गाजीपुर: आज पूरा देश महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहा है. महात्मा गांधी का जुड़ाव देश के कई इलाकों से रहा है. 90 साल पहले 2 अक्टूबर 1929 को आज के ही दिन गाजीपुर के दौरे पर थे. गाजीपुर के रामलीला मैदान और सैदपुर के टाउन नेशनल इंटर कॉलेज में उन्होंने जन सभा को संबोधित किया था. सफर के दौरान गाड़ी खराब होने पर उन्हें बग्घी का सफर भी करना पड़ा था. बापू से जुड़ी तमाम बातों और सफर को जानने के लिए प्रसिद्ध इतिहासकार अब्दुर्रहमान से जानकारी ली गई.
"जहां पवित्रता है, वहीं निर्भयता है"
बापू
90 वर्ष पहले आज के दिन ही गांधीजी ने गाजीपुर में मनाया था जन्मदिन
इतिहासकार अब्दुर्रहमान बताते हैं कि गाजीपुर आने के पीछे उनका उद्देश्य आजादी के आंदोलन में एकजुटता और स्वतंत्रता आंदोलन को और तेज करना था. वह जगह-जगह जाकर लोगों से समर्थन जुटा रहे थे. कुछ लोग कहते हैं कि उन्होंने 2 अक्टूबर 1929 को अपना जन्मदिन गाजीपुर में ही मनाया था, लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं मिलता. महात्मा गांधी के गाजीपुर आगमन की चर्चा अब्दुर्रहमान की उर्दू भाषा मे लिखी किताब 'गाजीपुर में सर सैयद' और हिंदी में 'गाजीपुर की क्रांति 1857- 1958' इन दोनों किताबों में मिलता है. उन्होंने बताया कि इसके पीछे संदर्भ एक समाचार पत्र का है. उस वक्त सैदपुर भीतरी से 'आईने तहजीब' नामक एक साप्ताहिक अखबार निकला करता था. जिसके मुख्य संपादक लाला शिवप्रसाद थे और उसी उर्दू समाचार पत्र में यह खबर छपी थी.
"जब आपका सामना किसी विरोधी से हो, तो उसे प्रेम से जीतें, अहिंसा से जीतें"
- महात्मा गांधी
नाव का सफर तय कर पहुंचे थे गाजीपुर
अब्दुर्रहमान ने अपनी पुस्तक गाजीपुर 1857- 58 क्रांति के दस्तावेज की प्रस्तावना में इसका जिक्र किया है. उन्होंने बताया कि वह गंगा और गोमती के संगम कैथी तक नाव का सफर तय करके गाजीपुर आए थे. जिसके बाद वह सैदपुर के टाउन नेशनल इंटर कॉलेज में जनसभा को संबोधित किया था. महात्मा गांधी की एक झलक पाने के लिए लोग बेचैन थे. वहां के लोगों ने भाषण के बाद बापू को ₹500 की थैली दी थी. साथ ही खादी पर लिखा मांग पत्र महात्मा गांधी को सौंपा था. जिसमें लिखा था कि यदि महात्मा गांधी आप बार-बार गाजीपुर आते रहेंगे तो आजादी की जंग में गाजीपुर वासी उनके साथ हैं. इस मांग पत्र में यह भी लिखा था कि किस तरह से लोग आजादी की जंग में अपना सहयोग देंगे.
"किसी की मेहरबानी मांगना, अपनी आजादी बेचना"
बापू
गाजीपुर वासियों ने किया था समर्थन
उस वक्त स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मोहम्मद अली जौहर वहां मौजूद थे. इस जनसभा के बाद ब्रिटिश सरकार स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मोहम्मद अली जोहर की सभी संपत्तियों को सील कर दिया था. 1947 में आजादी मिलने के बाद उनके घर को जाने वाली सड़क, सरकार ने मोहम्मद अली जौहर मार्ग लिखवाया था. गाजीपुर के इस दौरे के बाद महात्मा गांधी को गाजीपुर वासियों से खुलकर समर्थन मिला.
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...रास्ते में ही खराब हुई थी बापू की मोटरकार
ओबैदुर्हमान की पुस्तक में जिक्र मिलता है की सैदपुर से जिला मुख्यालय जाते वक्त गाजीपुर से 20 किलोमीटर पहले नन्दगंज में बापू की मोटर कार खराब हो गई थी. जिसके बाद तांगा मंगाया गया जो उस वक्त का प्रचलित यातायात साधन था. बापू ने आगे का सफर टांगे से तय किया. हालांकि कुछ ही देर बाद दूसरी मोटर का इंतजाम कर दिया गया. जिला मुख्यालय आने के बाद उन्होंने कुछ देर आईना कोठी में आराम किया उसके बाद बापू गाजीपुर के लंका मैदान में पहुंचे. जहां गांधी को सुनने के लिए जनसैलाब उमड़ा था.
"सत्य कभी ऐसे कारण को क्षति नहीं पहुंचाता जो उचित हो"
महात्मा गांधी
देर से पहुंचने पर बापू ने लोगों से मांगी माफी
बापू ने जनसैलाब को संबोधित करते हुए कहा कि मैं थक गया था इसलिए समय से आपकी सेवा में पहुंच नहीं सका, माफ कीजिएगा. मार्ग में भाई लोग मोटर घेर लेते थे और उनसे बात करनी पड़ती थी इसी वजह से देर हुई. अपने भाषण के दौरान उन्होंने जनता से अपील की कि सभी विधवा विवाह के कार्य को आगे बढ़ाएं, चरखा चलाएं और खादी बनाएं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस का सदस्य बनिये और शक्ति बढ़ाइए. इस बात की पुष्टि ओबैदुर्हमान ने अपनी पुस्तक में किया है. यह खबर उस वक्त वाराणसी से प्रकाशित होने वाले उर्दू अखबार में छपी थी.