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गाजियाबाद: चिलचिलाती धूप में पानी के लिए लगी लंबी कतारें, जूझते दिखे लोग - problem of drinking water as summer starts

लॉकडाउन के दौरान न सिर्फ लोगों को राशन की दिक्कत हो रही है बल्कि अब गर्मी बढ़ने की वजह से पानी की भी किल्लत होने लगी है. गाजियाबाद में लोग चिलचिलाती धूप में पानी के लिए लंबी लाइनों में लगे दिखाई पड़े.

problem of drinking water as summer starts
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Published : May 15, 2020, 1:27 PM IST

गाजियाबाद: लॉकडाउन में राशन की किल्लत के साथ-साथ लोग अब पानी की कतार में लगने के लिए भी मजबूर दिख रहे हैं. झंडापुर महाराजपुर और कड़कड़ गांव के लोग चिलचिलाती धूप में पानी के लिए लंबी लाइन लगा रहे हैं.

पानी के लिए लगाई लाइनें.


लिंक रोड इलाके के झंडापुर,कड़कड़ मॉडल, और महाराजपुर इलाके में रहने वाले लोग दिहाड़ी मजदूर हैं लेकिन लॉकडाउन के बाद फैक्ट्रियां बंद हो गईं, जिसकी वजह से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में अब गर्मी ने इनकी और भी दिक्कतें बढ़ा दी हैं.

पहले ये रोजाना 10 रुपये में पानी की बोतल खरीदते थे. लेकिन अब दस रुपये बचाने के लिए इन्हें पानी के लिए लंबी-लंबी लाइनों में लगना पड़ता है. आलम ये है कि फैक्ट्री के बाहर अब रोजाना पीने के पानी के लिए लाइनें लगती हैं.

इसे भी पढ़ें- लॉकडाउन: पेट्रोल पंपों पर पसरा है सन्नाटा, खपत में आई भारी गिरवाट

लोगों का आरोप है कि घर में सप्लाई का जो पानी आता है, वह पीने योग्य लायक नहीं है. कुछ घरों में तो पानी की सप्लाई भी नहीं है. ज्यादातर लोग किराए के मकान में रहते हैं और मकान मालिकों ने पीने के पानी की व्यवस्था नहीं की है. मतलब साफ है कि पहले मजदूर पलायन पर मजबूर हुए और अब राशन और पानी की कतार में लगे हैं.

गाजियाबाद: लॉकडाउन में राशन की किल्लत के साथ-साथ लोग अब पानी की कतार में लगने के लिए भी मजबूर दिख रहे हैं. झंडापुर महाराजपुर और कड़कड़ गांव के लोग चिलचिलाती धूप में पानी के लिए लंबी लाइन लगा रहे हैं.

पानी के लिए लगाई लाइनें.


लिंक रोड इलाके के झंडापुर,कड़कड़ मॉडल, और महाराजपुर इलाके में रहने वाले लोग दिहाड़ी मजदूर हैं लेकिन लॉकडाउन के बाद फैक्ट्रियां बंद हो गईं, जिसकी वजह से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में अब गर्मी ने इनकी और भी दिक्कतें बढ़ा दी हैं.

पहले ये रोजाना 10 रुपये में पानी की बोतल खरीदते थे. लेकिन अब दस रुपये बचाने के लिए इन्हें पानी के लिए लंबी-लंबी लाइनों में लगना पड़ता है. आलम ये है कि फैक्ट्री के बाहर अब रोजाना पीने के पानी के लिए लाइनें लगती हैं.

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लोगों का आरोप है कि घर में सप्लाई का जो पानी आता है, वह पीने योग्य लायक नहीं है. कुछ घरों में तो पानी की सप्लाई भी नहीं है. ज्यादातर लोग किराए के मकान में रहते हैं और मकान मालिकों ने पीने के पानी की व्यवस्था नहीं की है. मतलब साफ है कि पहले मजदूर पलायन पर मजबूर हुए और अब राशन और पानी की कतार में लगे हैं.

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