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गोलियों की बौछार के बीच आठ शहीदों ने फहराया था तिरंगा

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Published : Aug 18, 2019, 11:46 PM IST

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में 18 अगस्त 1942 को आठ जवानों ने तहसील परिसर में तिरंगा फहराने निकले थे. इस दौरान ये जवान ब्रिटिश पुलिस की गोलियों का शिकार हो गए, लेकिन तिरंगे को झुकने नहीं दिया.

गाजीपुर की आठ शहीदों की कहानी.

गाजीपुर: आज ही के दिन यानी 18 अगस्त1942 को गाजीपुर के आठ जवानों ने तिरंगे के सम्मान के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी थी. मोहम्मदाबाद तहसील के छोटे से गांव में आठ जवानों ने तहसील परिसर में तिरंगा फहराने की शपथ ली. जिसकी कीमत उन्हें अपनी जान देकर चुकानी पड़ी.

गाजीपुर की आठ शहीदों की कहानी.

ब्रिटिश पुलिस इन पर गोलियां चलाती रही, लेकिन उनके हाथ तहसील परिसर में तिरंगा फहराने से पहले नहीं थमे. शहीद संग्रहालय में गोलियों से छलनी वह तिरंगा आज भी आजादी के दीवानों की दीवानगी की गवाही दे रहा है.

तहसील परिसर में तिरंगा लहराने निकली जवानों की टोली
18 अगस्त 1942 को शिवपूजन राय के नेतृत्व में आठ नौजवानों की एक टोली मोहम्मदाबाद तहसील पर तिरंगा लहराने के लिए रवाना हुई. कुछ दूर जाने के बाद ये टोली दो भागों में बंट गई. जिनमें से एक का नेतृत्व शिवपूजन राय वहीं दूसरी टोली तिलेश्वर राय के नेतृत्व में आगे बढ़ रही थी.

ब्रिटिश पुलिस ने शुरू की फायरिंग
तिलेश्वर राय तहसील परिसर की बाउंड्री पार करके तिरंगा फहराने के लिए आगे बढ़े. इससे बौखलाई ब्रिटिश पुलिस ने फायरिंग शुरु कर दी, लेकिन इन वीरों ने तिरंगा गिरने नहीं दिया. दूसरी तरफ से शिवपूजन राय के नेतृत्व की टुकड़ी भीम तहसील परिसर पहुंच कर तिरंगा फहराया. यहां भी ब्रिटिश पुलिस शिवपूजन की टुकड़ी पर फायरिंग शुरू कर दी.

हर साल मनाया जाता है शहादत दिवस
इस दौरान ये आठों जांबाज ब्रिटिश पुलिस की गोलियों का शिकार हो गए, लेकिन तिरंगे को झुकने नहीं दिया. देश की आजादी के बाद मोहम्दाबाद तहसील परिसर को शहीद पार्क में तब्दील कर दिया गया. इन शहीदों की कुर्बानी को देखते हुए हर साल 18 अगस्त को उन आठों शहीदों के नाम पर शहादत दिवस मनाया जाता है.

गाजीपुर: आज ही के दिन यानी 18 अगस्त1942 को गाजीपुर के आठ जवानों ने तिरंगे के सम्मान के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी थी. मोहम्मदाबाद तहसील के छोटे से गांव में आठ जवानों ने तहसील परिसर में तिरंगा फहराने की शपथ ली. जिसकी कीमत उन्हें अपनी जान देकर चुकानी पड़ी.

गाजीपुर की आठ शहीदों की कहानी.

ब्रिटिश पुलिस इन पर गोलियां चलाती रही, लेकिन उनके हाथ तहसील परिसर में तिरंगा फहराने से पहले नहीं थमे. शहीद संग्रहालय में गोलियों से छलनी वह तिरंगा आज भी आजादी के दीवानों की दीवानगी की गवाही दे रहा है.

तहसील परिसर में तिरंगा लहराने निकली जवानों की टोली
18 अगस्त 1942 को शिवपूजन राय के नेतृत्व में आठ नौजवानों की एक टोली मोहम्मदाबाद तहसील पर तिरंगा लहराने के लिए रवाना हुई. कुछ दूर जाने के बाद ये टोली दो भागों में बंट गई. जिनमें से एक का नेतृत्व शिवपूजन राय वहीं दूसरी टोली तिलेश्वर राय के नेतृत्व में आगे बढ़ रही थी.

