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गाजीपुर: जन्माष्टमी के दिन रामभजन लगा अटपटा, कर दी काव्य ग्रंथ 'कृष्नायन' की रचना

उत्तर प्रदेश में गाजीपुर के रामबदन राय ने काव्य ग्रंथ 'कृष्नायन' की रचना की है. उनके इस ग्रन्थ में भगवान कृष्ण के जन्म सहित उनकी लीलाओं और प्रसंगों का मार्मिक वर्णन मिलता है. ईटीवी भारत ने 'कृष्नायन' की रचना करने वाले रामबदन राय से बातचीत की.

rambadan rai
रामबदन राय
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Published : Aug 12, 2020, 10:18 PM IST

गाजीपुर: जीवन के कुछ ऐसे पल होते हैं जो हमें नेक और अच्छे कार्य करने की प्रेरणा देते हैं. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन रामजन्म का भजन सुनकर जिले के जोगा मुसाहिब निवासी रामबदन राय ने काव्य ग्रंथ 'कृष्नायन' की रचना कर दी. इसमें भगवान कृष्ण के जन्म सहित उनकी लीलाओं और प्रसंगों का मार्मिक वर्णन मिलता है.

rambadan rai
काव्य ग्रंथ 'कृष्नायन'

'कृष्नायन' रचना को लेकर ईटीवी भारत ने रामबदन राय से खास बातचीत की. सन 1999 में हुए एक वाकये का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि उनके गांव जोगा मुसाहिब में जन्माष्टमी का आयोजन किया गया था. लेकिन भगवान कृष्ण के जन्म के अवसर पर मेरे पड़ोस में श्रीकृष्म जन्मोत्सव पर भगवान राम के जन्म का भजन-कीर्तन किया जा रहा था. उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण के जन्म पर मर्यादा पुरुषोत्तम राम का गीत गाना मुझे अटपटा लगा. कार्यक्रम की समाप्ति के बाद मैंने उनसे इस बारे में कहा, तब लोगों ने मुझसे कहा कि आप ही कुछ लिख दो, जो कृष्ण जन्माष्टमी पर गाया जा सके.

'कृष्नायन' काव्य ग्रंथ की रचना
रामबदन राय लिखने के शौकीन थे. इस दिन के बाद उसी रात को उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के जीवन पर आधारित 'कृष्नायन' काव्य ग्रंथ की रचना शुरू कर दी. यह रचना तुलसीकृत रामचरितमानस की तरह दोहा, चौपाई और सोरठा शैली में 'कृष्नायन' महाकाव्य की रचना की है. रामबदन राय ने बताया कि लोगों को यह बहुत पसन्द आया. बलिया, गाजीपुर, बनारस में इसके पाठ किए जा रहे थे. कई उत्सवों पर मुझे भी बुलाया गया था.

'कृष्नायन' के रचयिता रामबदन राय से बातचीत.

'कृष्नायन' के दो संस्करण हुए प्रकाशित
वाराणसी स्थित विश्वविद्यालय प्रकाशन के मालिक रहे पुरुषोत्तम दास मोदी ने 'कृष्नायन' का प्रथम संस्करण सन 2002 में प्रकाशित किया. प्रथम संस्करण की रचना में तकरीबन ढाई वर्ष लगे. जिसके बाद प्रथम संस्करण को आगे बढ़ाते हुए सुधार और नई चीजों को जोड़ते हुए द्वितीय संस्करण की रचना की गई. द्वितीय संस्करण 2009 में प्रकाशित किया गया.

विदेशों तक है मांग
इसकी मांग मॉरीशस तक हुई. इस पुस्तक की ख्याति देश के साथ ही विदेशों तक है. रामबदन राय खरडीहा डिग्री कॉलेज में इतिहास के शिक्षक रह चुके हैं. अब तक रामबदन राय की कुल 16 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं. कृष्नायन में भगवान कृष्ण के चरित्र प्रसंग को गेय रूप में लिखा गया है, जिसका पाठ जन्माष्टमी और भगवान कृष्ण से जुड़े अवसरों पर किया जाता है.

गाजीपुर: जीवन के कुछ ऐसे पल होते हैं जो हमें नेक और अच्छे कार्य करने की प्रेरणा देते हैं. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन रामजन्म का भजन सुनकर जिले के जोगा मुसाहिब निवासी रामबदन राय ने काव्य ग्रंथ 'कृष्नायन' की रचना कर दी. इसमें भगवान कृष्ण के जन्म सहित उनकी लीलाओं और प्रसंगों का मार्मिक वर्णन मिलता है.

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काव्य ग्रंथ 'कृष्नायन'

'कृष्नायन' रचना को लेकर ईटीवी भारत ने रामबदन राय से खास बातचीत की. सन 1999 में हुए एक वाकये का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि उनके गांव जोगा मुसाहिब में जन्माष्टमी का आयोजन किया गया था. लेकिन भगवान कृष्ण के जन्म के अवसर पर मेरे पड़ोस में श्रीकृष्म जन्मोत्सव पर भगवान राम के जन्म का भजन-कीर्तन किया जा रहा था. उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण के जन्म पर मर्यादा पुरुषोत्तम राम का गीत गाना मुझे अटपटा लगा. कार्यक्रम की समाप्ति के बाद मैंने उनसे इस बारे में कहा, तब लोगों ने मुझसे कहा कि आप ही कुछ लिख दो, जो कृष्ण जन्माष्टमी पर गाया जा सके.

'कृष्नायन' काव्य ग्रंथ की रचना
रामबदन राय लिखने के शौकीन थे. इस दिन के बाद उसी रात को उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के जीवन पर आधारित 'कृष्नायन' काव्य ग्रंथ की रचना शुरू कर दी. यह रचना तुलसीकृत रामचरितमानस की तरह दोहा, चौपाई और सोरठा शैली में 'कृष्नायन' महाकाव्य की रचना की है. रामबदन राय ने बताया कि लोगों को यह बहुत पसन्द आया. बलिया, गाजीपुर, बनारस में इसके पाठ किए जा रहे थे. कई उत्सवों पर मुझे भी बुलाया गया था.

'कृष्नायन' के रचयिता रामबदन राय से बातचीत.

'कृष्नायन' के दो संस्करण हुए प्रकाशित
वाराणसी स्थित विश्वविद्यालय प्रकाशन के मालिक रहे पुरुषोत्तम दास मोदी ने 'कृष्नायन' का प्रथम संस्करण सन 2002 में प्रकाशित किया. प्रथम संस्करण की रचना में तकरीबन ढाई वर्ष लगे. जिसके बाद प्रथम संस्करण को आगे बढ़ाते हुए सुधार और नई चीजों को जोड़ते हुए द्वितीय संस्करण की रचना की गई. द्वितीय संस्करण 2009 में प्रकाशित किया गया.

विदेशों तक है मांग
इसकी मांग मॉरीशस तक हुई. इस पुस्तक की ख्याति देश के साथ ही विदेशों तक है. रामबदन राय खरडीहा डिग्री कॉलेज में इतिहास के शिक्षक रह चुके हैं. अब तक रामबदन राय की कुल 16 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं. कृष्नायन में भगवान कृष्ण के चरित्र प्रसंग को गेय रूप में लिखा गया है, जिसका पाठ जन्माष्टमी और भगवान कृष्ण से जुड़े अवसरों पर किया जाता है.

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