाग ने इन उपकेंद्रों पर एक एएनएम और आशा बहुओं की तैनाती कर दी.
  • यहां प्रतिदिन एएनएम और आशा बहुएं गर्भवती महिलाओं और बच्चों का इलाज करेंगी.
  • आपातकालीन परिस्थितियों के लिए इन उपकेंद्रों पर प्रसव कक्ष भी बनाए गए थे.

विभागीय आंकड़ों के अनुसार 2011 से अब तक करीब 8 वर्षों में 44 केंद्रों का निर्माणकार्य पूरा नहीं किया जा सका है. 20 निर्माणाधीन हैं, जबकि 24 पर अब तक काम ही नहीं शुरू हो सका है. अब ये उपकेंद्र चोरों के अड्डे बन गए हैं. उपकेंद्र पर नशेड़ियों का जमावड़ा होता है.


इसकी जांच कराई जाएगी. जिन कर्मचारियों की तैनाती की गई है अगर वह केंद्र पर नहीं जाती हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
-अरुण कुमार श्रीवास्तव, प्रभारी सीएमओ

Intro:राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन योजना के तहत ग्रामीण अंचलों में करोड़ों रुपए की लागत से बनाए गए 322 उपकेंद्र उपयोग में आने से पहले खंडहर में तब्दील हो गए हैं। अधिकांश उपकेंद्रों को झाड़ियों ने अपने आगोश में ले लिया है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में व कागजों पर यह केंद्र संचालित ही नहीं है बल्कि यहां पर प्रसव भी होता है।

Body:ग्रामीणों को गांव में ही स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने के उद्देश्य से बनाए गए उप केंद्र अपने उद्देश्यों से भटक गए वर्ष 2007 से वर्ष 2011 तक जिले में 3 फेज में करीब 366 उप केंद्रों के निर्माण के लिए जमीन का चिन्हांकन किया गया। जिसमें 322 उप केंद्र बन कर तैयार हो गए । इन उप केंद्रों के निर्माण की जिम्मेदारी सीएनडीएस व राजकीय निर्माण निगम को सौंपी गई थी। निर्माण में मानकों में इस कदर अनदेखी की गई। अधिकांश उप केंद्र विभाग को सौपने से पहले खंडहर में तब्दील हो गए। बाद में कार्यदाई संस्थाओं ने इन उप केंद्रों को एन केन प्रकारेण विभाग को सौंप दिया। विभाग ने इन उप केंद्रों पर एक एएनएम व आशा बहुओं की तैनाती कर दी। उद्देश्य था कि यहां पर प्रतिदिन एएनएम व आशा बहुएं बैठकर गर्भवती महिलाओं व बच्चों का इलाज करेंगी। आपातकालीन परिस्थितियों के लिए इन उपकेंद्रों पर प्रसव कक्ष भी बनाए गए थे ताकि ग्रामीण अंचल की महिलाओं को प्रसव के लिए कहीं जाना ना पड़े इन सब व्यवस्थाओं के बावजूद जिले के किसी भी उपकेंद्र पर आज तक कोई भी संस्थागत प्रसव नहीं हुआ हालत यह है कि जिन की तैनाती की गई है वह खुद उपकेंद्र पर जाती ही नहीं है। इस बात की गवाह उप केंद्रों पर उगी झाड़ियों खुद बयां कर रही हैं। विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो अभी 2011 से अब तक करीब 8 वर्षों में 44 केंद्रों का निर्माण कार्य पूरा नहीं किया जा सका है, 20 निर्माणाधीन है जबकि 24 पर अभी तक काम ही नहीं शुरू हो सका है। अब यहां उपकेंद्र चोर उचक्के अड्डा बन गए हैं। बनघुसरा उपकेंद्र पर नशेड़ीयों का जमावड़ा होता है और यह केंद्र पूरी तरह से झाड़ियों में तब्दील हो गया है। खिड़की दरवाजे टूट चुके हैं। उप केंद्रों के हाल कहां तक बयां किए जाए रुपईडीह विकासखंड के ग्राम पंचायत बिछुड़ी में वर्ष 2008 2009 में बना उपकेंद्र खंडहर होने के साथ-साथ झाड़ियों ने इसे अपने आगोश में ले लिया है। खिड़की दरवाजे भी गायब हो चुके हैं कमोबेश यही स्थिति इटियाथोक विकासखंड के अयाह गांव की है। Conclusion:इस संबंध में प्रभारी मुख्य चिकित्साधिकारी अरुण कुमार श्रीवास्तव ने कहा इसकी जांच कराई जाएगी और जिन कर्मचारियों की तैनाती की गई है अगर वह केंद्र पर नहीं जाती है तो उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।

बाईट- स्थानीय
बाईट- अरुण कुमार श्रीवास्तव(प्रभारी सीएमओ)
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