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गाजीपुर: 7 सेकंड में वीवीपैट के अंदर नहीं गिरी पर्ची, तो खराब मानी जाएगी मशीन - ईवीएम मशीन

2014 के चुनाव में ईवीएम के सुरक्षित और भरोसेमंद न होने पर विपक्ष के नेताओं ने लगातार विजयी पार्टी पर सवाल खड़े किए. इसमें कांग्रेस, बसपा, सपा, आप और सत्ताधारी पार्टी बीजेपी भी शामिल रही. इसके चलते लोकसभा चुनाव में सभी मतदान केंद्रों पर ईवीएम के साथ वीवीपैट मशीन भी इस्तेमाल होगी.

सात सेकंड में वीवीपैट में पर्ची नहीं देखी तो मानी जाएगी मतदाता का गलती
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Published : May 8, 2019, 3:20 PM IST

गाजीपुर: 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद विजयी पार्टी पर ईवीएम में धांधली करने के आरोप के बाद चुनाव आयोग ने 2019 में सभी मतदान केंद्रों पर वीवीपैट मशीन का इस्तेमाल किया जाना तय किया है. मतदाता के ईवीएम में अपने प्रत्याशी के सामने का नीला बटन दबाते ही वीवीपैट उस प्रत्याशी और पार्टी के नाम की पर्ची 7 सेकंड तक दिखाता है. इस तकनीकी पहलू की जानकारी जनता को प्रशिक्षकों द्वारा दी गई.

कैसे काम करती है VVPAT मशीन..?

  • वीवीपैट यानि वोटर वेरीफायएबल पेपर ऑडिट ट्रेल मशीन को ईवीएम मशीन के साथ जोड़ दिया जाता है.
  • जब मतदाता अपने मनचाहे प्रत्याशी के नाम के सामने ईवीएम मशीन पर बटन दबाता है, तो इस मशीन से एक पर्ची निकलती है.
  • इस पर्ची पर मतदाता द्वारा दिए गए वोट से संबंधित प्रत्याशी का नाम, चुनाव चिन्ह और पार्टी का नाम अंकित होता है.
  • इस पर्ची को मतदाता सिर्फ 7 सेकंड तक देख सकते हैं. उसके बाद यह पर्ची सीलबंद बॉक्स में गिर जाती है.
  • मतदाता अगर 7 सेकंड में उस पर्ची को नहीं देख पाता तो वह उसकी गलती मानी जाएगी.
  • अगर पर्ची 7 सेकंड में सीलबंद बॉक्स में नहीं गिरती है, तो मशीन की खराबी मानी जाएगी और उसे रिप्लेस किया जाएगा.
  • मतगणना के दौरान विवाद या मांग उठने पर वीवीपैट की पर्चियों और ईवीएम से पड़े वोटों का मिलान किया जाता है.
    सात सेकंड में वीवीपैट में पर्ची नहीं देखी तो मानी जाएगी मतदाता का गलती

अगर मतदाता वीवीपैट में पर्ची नहीं देख पाता, तो मतदाता की गलती मानी जाएगी. अगर किसी कारण से पर्ची वीवीपैट के अंदर लगे बॉक्स में कट कर नहीं गिरती, ऐसी स्थिति में वीवीपैट मशीन को बदला जाएगा. वीवीपैट में ज्यादातर समस्या इंस्टालेशन में आती है. मतदाता कर्मियों को इसकी ट्रेनिंग दी जा रही है.

- अमितेश सिंह, वीवीपैट प्रशिक्षक

गाजीपुर: 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद विजयी पार्टी पर ईवीएम में धांधली करने के आरोप के बाद चुनाव आयोग ने 2019 में सभी मतदान केंद्रों पर वीवीपैट मशीन का इस्तेमाल किया जाना तय किया है. मतदाता के ईवीएम में अपने प्रत्याशी के सामने का नीला बटन दबाते ही वीवीपैट उस प्रत्याशी और पार्टी के नाम की पर्ची 7 सेकंड तक दिखाता है. इस तकनीकी पहलू की जानकारी जनता को प्रशिक्षकों द्वारा दी गई.

कैसे काम करती है VVPAT मशीन..?

  • वीवीपैट यानि वोटर वेरीफायएबल पेपर ऑडिट ट्रेल मशीन को ईवीएम मशीन के साथ जोड़ दिया जाता है.
  • जब मतदाता अपने मनचाहे प्रत्याशी के नाम के सामने ईवीएम मशीन पर बटन दबाता है, तो इस मशीन से एक पर्ची निकलती है.
  • इस पर्ची पर मतदाता द्वारा दिए गए वोट से संबंधित प्रत्याशी का नाम, चुनाव चिन्ह और पार्टी का नाम अंकित होता है.
  • इस पर्ची को मतदाता सिर्फ 7 सेकंड तक देख सकते हैं. उसके बाद यह पर्ची सीलबंद बॉक्स में गिर जाती है.
  • मतदाता अगर 7 सेकंड में उस पर्ची को नहीं देख पाता तो वह उसकी गलती मानी जाएगी.
  • अगर पर्ची 7 सेकंड में सीलबंद बॉक्स में नहीं गिरती है, तो मशीन की खराबी मानी जाएगी और उसे रिप्लेस किया जाएगा.
  • मतगणना के दौरान विवाद या मांग उठने पर वीवीपैट की पर्चियों और ईवीएम से पड़े वोटों का मिलान किया जाता है.
    सात सेकंड में वीवीपैट में पर्ची नहीं देखी तो मानी जाएगी मतदाता का गलती

