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लाखों-करोड़ों दिलों पर राहत इंदौरी ने छोड़ी अमिट छाप: मनोज सिन्हा

मशहूर शायर राहत इंदौरी के निधन पर साहित्य से जुड़े लोगों और कवि कुनबे ने शोक जताया है. जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने राहत इंदौरी के निधन पर शोक जताया है.

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मनोज सिन्हा.
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Published : Aug 12, 2020, 12:20 AM IST

गाजीपुर: मशहूर शायर राहत इंदौरी के निधन पर साहित्य से जुड़े लोगों और कवि कुनबे ने शोक जताया है. साथ ही सियासी गलियारों में शोक की लहर है. गाजीपुर के पूर्व सांसद एवं जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने राहत इंदौरी के निधन पर शोक जताया है.

मनोज सिन्हा ने लिखा है कि "मशहूर शायर एवं कवि श्री राहत इंदौरी जी के निधन की खबर अत्यंत दुःखदायी है. अपनी यादगार शायरी से उन्होंने लाखों-करोड़ों दिलों पर एक अमिट छाप छोड़ी है. उनका निधन साहित्य जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है. मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति दें और परिजनों को यह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करे".

बता दें की राहत इंदौरी ने अपनी शायरी में सीधे-साधे शब्दों का प्रयोग इस अंदाज में किया कि आम आदमी भी उनकी शायरी का प्रयोग बड़ी आसानी से कर सके. वह हिंदी और उर्दू के बीच की जुगलबंदी और फनकारी से जनता के बीच अपनी खास पहचान रखते थे. अब राहत तो नहीं हैं, लेकिन उनकी लिखे गीत, गजलें और पंक्तियां लाखों दिलों को राहत जरूर देंगी. राहत साहब ने अलग-अलग तरह की शायरी कीं. रूमानी गजलों के लिए उनकी कलम चली. शायरी पढ़ने का अनोखा अंदाज ही राहत इंदौरी को बाकी कवियों से अलग बनाता था.

गाजीपुर: मशहूर शायर राहत इंदौरी के निधन पर साहित्य से जुड़े लोगों और कवि कुनबे ने शोक जताया है. साथ ही सियासी गलियारों में शोक की लहर है. गाजीपुर के पूर्व सांसद एवं जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने राहत इंदौरी के निधन पर शोक जताया है.

मनोज सिन्हा ने लिखा है कि "मशहूर शायर एवं कवि श्री राहत इंदौरी जी के निधन की खबर अत्यंत दुःखदायी है. अपनी यादगार शायरी से उन्होंने लाखों-करोड़ों दिलों पर एक अमिट छाप छोड़ी है. उनका निधन साहित्य जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है. मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति दें और परिजनों को यह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करे".

बता दें की राहत इंदौरी ने अपनी शायरी में सीधे-साधे शब्दों का प्रयोग इस अंदाज में किया कि आम आदमी भी उनकी शायरी का प्रयोग बड़ी आसानी से कर सके. वह हिंदी और उर्दू के बीच की जुगलबंदी और फनकारी से जनता के बीच अपनी खास पहचान रखते थे. अब राहत तो नहीं हैं, लेकिन उनकी लिखे गीत, गजलें और पंक्तियां लाखों दिलों को राहत जरूर देंगी. राहत साहब ने अलग-अलग तरह की शायरी कीं. रूमानी गजलों के लिए उनकी कलम चली. शायरी पढ़ने का अनोखा अंदाज ही राहत इंदौरी को बाकी कवियों से अलग बनाता था.

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