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लाल भ‍िंडी का कमाल, इन गंभीर बीमार‍ियों के लिए है रामबाण

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Published : Nov 17, 2020, 12:44 PM IST

गाजीपुर में लाल रंग की भिंडी की नई प्रजाति 'काशी लालिमा' के उत्पादन में किसान रुचि दिखा रहे हैं. इस लाल भ‍िंडी में कई गुण छिपे हैं. इसे कई बीमार‍ियों से लड़ने में रामबाण बताया जा रहा है. आइए जाने लाल भिंडी के बड़े गुण...

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गाजीपुर में लाल भ‍िंडी के खेत.

गाजीपुर : पारंपरिक हरी भिंडी से अलग गाजीपुर में भी लाल भिंडी उगाई जा रही है. यह भिंडी खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ ही स्वास्थ्य के लिए कहीं ज्यादा लाभदायक है. अब गाजीपुर के प्रगतिशील किसान लाल भिंडी की खेती कर रहे हैं. दावा है कि यह भिंडी कई बीमारियों से लड़ने में कारगार साबित होगी. गाजीपुर के प्रगतिशील किसान लाल भिंडी की खेती कर बीज तैयार कर रहे हैं.

गाजीपुर में लाल भ‍िंडी की खेत.

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान से मिला बीज

वाराणसी स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान की तरफ से किसानों को लाल भिंडी (काशी लालिम) प्रजाति का बीज उपलब्ध कराया गया है. गाजीपुर के करीमुद्दीनपुर के प्रगतिशील किसान पंकज राय से लाल भिंडी से जुड़े कुछ अहम पहलुओं पर ईटीवी भारत की टीम ने बात की. उन्होंने बताया कि भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान केंद्र ने कुछ चुनिंदा किसानों को लाल भिंडी का बीज उपलब्ध कराया था, ताकि वह खुद इसका बीज बनाएं और लाल भिंडी की खेती करें.

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गाजीपुर में लाल भ‍िंडी की खेत.
गर्भवती महिलाओं और ह्रदय रोग के लिए फायदेमंद

इस भिंडी में कुछ ऐसे तत्व हैं, जो अन्य भिंडी और हरी सब्जियों में नहीं मिलते, जैसे ऑक्सीटोन. पारंपरिक हरे रंग से अलग लाल रंग इस भिंडी को अनोखा बनाता है. किसान पंकज राय बताते हैं कि यह भिंडी गर्भवती महिलाओं और हृदय रोग से पीड़ित मरीजों के लिए काफी फायदेमंद है.

बीएचयू के पूर्व वाइस चांसलर के फॉर्ड फाउंडेशन एनजीओ में गाजीपुर भी शामिल है. गाजीपुर के प्रगतिशील किसान इस एनजीओ से जुड़े हैं, जिससे समय-समय पर नई तकनीक की जानकारी और प्रशिक्षण किसानों को दिया जाता है. किसान पंकज राय का कहना था कि जब लाल भिंडी पहली बार आई तो उन्हें भी काशी लालिमा नस्ल के 50 बीज उपलब्ध कराए गए थे. फिलहाल यह भिंडी विक्रय के लिए नहीं, बल्कि बीज बनाने के लिए उगाई जा रही है, ताकि हम खुद अपना बीज बना ले.

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गाजीपुर में लाल भ‍िंडी की खेत.
अन्य किसानों को भी बीज होगा उपलब्ध

किसान पंकज राय ने बताया की बीज बनाने के बाद हम फरवरी से लाल भिंडी की खेती बड़ी मात्रा में करेंगे. साथ ही अन्य किसान भी अगर लाल भिंडी की खेती करना चाहते हैं तो वह उनसे जुड़कर बीज प्राप्त कर सकते हैं. ताकि गाजीपुर में लाल भिंडी की खेती का और अधिक विस्तार हो सके.

पिछली बार कर चुके हैं स्ट्रॉबेरी की खेती

पंकज राय ने कहा कि पारंपरिक खेती से हटकर किसानों को खेती करने की आवश्यकता है. खुद का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि पिछली बार उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती की थी, जो गाजीपुर के लिए बिल्कुल नई थी. इस बार वह केसर की खेती कर रहे हैं.

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गाजीपुर में लाल भ‍िंडी की खेत.
बेहतर आय के लिए छोड़नी होगी पारंपरिक खेती

किसानों को बेहतर आय के लिए पारंपरिक खेती को छोड़कर वैकल्पिक या अन्य खेती के विकल्प तलाशने होंगे. बता दें कि आम हरी भिंडी में पाए जाने वाले क्लोरोफिल की जगह लाल भिंडी में एंथोसाइनिन की मात्रा ज्यादा होती है, जिससे इस भिंडी का लाल रंग होता है. यह डेढ़ माह में तैयार हो जाती है. साथ ही आम भिंडी के मुकाबले ऊंचे दामों पर बिकती है.

