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फूड प्वाइजनिंग से 217 भेड़ों की मौत, मचा हड़कंप - गाजीपुर में फूड प्वाइजनिंग से पशुओं की मौत

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में दो पशुपालकों की 217 भेड़ों की रात में अचानक मौत हो गई. इससे पशुपालकों को भारी नुकसान हुआ है.

गाजीपुर
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Published : May 14, 2021, 8:16 PM IST

गाजीपुरः जिले के जमानिया कोतवाली क्षेत्र के मलसा गांव में गुरुवार कि देर रात करीब दो बजे 217 भेड़ों के मरने से गांव में हड़कंप मच गया. दिनभर गांव सहित आसपास के क्षेत्रों में चर्चाओं का बाजार गर्म रहा. बड़ी संख्या में भेड़ों कि मौत की सूचना पर तहसील‚ पुलिस एवं पशुपालन विभाग की टीम ने मौका मुआयना किया. जांच में पता चला कि मौत का कारण फूड प्वाइजनिंग (विषाक्त भोजन) है.

भेड़ों की मौत


पशुपालक की तोड़ी कमर
मलसा गांव निवासी राघवशरण पाल एवं भैरोनाथ पाल ने बताया कि प्रतिदिन कि भांति गुरुवार को भी शाम 4 बजे भेड़ों को चराने के बाद हाते में बंद कर दिया गया. इसके बाद गृहस्थी का काम निपटाने के बाद परिवार के सभी सदस्य रात करीब 9 बजे खाना खाने के बाद सो गए. देर रात करीब दो बजे जब शौच करने के लिए आंख खुली तो हाते में कोई चहल पहल नहीं सुनाई दी. इसके बाद हाते में जाकर देखा तो एक के ऊपर एक भेड़ मरी पड़ी थी. इसके बाद वह चीखने-चिल्लाने लगे. आवाज सुनकर आसपास के लोग मौके पर पहुंच गए.

तहसील में दी सूचना
मौके पर मौजूद लोगों ने घटना की सूचना पुलिस एवं तहसील के अधिकारी एवं कर्मचारियों को दी. घटना की सूचना पर तहसील प्रशासन के साथ पशुपालन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी भी मौके पर पहुंच गए. पशुपालन विभाग के डॉक्टर ने भेड़ों का पोस्टमार्टम कराया गया. परीक्षण के बाद सभी भेड़ों को गड्ढा खोदकर उसमें दफना दिया गया.

ग्रामीणों को समझाया
इस दौरान तहसीलदार घनश्याम ने ग्रामीणों को समझाया कि यह किसी महामारी के कारण नहीं हुआ है. भेड़ों का परीक्षण डॉक्टर द्वारा किया गया है. इसमें घबराने की कोई बात नहीं है. आप सभी लोग कोविड के नियमों का पालन करें.

ये बोले पशु डॉक्टर
इस संबंध में पशु डॉक्टर डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि कुल 217 भेड़ मृत पाए गए हैं. जिसमें से राघवशरण पाल के 170 और भैरोनाथ पाल के 47 भेड़ हैं. मृत भेड़ो में 58 नर‚ 159 मादा हैं. परीक्षण के बाद ज्ञात हुआ कि इन भेंड़ों कि मौत फूड प्वाइजनिंग की वजह से हुई है. बाद में पूछताछ में पता चला कि एक दिन पूर्व घर में तिलक था. इसका बचा हुआ खाना भेड़ों को खिलाया गया था. इस कारण से फूड प्वाइजनिंग हो गई थी. इस कारण भेड़ों कि मौत हुई है. गांव में कोरोना संक्रमण की अफवाह उड़ाई जा रही है, जो ठीक नहीं है. इस अवसर पर निलेश मौर्य‚ राजेन्द्र यादव‚ लेखपाल बेचू राम सहित अन्य दर्जनों लोग मौजूद रहे.

