गाजीपुर: भारतीय जनता पार्टी द्वारा मनोज सिन्हा को गाजीपुर संसदीय सीट से लोकसभा प्रत्याशी घोषित करने के बाद तमाम अटकलों पर विराम लग गया है. मंगलवार को पार्टी आलाकमान ने गाजीपुर से मनोज सिन्हा के नाम पर मुहर लगा दी है. बता दें कि पिछले काफी दिनों से मनोज सिन्हा के नाम को लेकर सियासी गलियारों में अटकलें लगाई जा रही थी. खुद मनोज सिन्हा ने वाराणसी में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था कि अगर वह गाजीपुर की सीट से चुनाव नहीं लड़ेंगे तो वह चुनाव भी नहीं लड़ेंगे.
मनोज सिन्हा प्रधानमंत्री मोदी के करीबी माने जाते हैं. उनके पास रेल राज्य मंत्री और दूरसंचार स्वतंत्र जैसे अहम मंत्रालय की कमान है. 2019 के सियासी घमासान में मनोज सिन्हा सातवीं बार चुनाव लड़ेंगे. हालांकि इससे पूर्व भी वह 6 बार चुनाव लड़ चुके हैं. जिसमें उन्हें 3 बार हार का सामना भी करना पड़ा और 3 बार जीत भी मिली है.
2014 के चुनाव में उन्होंने सपा प्रत्याशी शिवकन्या कुशवाहा को पराजित कर जीत हासिल की थी. मनोज सिन्हा को 306929 मत मिले थे जबकि सपा की शिवकन्या कुशवाहा को 274477 मत मिले थे. हालांकि मोदी लहर के बावजूद जीत का अंतर महज 32,452 मतों का ही था. इस बार बसपा सपा गठबंधन से बसपा के टिकट से मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी के चुनाव लड़ने की बात कही जा रही है.
गाज़ीपुर सीट को लेकर इत्तेफाक कहें या गाजीपुर की जनता के मूड को देश का मूड माने. इस सीट की सबसे दिलचस्प बात यह है कि जब जब बीजेपी ने गाजीपुर का किला फतेह किया है. तब तब केंद्र में भाजपा की सरकार बनी है. चाहे वह अटल बिहारी वाजपेई की 13 दिन की सरकार रही हो या प्रधानमंत्री मोदी की पूर्ण बहुमत की सरकार. अब देखना यह दिलचस्प होगा कि 2019 में गाजीपुर की सीट किसके पाले में जाती है.