गाजियाबाद : उत्तर प्रदेश में आगामी त्रिस्तरीय पंंचायत चुनावों में आरक्षण की घोषणा होने के बाद ग्रामीण इलाकों में चुनावी सरगर्मियां बढ़ गई है. लोगों के बीच चुनावी मुद्दों पर बातचीत होने लगी है. गाजियाबाद की 161 ग्राम पंचायतों में प्रधान पद के सभी प्रत्याशियों ने तैयारियों के लिए कमर कस ली है. ग्रामीणों का कहना है कि उनका गांव लगातार राजनैतिक लड़ाईयों की भेंट चढ़ा है जिसके कारण उनके गांव में काफी विकास कार्य नहीं हो पाए. हालांकि गांव के प्रधान कार्यों से संतुष्ट नज़र आए. गांव में रहने वाले अमरेश चौधरी बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार में 5 सालों में ग्रामीण क्षेत्रों में तक विकास नहीं पहुंचा है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में जो काम हुए हैं वो मायावती सरकार के दौरान हुए हैं.
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भाजपा सांसद-विधायकों ने डाला विकास कार्यों में रोड़ा
इसी गांव के राजू मास्टर बताते हैं कि उनके ग्रामीण क्षेत्र में आने वाले मौजूदा सांसद और विधायक दोनों भाजपा से हैं एवं गांव के प्रधान विपक्षी पार्टी से है जिसके कारण विकास कार्यों में काफी अड़चनें आई हैं. वहीं ग्रामीणों का कहना है कि हालांकि ग्राम प्रधान ने छोटे-मोटे विकास कार्य कराए हैं लेकिन अभी भी गांव में सौंदर्यकरण और खेल के मैदान की कमी है.
वहीं ग्राम प्रधान के कार्यकाल को लेकर ग्रामीणों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिली है.
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