इसे भी पढ़ेंः डॉ. रेड्डीज ने स्पुतनिक वी टीका भारत में पेश किया, दाम 995 रुपये प्रति खुराक

गांव में होती रही चर्चा
एक साथ बड़ी संख्या में भेड़ों के मरने के पीछे गांव के लोग गंगा के पानी को वजह बताते हुए तमाम प्रकार की चर्चा करते नजर आए. लोगों का कहना है कि गंगा का पानी कोरोना की वजह से दूषित हो गया है और इस दूषित पानी को पीकर भेड़ों कि मौत हुई है.

गाजीपुरः जिले के जमानिया कोतवाली क्षेत्र के मलसा गांव में गुरुवार कि देर रात करीब दो बजे 217 भेड़ों के मरने से गांव में हड़कंप मच गया. दिनभर गांव सहित आसपास के क्षेत्रों में चर्चाओं का बाजार गर्म रहा. बड़ी संख्या में भेड़ों कि मौत की सूचना पर तहसील‚ पुलिस एवं पशुपालन विभाग की टीम ने मौका मुआयना किया. जांच में पता चला कि मौत का कारण फूड प्वाइजनिंग (विषाक्त भोजन) है.

भेड़ों की मौत


पशुपालक की तोड़ी कमर
मलसा गांव निवासी राघवशरण पाल एवं भैरोनाथ पाल ने बताया कि प्रतिदिन कि भांति गुरुवार को भी शाम 4 बजे भेड़ों को चराने के बाद हाते में बंद कर दिया गया. इसके बाद गृहस्थी का काम निपटाने के बाद परिवार के सभी सदस्य रात करीब 9 बजे खाना खाने के बाद सो गए. देर रात करीब दो बजे जब शौच करने के लिए आंख खुली तो हाते में कोई चहल पहल नहीं सुनाई दी. इसके बाद हाते में जाकर देखा तो एक के ऊपर एक भेड़ मरी पड़ी थी. इसके बाद वह चीखने-चिल्लाने लगे. आवाज सुनकर आसपास के लोग मौके पर पहुंच गए.

तहसील में दी सूचना
मौके पर मौजूद लोगों ने घटना की सूचना पुलिस एवं तहसील के अधिकारी एवं कर्मचारियों को दी. घटना की सूचना पर तहसील प्रशासन के साथ पशुपालन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी भी मौके पर पहुंच गए. पशुपालन विभाग के डॉक्टर ने भेड़ों का पोस्टमार्टम कराया गया. परीक्षण के बाद सभी भेड़ों को गड्ढा खोदकर उसमें दफना दिया गया.

ग्रामीणों को समझाया
इस दौरान तहसीलदार घनश्याम ने ग्रामीणों को समझाया कि यह किसी महामारी के कारण नहीं हुआ है. भेड़ों का परीक्षण डॉक्टर द्वारा किया गया है. इसमें घबराने की कोई बात नहीं है. आप सभी लोग कोविड के नियमों का पालन करें.

ये बोले पशु डॉक्टर
इस संबंध में पशु डॉक्टर डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि कुल 217 भेड़ मृत पाए गए हैं. जिसमें से राघवशरण पाल के 170 और भैरोनाथ पाल के 47 भेड़ हैं. मृत भेड़ो में 58 नर‚ 159 मादा हैं. परीक्षण के बाद ज्ञात हुआ कि इन भेंड़ों कि मौत फूड प्वाइजनिंग की वजह से हुई है. बाद में पूछताछ में पता चला कि एक दिन पूर्व घर में तिलक था. इसका बचा हुआ खाना भेड़ों को खिलाया गया था. इस कारण से फूड प्वाइजनिंग हो गई थी. इस कारण भेड़ों कि मौत हुई है. गांव में कोरोना संक्रमण की अफवाह उड़ाई जा रही है, जो ठीक नहीं है. इस अवसर पर निलेश मौर्य‚ राजेन्द्र यादव‚ लेखपाल बेचू राम सहित अन्य दर्जनों लोग मौजूद रहे.

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गांव में होती रही चर्चा
एक साथ बड़ी संख्या में भेड़ों के मरने के पीछे गांव के लोग गंगा के पानी को वजह बताते हुए तमाम प्रकार की चर्चा करते नजर आए. लोगों का कहना है कि गंगा का पानी कोरोना की वजह से दूषित हो गया है और इस दूषित पानी को पीकर भेड़ों कि मौत हुई है.

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