गाजीपुरः केंद्र और प्रदेश सरकार गांव-गांव तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने की व्यवस्था कर रही है. नीर निर्मल योजना के तहत गाजीपुर के 150 ग्राम पंचायतों का चयन किया गया है. इन ग्राम पंचायतों को इस योजना से आच्छादित किया जाएगा. योजना के अंतर्गत 75 पानी टंकियां बनाई जानी हैं. इनमें 25 टंकियों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है. वहीं 50 टंकियां निर्माणाधीन है.
यह गांव हैं डार्क जोन में
जिले के मोहम्मदाबाद, गाजीपुर सदर, करंडा और जमानिया के ज्यादातर इलाके डार्क जोन में हैं. वहीं गंगा के तटवर्ती इलाकों में भू-गर्भ जल में फ्लोराइड की मात्रा काफी ज्यादा है. इससे इन इलाकों में रहने वाले लोग स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर बीमारियों से ग्रसित रहते हैं. इसे दूर करने के लिए गाजीपुर के 150 गांव को चिन्हित किया गया है. जहां भू-गर्भ जल अत्यंत दूषित है. टंकियों के निर्माण से स्थिति में बदलाव की उम्मीद जगी है. 25 टंकियों से सप्लाई शुरू कर दी गई है. वहीं आने वाले कुछ महीनों में निर्माणाधीन 50 टंकियों का काम भी पूरा हो जाएगा.
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परियोजना के प्रबंधक ने बताया
नीर निर्मल योजना के जिला परियोजना प्रबंधक नीरज गोविंद राव ने बताया कि यह विश्व बैंक से सहायता प्राप्त योजनाएं हैं. जिन इलाकों में पानी दूषित है, ऐसे 150 ग्राम पंचायतों का चयन किया गया है. इन ग्राम पंचायतों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए 75 टंकियां बनाई जानी है.
क्या कहती है रिपोर्ट
वर्ल्ड वॉटर डे पर जारी रिपोर्ट के मुताबिक भारत की करीब 50 फीसदी जनसंख्या (7.6 करोड़ लोग) के लिए पीने का पानी उपलब्ध नहीं है. करीब 1.4 लाख बच्चे हर साल गंदे पानी की वजह से होने वाली बीमारियों के कारण मर जाते हैं. जल संसाधन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश के 639 में से 158 जिलों के कई हिस्सों में भू-जल खारा हो चुका है और उनमें प्रदूषण का स्तर सरकारी सुरक्षा मानकों को पार कर गया है.
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वाइल्ड वॉटर रिपोर्ट के अनुसार देश में तेजी से बढ़ती आबादी, पानी की जरूरत में दिनों दिन हो रही बेतहाशा बढ़ोतरी, भू-जल के स्तर में कमी लाने वाली कृषि पद्धतियां और सरकारी योजनाओं के अभाव के कारण पानी की उपलब्धता प्रभावित हो रही है. देश के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले तकरीब 6.3 करोड़ लोगों को पीने का साफ पानी तक मयस्सर नहीं है. इसके कारण हैजा, मलेरिया, डेंगू, ट्रेकोमा जैसी बीमारियों के साथ-साथ कुपोषण के मामले भी बढ़ रहे हैं.