गाजीपुर: आधुनिक भारत की नई तस्वीर सभी के सामने है. भारतीय विज्ञान दिवस के अवसर पर भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई ने जय जवान, जय किसान के साथ जय विज्ञान का नारा भी दिया था, लेकिन आधुनिकता के इस दौर में नए भारत के निर्माण की नींव को ही भूल गए. हम बात कर रहे हैं भारतीयों की वैज्ञानिक सोच को विकसित करने के लिए जिले में बनी पहली इंडियन साइंटिफिक सोसायटी की. जिसका निर्माण सन 1860 में सर सैयद अहमद खान ने किया था.
अंग्रेजी शासन काल में भारतीयों को वैज्ञानिक शिक्षा का अभाव था. तब जिले में मुनसफ मजिस्ट्रेट रहते हुए महान शिक्षाविद सर सैयद अहमद खान ने सन 1860 में इंडियन साइंटिफिक सोसायटी की स्थापना की थी. उनका मानना था कि आधुनिक शिक्षा और अंग्रेजी का प्रयोग भारतीयों को शिखर पर ले जा सकता है.
बालिकाओं को बेहतर तालीम देने के लिए की गई थी स्थापना
जिसके बाद उन्होंने बालिका शिक्षा और सभी की बेहतर तालीम के लिए इंडियन साइंटिफिक सोसायटी के स्थापना की. साथ ही वैज्ञानिक किताबों का हिंदी, उर्दू एवं अंग्रेजी तीनों भाषाओं में प्रकाशन शुरू किया. भारत में वैज्ञानिक शिक्षा की अलख जगाने का श्रेय गाजीपुर जनपद एवं शिक्षाविद सर सैयद अहमद खान को ही जाता है.
समाजवादी सरकार में संस्कृति मंत्री और धर्मार्थ कार्य मंत्री रहे विजय मिश्र ने सर सैयद अहमद खान की स्मृतियों को संजोने का प्रयास किया. कॉलेज में सर सैयद के नाम से एक ऑडिटोरियम और लाइब्रेरी का भी निर्माण कराया गया. कॉलेज की छात्रा फातिमा ने बताया कि उनकी स्मृति सर सैयद अहमद खान की स्मृति में स्थापित लाइब्रेरी हम लोगों को अच्छी तालीम देने में काफी सहायक है, लेकिन सर सैयद के द्वारा स्थापित प्रेस भवन काफी पुराना हो चुका है. सरकार को इसके मरम्मत के लिए आगे आना चाहिए. वरिष्ठ पत्रकार कमलेश राय ने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की तर्ज पर गाजीपुर में भी एक विश्वविद्यालय स्थापित होना चाहिए.
पीजी कॉलेज के प्राचार्य, प्रख्यात इतिहासकार डॉ. समर बहादुर सिंह ने बताया कि सर सैयद अहमद खान का भारतीय विज्ञान में अहम योगदान है. भारतीयों को अंग्रेजी भाषा एवं वैज्ञानिक शिक्षा से जोड़ने में उन्होंने काफी प्रयास किया. उन्होंने बताया कि धार्मिक सोच के अलावा वैज्ञानिक सोच को विकसित करने के पैरोकार थे सर सैयद, जिससे लोगों में तार्किक सोच विकसित हो. पुरुष सभी समान रूप से पढ़ कर आगे बढ़ सके.