गाजीपुर: यूपी में गंगा के तटवर्ती जिलों में बाढ़ का पानी बढ़ने और घटने का सिलसिला लगातार जारी है. जिसके चलते गाजीपुर में भी बाढ़ का पानी लगभग उतर चुका है. राहत शिविरों से लोग अपने घरों को लौटने लगे हैं, लेकिन बाढ़ के बाद की परिस्थितियां लोगों के लिये परेशानी का सबब बनी हुई हैं. बाढ़ के पानी से कीचड़, सांप, बिच्छू का खतरा भी बना हुआ है. इस स्थिति से निपटने के लिए गाजीपुर स्वास्थ्य विभाग लगातार जुटा हुआ है.
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बाढ़ के बाद छाया महामारी का खतरा
महामारी के खतरों से लोगों को बचाने के लिये राज्य सरकार और जिला प्रशासन लगा हुआ है. स्वास्थ्य विभाग की टीमें और स्थानीय सीएचसी, पीएचसी भी इस काम में लगी हुईं हैं. जिससे लोगों को स्वच्छ पीने का पानी, सांप और जहरीले जीवों के काटने पर इंजेक्शन दवाएं पर्याप्त मात्रा में कैंपों पर उपलब्ध कराई जा सके.
बीमारियों से निपटने के लिये तैनात की गयी राहत टीमें
बाढ़ प्रभावित इलाकों में हर व्यक्ति को क्लोरीन की गोली दी जा रही है. ब्लीचिंग पाउडर उपलब्ध कराने की भी व्यवस्था की गयी है. पानी और बढ़ भी सकता है, ऐसे में हर स्थिति से निपटने के लिए 92 बाढ़ चौकियां भी बनाई गई हैं. सभी चौकियों पर राहत टीमों की तैनाती की गई है. इस टीम में एक डॉक्टर एक फार्मासिस्ट और वार्ड बॉय व महिला कार्यकर्ता भी मौजूद है. बाढ़ से निपटने के लिए 8 सीएचसी, पीएचसी लगे हैं. वहीं सांप काटने की दवा 90 से 155 फॉयल हर केंद्र पर उपलब्ध है. लोगों को पानी में डालने के लिए क्लोरीन की गोलियां भी उपलब्ध कराई जा रही है.
बाढ़ से निपटने के लिये हमारी मेडिकल टीमें लगी हुई हैं. स्वास्थ्य विभाग के पास पर्याप्त मात्रा में दवाओं का स्टॉक है. सांप काटने का वैक्सीन हमारे पास है. बाढ़ के अशुद्ध पानी से निपटने के लिये क्लोरीन की गोली भी दी जा रही है. सभी प्रकार की बीमारियों से निपटने के लिये कुल 90 प्रकार की दवाओं का तीन महीने का स्टॉक विभाग के पास उपलब्ध है. सभी रिलीफ कैम्प में मेडिकल चेकअप कैम्प चलाए जा रहे हैं. इसके अलावा इमरजेंसी से निपटने के लिये मेडिकल वैन की पर्याप्त संख्या में व्यवस्था की गई है.
- डॉ. आर के सिन्हा, बाढ़ राहत नोडल अधिकारी