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गोण्डा: छत से गिरता प्लास्टर और टपकता पानी, स्कूलों के कायाकल्प की अधूरी कहानी

उत्तर प्रदेश के गोण्डा का पूर्व माध्यमिक कन्या महादेव विद्यालय अपने कायाकल्प की आस में है. बाउंड्रीवाल नहीं होने से आवारा पशुओं का रात का ठिकाना विद्यालय है. टीचर सुबह साफ करके पढ़ाई शुरू करते हैं. पढ़ाई के दौरान बच्चों के ऊपर प्लास्टर गिरता रहता है और बारिश में पानी टपकता है.

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विद्यालय के छत से टूट कर गिरता प्लास्टर.
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Published : Jan 27, 2020, 10:59 PM IST

गोण्डा: शासन द्वारा परिषदीय विद्यालयों की दशा सुधारने के लिए तमाम तरह की योजनाएं चलाई जा रही है. लेकिन धरातल पर अधिकांश विद्यालयों की स्थिति बद से बदतर है. ऐसे ही पूर्व माध्यमिक कन्या महादेव विद्यालय में एक नहीं कई समस्याएं हैं. यहां कन्या विद्यालय होने के बाद भी बाउंड्रीवाल नहीं है.

विद्यालय के छत से टूट कर गिरता प्लास्टर.

आवारा पशु रात में विद्यालय को बनाते है आशियाना
विद्यालय में चारदीवारी न होने पर आवारा पशु रात में अपना आशियाना विद्यालय में बना लेते हैं. सुबह अध्यापक आकर पहले विद्यालय परिसर में फैले गोबर और गंदगी को साफ करते है. फिर बच्चो को पढ़ाना शुरू करते है. विद्यालय की छत जर्जर है, जिसका प्लास्टर बच्चों के सिर पर पढ़ाई करते वक्त गिरता रहता है. पानी बरसने पर पानी भी टपकता है. अध्यापकों ने इसकी शिकायत विभाग तक पंहुचाई है. लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है.

पढ़ते हैं तो छत से टपकता है पानी
कक्षा 7 के छात्र मोहम्मद शमीम बताते हैं कि जब हम पढ़ते है तो छत से पानी टपकता है. साथ ही साथ प्लास्टर भी टूट-टूट कर गिरता है. पढ़ते समय यह डर लगा रहता है कि कहीं हमारे ऊपर ही न गिर जाए. कक्षा 7 की ही छात्रा सुमन जायसवाल ने बताया कि बाहर गड्ढे में हमेशा पानी भरा रहता है, जिससे आने जाने और खेलने में भी परेशानी होती है.

इसे भी पढ़ें-गोण्डा: मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने पुलिस लाइन में किया ध्वजारोहण

यहां की सबसे बड़ी समस्या यह है कि कन्या विद्यालय होने के बाद भी यहां बाउंड्रीवाल नहीं है. सुबह जब बच्चे पढ़ने आते है तो पूरे परिसर में गंदगी ही गंदगी रहती है. हमें ही उसे साफ करना पड़ता है. साथ ही जब बारिश होती है तो अंदर ही जगह मिलती है.
-छाया सिंह, अध्यापिका

गोण्डा: शासन द्वारा परिषदीय विद्यालयों की दशा सुधारने के लिए तमाम तरह की योजनाएं चलाई जा रही है. लेकिन धरातल पर अधिकांश विद्यालयों की स्थिति बद से बदतर है. ऐसे ही पूर्व माध्यमिक कन्या महादेव विद्यालय में एक नहीं कई समस्याएं हैं. यहां कन्या विद्यालय होने के बाद भी बाउंड्रीवाल नहीं है.

विद्यालय के छत से टूट कर गिरता प्लास्टर.

आवारा पशु रात में विद्यालय को बनाते है आशियाना
विद्यालय में चारदीवारी न होने पर आवारा पशु रात में अपना आशियाना विद्यालय में बना लेते हैं. सुबह अध्यापक आकर पहले विद्यालय परिसर में फैले गोबर और गंदगी को साफ करते है. फिर बच्चो को पढ़ाना शुरू करते है. विद्यालय की छत जर्जर है, जिसका प्लास्टर बच्चों के सिर पर पढ़ाई करते वक्त गिरता रहता है. पानी बरसने पर पानी भी टपकता है. अध्यापकों ने इसकी शिकायत विभाग तक पंहुचाई है. लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है.

