गाजीपुर: कहते हैं देशभक्ति भारत वासियों के रोम-रोम में हैं. जिंदगी में भले ही कितनी भी चुनौती हो, देश और तिरंगा सबसे ऊंचा रहे, यह अरमान सभी के दिल में रहता है. यही नहीं देशभक्ति के इसी जज्बे से कईयों की रोजी-रोटी भी चलती है. ऐसे ही हैं जिले में दो दिव्यांग भाई जो आंखों से तो नहीं देख सकते लेकिन इनके सुरों का जादू सुनने वालों के दिल और दिमाग पर छा जाता है. यह दोनों भाई अखिलेश और बबलू अपने गीत और साज की जुगलबंदी से परिवार का पेट पालते हैं.
दोनों के भाई के सुर में है जादू
सुरों का जादू ऐसा की किसी आयोजन में सुरों के जादू से चार चांद लगा दे. वहीं एक छोटा बच्चा है जो आयोजन स्थल तक जाने में उनकी लाठी बनता है. इनायतपुर के रहने वाले अखिलेश और बबलू पर भगवान की भी काफी इनायत है. अखिलेश सुरों का जादू बिखेरते हैं तो बबलू ढोलक पर थाप देते हैं. हालांकि जब हमारी मुलाकात उनसे हुई तब उनके पास साज नहीं था.
दोनों भाईयों को 26 जनवरी, 15 अगस्त और वैवाहिक कार्यक्रमों में दादरा, ठुमरी और देश भक्ति गीत के लिए कई बार बुलाया जाता है. दोनों के परिवार में सुर ही कमाई का एक जरिया है, लेकिन दिल में देशभक्ति और कुछ करने का जज्बा है जो इनके गाए गीत में सुना जा सकता है. "हमारे झंडा तिरंगा लहरल करेला, जैसे गंगा जी के पनिया बहाल करेला".
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