गाजीपुर: 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद विजयी पार्टी पर ईवीएम में धांधली करने के आरोप के बाद चुनाव आयोग ने 2019 में सभी मतदान केंद्रों पर वीवीपैट मशीन का इस्तेमाल किया जाना तय किया है. मतदाता के ईवीएम में अपने प्रत्याशी के सामने का नीला बटन दबाते ही वीवीपैट उस प्रत्याशी और पार्टी के नाम की पर्ची 7 सेकंड तक दिखाता है. इस तकनीकी पहलू की जानकारी जनता को प्रशिक्षकों द्वारा दी गई.
कैसे काम करती है VVPAT मशीन..?
- वीवीपैट यानि वोटर वेरीफायएबल पेपर ऑडिट ट्रेल मशीन को ईवीएम मशीन के साथ जोड़ दिया जाता है.
- जब मतदाता अपने मनचाहे प्रत्याशी के नाम के सामने ईवीएम मशीन पर बटन दबाता है, तो इस मशीन से एक पर्ची निकलती है.
- इस पर्ची पर मतदाता द्वारा दिए गए वोट से संबंधित प्रत्याशी का नाम, चुनाव चिन्ह और पार्टी का नाम अंकित होता है.
- इस पर्ची को मतदाता सिर्फ 7 सेकंड तक देख सकते हैं. उसके बाद यह पर्ची सीलबंद बॉक्स में गिर जाती है.
- मतदाता अगर 7 सेकंड में उस पर्ची को नहीं देख पाता तो वह उसकी गलती मानी जाएगी.
- अगर पर्ची 7 सेकंड में सीलबंद बॉक्स में नहीं गिरती है, तो मशीन की खराबी मानी जाएगी और उसे रिप्लेस किया जाएगा.
- मतगणना के दौरान विवाद या मांग उठने पर वीवीपैट की पर्चियों और ईवीएम से पड़े वोटों का मिलान किया जाता है.
अगर मतदाता वीवीपैट में पर्ची नहीं देख पाता, तो मतदाता की गलती मानी जाएगी. अगर किसी कारण से पर्ची वीवीपैट के अंदर लगे बॉक्स में कट कर नहीं गिरती, ऐसी स्थिति में वीवीपैट मशीन को बदला जाएगा. वीवीपैट में ज्यादातर समस्या इंस्टालेशन में आती है. मतदाता कर्मियों को इसकी ट्रेनिंग दी जा रही है.
- अमितेश सिंह, वीवीपैट प्रशिक्षक