गाजीपुरः मां दुर्गा की 51 शक्ति पीठों में से मां कष्टहरणी का एक प्रमुख पीठ है. मान्यता है कि मां अपने भक्तों के संकटों को पल भर में हर लेती हैं और दरबार में पहुंचे भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. मां कष्टहरणी का मंदिर गाजीपुर मुहम्मदाबाद से चितबड़ा गांव करीमुद्दीनपुर थाने के पास स्थित है. इस जगह को दारूकवन के नाम से भी जाना जाता था. त्रेतायुग में भगवान राम ने लक्ष्मण और महर्षि विश्वामित्र के साथ सिद्धाश्रम बक्सर जाते समय मां कष्टहरणी के दर्शन किए थे. यहां मां कष्टहरणी ने भगवान राम को आशीर्वाद दिया था.
बलिया व गाजीपुर की सीमा पर कामेश्वर नाथ धाम स्थित है. इस स्थान पर भी श्रीराम के पहुंचने का प्रमाण मिलता है. यहां पर प्रभु कामेश्वर नाथ धाम में दर्शन-पूजन कर रात्रि विश्राम किया और सुबह सभी गंगा पार कर बक्सर बिहार स्थित सिद्धाश्रम पहुंचे थे. यह कामेश्वर नाथ धाम वही स्थान है, जहां समाधिस्थ शिव को जगाने में कामदेव भष्म हो गए थे. त्रेता युग में अयोध्या नरेश महाराज दशरथ अयोध्या से शिकार खेलते-खेलते गाजीपुर जनपद के इस धाम तक आ गए थे.
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द्वापर युग में धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने भाइयों, द्रौपदी व कुल गुरु धौम्य ॠषी के साथ मां कष्टहरणी धाम में आकर मां से अपने कष्टों को दूर करने के लिए प्रार्थना की थी. मां के आशीर्वाद से महाभारत के युद्ध में पांडवों की विजय हुई थी. राजसूर्य यज्ञ के समय भीम ने हस्तिनापुर से श्री गोरखनाथ जी को निमंत्रण देने जाते समय भी मां कष्टहरणी के दर्शन पूजन किए थे. कलयुग में बाबा कीनाराम जी को स्वयं मां कष्टहरणी ने अपने हाथ से प्रसाद प्रदान कर सिद्धियां प्रदान की थीं.
मां के धाम में गौतमबुद्ध, सम्राट अशोक, ह्वेन सांग, फाह्यान, स्वामी विवेकानन्द, सहजानन्द सरस्वती, मंडन मिश्र जैसे अनेक लोगों ने इस मार्ग से जाते समय यहां रुककर मां के दर्शन किए थे. ह्वेनसांग व फाह्यान ने यहां का वर्णन अपनी यात्रा वृतांत में किया है. मां के धाम में आश्विन चैत्र नवरात्र में भक्त दूर-दूर से आकर अपने परिवार की सुख-समृद्धि व सलामती के लिए अखंड दीपक जलाती व जगराता करती हैं.
रामनवमी के दिन मां के धाम पर विराट मेले का आयोजन किया जाता है.
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