पढ़ते हैं तो छत से टपकता है पानी
कक्षा 7 के छात्र मोहम्मद शमीम बताते हैं कि जब हम पढ़ते है तो छत से पानी टपकता है. साथ ही साथ प्लास्टर भी टूट-टूट कर गिरता है. पढ़ते समय यह डर लगा रहता है कि कहीं हमारे ऊपर ही न गिर जाए. कक्षा 7 की ही छात्रा सुमन जायसवाल ने बताया कि बाहर गड्ढे में हमेशा पानी भरा रहता है, जिससे आने जाने और खेलने में भी परेशानी होती है.

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यहां की सबसे बड़ी समस्या यह है कि कन्या विद्यालय होने के बाद भी यहां बाउंड्रीवाल नहीं है. सुबह जब बच्चे पढ़ने आते है तो पूरे परिसर में गंदगी ही गंदगी रहती है. हमें ही उसे साफ करना पड़ता है. साथ ही जब बारिश होती है तो अंदर ही जगह मिलती है.
-छाया सिंह, अध्यापिका

Intro:शासन द्वारा परिषदीय विद्यालयों की दशा सुधारने के लिए तमाम तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं लेकिन धरातल पर अधिकांश विद्यालयों की स्थिति बद से बदतर है। पूर्व माध्यमिक कन्या विद्यालय महादेव इस विद्यालय में एक नही कई समस्याएं है। विद्यालय में चहारदीवारी न होने पर आवारा पशु रात में अपना आशियाना विद्यालय में बना लेते है। सुबह अध्यापक आकर पहले विद्यालय परिसर में फैले गोबर और गंदगी को साफ करते है। फिर बच्चो को पढ़ाना शुरू करते है। विद्यालय की छत जर्जर है जिसका प्लास्टर बच्चों के सर पर पढ़ाई करते वक्त गिरता रहता है। पानी बरसने पर पानी भी टपकता है।अध्यापकों ने इसकी शिकायत विभाग तक पंहुचाई है परंतु अभी तक कोई कार्यवाही नही हुई है।

Body:विकास खंड पंडरी कृपाल के पूर्व माध्यमिक कन्या विद्यालय की स्थिति सरकार के प्रयासों को झूठा साबित करते हैं बता दें कि यह विद्यालय खतरे को इंगित कर रहा है क्योकि इसके छत के प्लास्टर टूट रहे हैं और दिक्कत सिर्फ इतनी ही नहीं है चाहरदीवारी के ना होने के कारण यहाँ छुट्टा मवेशियों रोजना गंदगी फैला कर चले जाते हैं। और सुबह जब अध्यापक पढ़ाने आते हैं तो उन्हें स्वयं ही इस स्कूल को साफ करना पड़ता है। साथ ही आस पास के क्षेत्र में भी पानी भरने से उन्हें काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। कक्षा 7 के छात्र मोहम्मद शमीम बताते हैं कि जब हम पढ़ते है तो छत से पानी टपकता है साथ ही साथ प्लास्टर भी टूट टूट कर गिरता है। पढ़ते समय यह डर लगा रहता है कि कहीं हमारे ऊपर ही न गिर जाए। कक्षा 7 की ही छात्रा सुमन जायसवाल ने बताया कि बाहर गढ्ढे में हमेशा पानी भरा रहता है। जिससे आने जाने व खेलने में भी परेशानी होती है। Conclusion:विद्यालय की अध्यापिका छाया सिंह ने बताया कि यहाँ की सबसे बड़ी समस्या यह है कि कन्या विद्यालय होने के बाद भी यहाँ बाउंड्री वाल नहीं है। सुबह जब बच्चे पढ़ने आते है तो पूरे परिसर में गंदगी ही गंदगी रहती है हमें ही उसे साफ करना पड़ता है। साथ ही जब बारिश होती है तो अंदर ही जगह मिलती है न ही बाहर ही हमें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

बाईट 1- मोहम्मद शमीम(छात्र)
बाईट 2- सुमन जायसवाल(छात्रा)
बाईट 3- छाया सिंह(अध्यापिका)
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