ब्रिटिश पुलिस ने शुरू की फायरिंग
तिलेश्वर राय तहसील परिसर की बाउंड्री पार करके तिरंगा फहराने के लिए आगे बढ़े. इससे बौखलाई ब्रिटिश पुलिस ने फायरिंग शुरु कर दी, लेकिन इन वीरों ने तिरंगा गिरने नहीं दिया. दूसरी तरफ से शिवपूजन राय के नेतृत्व की टुकड़ी भीम तहसील परिसर पहुंच कर तिरंगा फहराया. यहां भी ब्रिटिश पुलिस शिवपूजन की टुकड़ी पर फायरिंग शुरू कर दी.

हर साल मनाया जाता है शहादत दिवस
इस दौरान ये आठों जांबाज ब्रिटिश पुलिस की गोलियों का शिकार हो गए, लेकिन तिरंगे को झुकने नहीं दिया. देश की आजादी के बाद मोहम्दाबाद तहसील परिसर को शहीद पार्क में तब्दील कर दिया गया. इन शहीदों की कुर्बानी को देखते हुए हर साल 18 अगस्त को उन आठों शहीदों के नाम पर शहादत दिवस मनाया जाता है.

Intro:गोलियों की बौछार के बीच अष्ट शहीदों ने फहराया था तिरंगा

गाजीपुर। शहीदी धरती गाजीपुर में शहादत की एक ऐशी कहानी जो गाजीपुर शहर से लगभग 30 किलोमीटर दूर महमूदाबाद के छोटे से गाँव से शुरू होती है। जहां आजादी के दीवानों ने 18 अगस्त1942 को ही आजादी का बिगुल फूक दिया था। भारत माता की जय के नारे के साथ मोहम्मदाबाद तहसील परिसर में तिरंगा लहराने के लिए अंग्रेजों की गोलिया झेली। खून से रंगे हाथ तहसील परिसर में तिरंगा झंडा फहराने से पहले नही थामे। शहीद संग्रहालय में गोलियों से छलनी वह तिरंगा आजादी के दीवानों की दीवानगी की गवाही आज भी कर रहा है। यह कहानी उन्ही अष्ट शहीदों की है।

Body:आज ही के दिन 18 अगस्त 1942 को शिवपूजन राय के नेतृत्व में एक डोली मोहम्मदाबाद तहसील पर तिरंगा लहराने के लिए रवाना हुई। थोड़ी दूर आने पर अहिरौली के पास टोली दो भागों में बट जाती है। एक टोली का नेतृत्व खुद शिवपूजन राय तो दूसरी टोली तिलेश्वर राय के नेतृत्व में शहनिन्दा होते हुए दूसरे रास्ते से मोहम्मदाबाद तहसील पहुंचती है। तिलेश्वर राय तहसील परिसर की बाउंड्री खान कर सबसे पहले तिरंगा फहराने के लिए तिरंगा हाथों में लिए आगे बढ़ते हैं ब्रिटिश पुलिस के द्वारा फायरिंग शुरू कर दी जाती है। वीरों को गोलिया लगती जाती है लेकिन बाकी आजादी के दीवाने झंडा गिरने नहीं देते।

Conclusion:तभी दूसरी तरफ से शिवपूजन राय के नेतृत्व की टुकड़ी भीम तहसील परिसर पहुंचती है। गोली की बौछार के बीच वह तिरंगा फहराते हुए ही अंग्रेजों की गोली के शिकार होते हैं। आजादी के ये 8 दीवाने अंग्रेजों की गोली के शिकार बनते हैं। बाद में मोहम्दाबाद तहसील परिसर को शहीद पार्क में तब्दील कर दिया जाता है।जहाँ हर वर्ष 18 अगस्त को उन अष्ट शहीदों के नाम शहादत दिवस मनाया जाता है।

बाइट - मिथिलेश कुमार राय ( शहीद इंटर कॉलेज के अध्यापक )
बाइट - दीनानाथ शास्त्री ( शहीद शिवपूजन राय के पुत्र )

उज्ज्वल कुमार राय, 7905590960
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