ETV Bharat / state

अकबर और इमरान का छलका दर्द, कहा- अब कभी गांव से नहीं लौटेंगे दिल्ली

author img

By

Published : May 18, 2020, 10:57 PM IST

कुछ साल पहले इमरान बिहार से दिल्ली आए थे. यहां पर वह बैग की सिलाई करने लगे. लॉकडाउन के चलते काम बंद हो गया. धीरे-धीरे पैसे खत्म हो गए. मकान मालिक घर छोड़ने का दबाव बना रहा था, जिसके चलते उन्हें दिल्ली से बिहार के लिए पैदल ही निकलना पड़ा.

story of 2 migrant labours
मकान मालिक इमरान पर घर छोड़ने का दबाव बना रहा था

गाजियाबाद: बिहार के रहने वाले अकबर और इमरान की कहानी काफी दर्दनाक है. कुछ साल पहले इमरान बिहार से दिल्ली आए थे. यहां पर धीरे-धीरे उन्हें काम मिला और बैग की सिलाई करने लगे. काम थोड़ा ठीक हुआ, तो अपने छोटे भाई अकबर को बुला लिया. बड़े भाई इमरान ने सोचा था कि छोटे भाई को पढ़ाएंगे, जिससे उसे आगे बढ़ने का मौका मिलेगा. सब ठीक चल रहा था, लेकिन लॉकडाउन कहर बनकर टूटा. अकबर और इमरान का कहना है कि वो वापस शहर लौटना नहीं चाहते. यहां जो दर्द मिला है, उसे कभी नहीं भूल पाएंगे.

साहब वापस भिजवा दो

इमरान और अकबर पैदल चलकर जब आ रहे थे, तो रास्ते में उन्हें जो भी पुलिसकर्मी मिलता गया, वो उससे यही कहते गए कि साहब वापस भिजवा दो, दोबारा आने की गलती नहीं करेंगे. इमरान और अकबर की ये दास्तान बताती है कि लॉकडाउन ने कितना ज्यादा दर्द दिया, जिसे भुला पाना मुमकिन नजर नहीं आ रहा. हालांकि जब इमरान और अकबर से पूछा गया कि गांव में क्या करेंगे, तो उनके पास जवाब नहीं था, लेकिन वापस आने की हिम्मत भी उनमें नजर नहीं आई.

मकान मालिक ने किया परेशान

एक तरफ काम छूट गया था, तो दूसरी तरफ इमरान का कहना है, कि अपने छोटे भाई के साथ जैसे-जैसे दिन काट रहे थे. मकान मालिक ने लगातार परेशान किया. अपने से ज्यादा अपने छोटे भाई की फिक्र थी. रमजान का महीना चल रहा है, ऊपर वाले से दुआ यही कर रहे थे कि सब ठीक हो जाए. एक उम्मीद थी कि 17 तारीख को लॉकडाउन खत्म हो जाएगा. लेकिन लॉकडाउन के बढ़ने के बाद सब्र का बांध टूट गया और निकल पड़े. जैसे-तैसे गाजियाबाद तो पहुंच गए हैं, लेकिन आगे का ठिकाना मालूम नहीं है.

गाजियाबाद: बिहार के रहने वाले अकबर और इमरान की कहानी काफी दर्दनाक है. कुछ साल पहले इमरान बिहार से दिल्ली आए थे. यहां पर धीरे-धीरे उन्हें काम मिला और बैग की सिलाई करने लगे. काम थोड़ा ठीक हुआ, तो अपने छोटे भाई अकबर को बुला लिया. बड़े भाई इमरान ने सोचा था कि छोटे भाई को पढ़ाएंगे, जिससे उसे आगे बढ़ने का मौका मिलेगा. सब ठीक चल रहा था, लेकिन लॉकडाउन कहर बनकर टूटा. अकबर और इमरान का कहना है कि वो वापस शहर लौटना नहीं चाहते. यहां जो दर्द मिला है, उसे कभी नहीं भूल पाएंगे.

साहब वापस भिजवा दो

इमरान और अकबर पैदल चलकर जब आ रहे थे, तो रास्ते में उन्हें जो भी पुलिसकर्मी मिलता गया, वो उससे यही कहते गए कि साहब वापस भिजवा दो, दोबारा आने की गलती नहीं करेंगे. इमरान और अकबर की ये दास्तान बताती है कि लॉकडाउन ने कितना ज्यादा दर्द दिया, जिसे भुला पाना मुमकिन नजर नहीं आ रहा. हालांकि जब इमरान और अकबर से पूछा गया कि गांव में क्या करेंगे, तो उनके पास जवाब नहीं था, लेकिन वापस आने की हिम्मत भी उनमें नजर नहीं आई.

मकान मालिक ने किया परेशान

एक तरफ काम छूट गया था, तो दूसरी तरफ इमरान का कहना है, कि अपने छोटे भाई के साथ जैसे-जैसे दिन काट रहे थे. मकान मालिक ने लगातार परेशान किया. अपने से ज्यादा अपने छोटे भाई की फिक्र थी. रमजान का महीना चल रहा है, ऊपर वाले से दुआ यही कर रहे थे कि सब ठीक हो जाए. एक उम्मीद थी कि 17 तारीख को लॉकडाउन खत्म हो जाएगा. लेकिन लॉकडाउन के बढ़ने के बाद सब्र का बांध टूट गया और निकल पड़े. जैसे-तैसे गाजियाबाद तो पहुंच गए हैं, लेकिन आगे का ठिकाना मालूम नहीं है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.