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गाजीपुर के शोधार्थी ने गंगा की मिट्टी से पैदा की बिजली, राष्ट्रपति करेंगे सम्मानित - गांधीवादी यंग टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन अवार्ड

यूपी के गाजीपुर जिले में जितेन्द्र प्रसाद को अभिनव शोध के लिए गांधीवादी यंग टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन अवार्ड 2020 के लिए चुना गया है. यह पुरस्कार उन्हें नई दिल्ली में राष्ट्रपति द्वारा दिया जाएगा.

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जितेन्द्र.
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Published : Aug 18, 2020, 3:22 AM IST

गाजीपुर: जनपद में मुहम्मदाबाद के शक्करपुर निवासी जितेन्द्र प्रसाद को अभिनव शोध के लिए गांधीवादी यंग टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन अवार्ड 2020 के लिए चुना गया है. यह पुरस्कार उन्हें नई दिल्ली में राष्ट्रपति द्वारा दिया जाएगा. होनहार शोधार्थी की कामयाबी से गाजीपुर का नाम पूरे देश में रोशन हुआ है.

बता दें कि, जितेन्द्र प्रसाद को गांधीवादी यंग टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन अवार्ड दूर-दराज क्षेत्रों में प्रकाश के लिए गंगा नदी की मिट्टी से बिजली उत्पादन करने की तकनीक विकसित करने के लिए दिया जाएगा. इस तकनीक का प्रयोग कर जितेन्द्र ने 12 वोल्ट की बैट्री को चार्ज किया है. इसके बाद उसे 230 वोल्ट की एसी वोल्टेज में बदलकर बिजली के बल्ब को 9 घंटे तक जलाया है. उनके इस अभिनव शोध के लिए उन्हें राष्ट्रपति भवन में सम्मानित किया जाएगा.

जानकारी केमुताबिक जितेन्द्र लेबोरेट्री मे 14-14 घंटे काम करते थे. 4 वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद इस टेक्नोलॉजी को विकसित करने में उन्हें कामयाबी मिल सकी है. इस तकनीकी से सुदूर ग्रामीण, तटवर्ती इलाकों में प्रकाश की व्यस्था करने में आसानी हो सकेगी. इससे इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस और सैन्य वायरलेस को भी शक्ति का प्रदान की जा सकेगी. जितेंद्र का यह आविष्कार ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत के रूप में लाभकारी साबित हो सकता है.

गाजीपुर: जनपद में मुहम्मदाबाद के शक्करपुर निवासी जितेन्द्र प्रसाद को अभिनव शोध के लिए गांधीवादी यंग टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन अवार्ड 2020 के लिए चुना गया है. यह पुरस्कार उन्हें नई दिल्ली में राष्ट्रपति द्वारा दिया जाएगा. होनहार शोधार्थी की कामयाबी से गाजीपुर का नाम पूरे देश में रोशन हुआ है.

बता दें कि, जितेन्द्र प्रसाद को गांधीवादी यंग टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन अवार्ड दूर-दराज क्षेत्रों में प्रकाश के लिए गंगा नदी की मिट्टी से बिजली उत्पादन करने की तकनीक विकसित करने के लिए दिया जाएगा. इस तकनीक का प्रयोग कर जितेन्द्र ने 12 वोल्ट की बैट्री को चार्ज किया है. इसके बाद उसे 230 वोल्ट की एसी वोल्टेज में बदलकर बिजली के बल्ब को 9 घंटे तक जलाया है. उनके इस अभिनव शोध के लिए उन्हें राष्ट्रपति भवन में सम्मानित किया जाएगा.

जानकारी केमुताबिक जितेन्द्र लेबोरेट्री मे 14-14 घंटे काम करते थे. 4 वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद इस टेक्नोलॉजी को विकसित करने में उन्हें कामयाबी मिल सकी है. इस तकनीकी से सुदूर ग्रामीण, तटवर्ती इलाकों में प्रकाश की व्यस्था करने में आसानी हो सकेगी. इससे इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस और सैन्य वायरलेस को भी शक्ति का प्रदान की जा सकेगी. जितेंद्र का यह आविष्कार ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत के रूप में लाभकारी साबित हो सकता है.

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