गाजीपुरः जिले के युवा किसान सुनील सिंह यादव का पूरा परिवार खेती पर ही आश्रित है. इसी से उनके पूरे परिवार का जीविकोपार्जन चल रहा है. इसके अलावा बच्चों की शिक्षा-दीक्षा से लेकर बेटियों की शादी तक के लिए धन जुटाने का एक मात्र साधन खेती ही है. लेकिन इस वक्त सुनील प्राकृतिक आपदा की मार से परेशान हैं. उनका कहना है कि किसान जाएं तो कहां जाएं.
बारिश से हुए नुकसान को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने ग्राउंड रिपोर्ट की. टीम किसानों के खेत में पहुंची और किसानों के हुए नुकसान के बारे में जानने का प्रयास किया. इस दौरान गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद तहसील क्षेत्र के बकसपुरा गांव के युवा किसान सुनील यादव ने ईटीवी भारत से किसानों की परेशानियों को बयां किया.
युवा किसान सुनील यादव का कहना था कि जिस प्रकार से सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात कर रही है, वह पूरी तरह से हवा-हवाई है. क्योंकि हमने 20 बीघा खेत में सब्जियों की खेती की है. जिसमें बैगन, गोभी, मिर्च आदि की खेती शामिल हैं. लेकिन अब लगातार हुई बारिश से सब्जियां पानी में डूबकर बर्बादी की कगार पर हैं.
सुनील का कहना था कि उत्पादन अच्छे किस्म का नहीं होने के कारण हमारी सब्जियां भी नहीं बिक रही हैं. इसकी वजह से हमें सब्जियों को चारे के मशीन में काटकर पशुओं को खिलाना पड़ रहा है. ऐसे में अब हमारी लागत कैसे निकलेगी. सुनील का कहना था कई युवा किसान दूसरे का खेत पेशगी और बटाई पर लेकर खेती करता है. जिसकी लागत लगभग 7 से 10 लाख रुपये आती है. बारिश से खेती बर्बाद हो रही है, जिससे हमारा फायदा तो दूर, लागत भी निकलना मुश्किल लग रहा है.
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युवा किसान ने कहा कि सरकार के द्वारा तमाम योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन उनका सिर्फ प्रगतिशील किसान ही लाभ ले पाते हैं. पारंपरिक खेती करने वाले किसानों को सिर्फ फसल बीमा योजना ही एक ऐसी योजना है, जिसमें किसानों को फसल का मुआवजा मिलता है. लेकिन वह भी ग्राउंड पर हकीकत का रूप नहीं ले सका है.
किसान सुनील का कहना था कि यदि बाढ़ से या फिर प्राकृतिक आपदा से जो भी हम लोगों का नुकसान होता है, उसका मुआवजा यदि सरकार देती है तो वह हम किसानों को न मिलकर खेत मालिक को मिलता है. जिससे हम लोगों की मुसीबत कभी कम नहीं होती है. सरकार को इस बारे में भी सोचना चाहिए कि जो किसान किसी दूसरे का खेत बटाई पर लेकर खेती करता है. फसल का नुकसान उसका होता है और मुआवजा खेत मालिक को जाता है, ऐसा नहीं होना चाहिए. सुनील ने इसे सरकार का सबसे बड़ा उदासीन रवैया बताया.
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