अगर मतदाता वीवीपैट में पर्ची नहीं देख पाता, तो मतदाता की गलती मानी जाएगी. अगर किसी कारण से पर्ची वीवीपैट के अंदर लगे बॉक्स में कट कर नहीं गिरती, ऐसी स्थिति में वीवीपैट मशीन को बदला जाएगा. वीवीपैट में ज्यादातर समस्या इंस्टालेशन में आती है. मतदाता कर्मियों को इसकी ट्रेनिंग दी जा रही है.

- अमितेश सिंह, वीवीपैट प्रशिक्षक

Intro:सात सेकंड में वीवीपैट में पर्ची नहीं देखी तो मानी जायेगी मतदाता का गलती

गाजीपुर। ईवीएम के सुरक्षित और भरोसेमंद ना होने पर विपक्ष के नेता लगातार सवाल उठते रहे। विजयी पार्टी पर ईवीएम में धांधली करने के आरोप लगते रहे हैं।जिसमें कांग्रेस, बसपा, सपा, आप और सत्ताधारी पार्टी बीजेपी खुद शामिल रही है। 2014 के आम चुनाव के बाद हुए विवाद के बाद चुनाव आयोग ने 2019 में सभी मतदान केंद्रों पर वीवीपैट मशीन का इस्तेमाल होना तय किया। जिसके तकनीकी पहलू की जानकारी जनता को नहीं है। जब मतदाता ईवीएम में अपने प्रत्याशी के सामने की नीली बटन दबाता है, तब वीवीपैट उस प्रत्याशी और पार्टी के नाम की पर्ची 7 सेकंड तक दिखता है।


Body:यदि मतदाता यह पर्ची नहीं देख पता। जिसमें उसने किसको वोट किया यह छपा होता है। तो मतदाता दोबारा पर्ची देखने के लिए कोई क्लेम नहीं कर सकता। यह उसकी गलती मानी जायेगी। किन्ही कारणों से पर्ची वीवीपैड के अंदर लगे बॉक्स में कट कर नहीं गिरती, तब मतदान प्रक्रिया पूरी नहीं मानी जायेगी। ऐशी स्थिति में वीवीपैड बदलनी पड़ेगी। वीवीपैड का आदर्श तापमान 45 से 50 डिग्री है। मौसम का ज़्यादा तापमान वीवीपैड में समस्या पैदा कर सकता है।अमूमन गर्मी की वजह से समस्या नहीं आती। ज्यादातर समस्या रखरखाव और इंस्टालेशन में आती है।






Conclusion:आइये आपको बताते हैं कैसे काम करती है VVPAT मशीन और कब हुआ पहली बार इस्तेमाल

VVPAT यानि वोटर वेरीफायएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (Voter Verifiable Paper Audit Trail) मशीन को ईवीएम मशीन के साथ जोड़ दिया जाता है। जब कोई मतदाता अपने पसंदीदा प्रत्याशी के नाम के सामने ईवीएम मशीन पर बटन डबाता है तो इस मशीन से एक पर्ची निकलती है। इस पर्ची पर मतदाता द्वारा दिए गए वोट से संबंधित प्रत्याशी का नाम, चुनाव चिन्ह और पार्टी का नाम अंकित होता है। जो मतदाता को दिखाता है कि उसका वोट किसे गया है। इस पर्ची और मतदाता के बीच एक स्क्रीन होती है, जिसके जरिए सिर्फ 7 सेकंड तक पर्ची को देखा जा सकता है। उसके बाद यह पर्ची सीलबंद बॉक्स में गिर जाती है। यदि मतदाता 7 सेकंड में उस पर्ची को नहीं देख पाता तो वह उसकी गलती मानी जाएगी। मतगणना के दौरान विवाद या मांग उठने पर वीवीपैड की पर्चियों और ईवीएम से पड़े वोटों का मिलान किया जाता है। आपको बता दें कि 5 चरणों की मतदान हो चुके हैं चौथी और पालवे चरण में समय स्थिति में विपक्षी दल चुनाव आयोग से वीवीपैड की पर्चियों और ईवीएम के मतों की गिनती करने की मांग की थी।जिसे चुनाव आयोग न अस्वीकार कर दिया।

बाइट - अमितेश सिंह ( ईवीएम, वीवीपैड प्रशिक्षक), विजुअल

उज्ज्वल कुमार राय, 7905590960
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