गाजीपुर : पिछले 10 दिनों से पूरे प्रदेश में लगातार बारिश हो रही है. बारिश धान की खेती करने वाले किसानों के लिए लाभ पहुंचाने का काम किया है. तो वहीं एक तरफ किसानों को करोड़ों रुपयों का नुकसान भी हुआ है. बारिश की वजह से जनपद के मोहम्मदाबाद में जहां पर धान की खेती के पहले 70 से 80 दिनों की खेती कहे जाने वाली उड़द और मूंग की खेती की जाती है. लेकिन, इस बार की बारिश ने इनकी फसल को खेत में ही बर्बाद कर दिया है. जिसकी वजह से इलाके के किसान करोड़ों रुपए के नुकसान होने की बात कह रहे हैं.
जनपद गाजीपुर में किसान रवि और खरीफ के अलावा कई अन्य फसलों को अपने खेतों में लगाकर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए की आमदनी करते हैं. उड़द और मूंग की फसल मात्र 70-80 दिनों में तैयार हो जाती है. इसमें प्रोटीन और नाइट्रोजन स्थिरीकरण के साथ हरी खाद के गुण बहुत अधिक मात्रा में होते हैं. इस के चलते भूमि की उर्वरा शक्ति के लिए संजीवनी और किसानों की आय को बढ़ती है.
बता दें कि हरी खाद और अतिरिक्त नाइट्रोजन की उपलब्धता का लाभ अगली फसल में कम लागत में बेहतर उपज के रूप में मिलता है. इसकी बोआई का उचित समय फरवरी के तीसरे हफ्ते से लेकर अप्रैल के पहला हफ्ता है. इसकी खेती जनपद के मोहम्दाबाद तहसील में भारी मात्रा में किया जााता है.
इन फसलों का जायजा लेने के लिए etv bharat गाजीपुर के सेमरा गांव पहुंचा. जहां के किसान उड़द और मूंग की भाारी मात्रा में खेती किए हुए थे. ताकि इस फसल से किसानों को अधिक लाभ हो सके. लेकिन, पिछले 10 दिनों से हो रही लगातार बारिश ने इन किसानों की कमर तोड़ दी. क्योंकि उनकी यह फसल खेत में अत्यधिक बारिश होने से पूरी तरह से सड़ चुकी है. जिसे किसान अपने पशुओं को भी नहींं खिला सकते हैं. इनसे जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि उनके गांव में अधिकतर लोग मौजूदा समय में उड़द और मूंग की खेती किए हुए हैं और लगभग सभी लोगों का मिलाकर करीब एक करोड़ के आसपास फसल नुकसान हुआ है. ऐसे में इन लोगों ने जिला प्रशासन और उत्तर प्रदेश सरकार से मदद की गुहार लगाई है.
वहीं किसानों की इन समस्याओं के बारे में जिला कृषि अधिकारी मृत्युंजय सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह फसल जायद में आती है और अधिकतर किसान सिर्फ रवि और खरीफ की फसल का बीमा कराते हैं. ऐसे में जिन किसानों ने भी इस फसल का बीमा कराया है वह तत्काल इस संबंध में उनके कार्यालय में लिखित पत्र दे और यदि बीमा न हो तो तहसील कार्यालय में इसके संबंध में पत्र दे, ताकि आपदा राहत से उन किसानों की कुछ मदद हो सके.
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