गाजीपुर : पारंपरिक हरी भिंडी से अलग गाजीपुर में भी लाल भिंडी उगाई जा रही है. यह भिंडी खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ ही स्वास्थ्य के लिए कहीं ज्यादा लाभदायक है. अब गाजीपुर के प्रगतिशील किसान लाल भिंडी की खेती कर रहे हैं. दावा है कि यह भिंडी कई बीमारियों से लड़ने में कारगार साबित होगी. गाजीपुर के प्रगतिशील किसान लाल भिंडी की खेती कर बीज तैयार कर रहे हैं.

गाजीपुर में लाल भ‍िंडी की खेत.

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान से मिला बीज

वाराणसी स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान की तरफ से किसानों को लाल भिंडी (काशी लालिम) प्रजाति का बीज उपलब्ध कराया गया है. गाजीपुर के करीमुद्दीनपुर के प्रगतिशील किसान पंकज राय से लाल भिंडी से जुड़े कुछ अहम पहलुओं पर ईटीवी भारत की टीम ने बात की. उन्होंने बताया कि भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान केंद्र ने कुछ चुनिंदा किसानों को लाल भिंडी का बीज उपलब्ध कराया था, ताकि वह खुद इसका बीज बनाएं और लाल भिंडी की खेती करें.

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गाजीपुर में लाल भ‍िंडी की खेत.
गर्भवती महिलाओं और ह्रदय रोग के लिए फायदेमंद

इस भिंडी में कुछ ऐसे तत्व हैं, जो अन्य भिंडी और हरी सब्जियों में नहीं मिलते, जैसे ऑक्सीटोन. पारंपरिक हरे रंग से अलग लाल रंग इस भिंडी को अनोखा बनाता है. किसान पंकज राय बताते हैं कि यह भिंडी गर्भवती महिलाओं और हृदय रोग से पीड़ित मरीजों के लिए काफी फायदेमंद है.

बीएचयू के पूर्व वाइस चांसलर के फॉर्ड फाउंडेशन एनजीओ में गाजीपुर भी शामिल है. गाजीपुर के प्रगतिशील किसान इस एनजीओ से जुड़े हैं, जिससे समय-समय पर नई तकनीक की जानकारी और प्रशिक्षण किसानों को दिया जाता है. किसान पंकज राय का कहना था कि जब लाल भिंडी पहली बार आई तो उन्हें भी काशी लालिमा नस्ल के 50 बीज उपलब्ध कराए गए थे. फिलहाल यह भिंडी विक्रय के लिए नहीं, बल्कि बीज बनाने के लिए उगाई जा रही है, ताकि हम खुद अपना बीज बना ले.

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गाजीपुर में लाल भ‍िंडी की खेत.
अन्य किसानों को भी बीज होगा उपलब्ध

किसान पंकज राय ने बताया की बीज बनाने के बाद हम फरवरी से लाल भिंडी की खेती बड़ी मात्रा में करेंगे. साथ ही अन्य किसान भी अगर लाल भिंडी की खेती करना चाहते हैं तो वह उनसे जुड़कर बीज प्राप्त कर सकते हैं. ताकि गाजीपुर में लाल भिंडी की खेती का और अधिक विस्तार हो सके.

पिछली बार कर चुके हैं स्ट्रॉबेरी की खेती

पंकज राय ने कहा कि पारंपरिक खेती से हटकर किसानों को खेती करने की आवश्यकता है. खुद का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि पिछली बार उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती की थी, जो गाजीपुर के लिए बिल्कुल नई थी. इस बार वह केसर की खेती कर रहे हैं.

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गाजीपुर में लाल भ‍िंडी की खेत.
बेहतर आय के लिए छोड़नी होगी पारंपरिक खेती

किसानों को बेहतर आय के लिए पारंपरिक खेती को छोड़कर वैकल्पिक या अन्य खेती के विकल्प तलाशने होंगे. बता दें कि आम हरी भिंडी में पाए जाने वाले क्लोरोफिल की जगह लाल भिंडी में एंथोसाइनिन की मात्रा ज्यादा होती है, जिससे इस भिंडी का लाल रंग होता है. यह डेढ़ माह में तैयार हो जाती है. साथ ही आम भिंडी के मुकाबले ऊंचे दामों पर बिकती है.

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