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गाजियाबाद के गांव-गांव मुफ्त बांटे जाएंगे सैनिटरी पैड, लगाई गई पैड बनाने वाली मशीन - सुंदर दीप इंस्टीट्यूशन

गाजियाबाद के हर गांव में घर-घर जाकर महिलाओं और लड़कियों को सैनिटरी पैड मुफ्त बांटे जाएंगे. डासना स्थित सुंदर दीप इंस्टीट्यूट में FIEM Foundation के CSR फंड की मदद से सैनिटरी पैड (नैपकिन) बनाने वाली मशीन लगाई गई है.

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पैड बनाने वाली मशीन
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Published : May 14, 2022, 10:09 PM IST

नई दिल्ली/ग़ाज़ियाबाद : गाजियाबाद के हर गांव में घर-घर जाकर महिलाओं और लड़कियों को सैनिटरी पैड मुफ्त बांटे जाएंगे. डासना स्थित सुंदर दीप इंस्टीट्यूट में FIEM Foundation के CSR फंड की मदद से सैनिटरी पैड (नैपकिन) बनाने वाली मशीन लगाई गई है.

केंद्रीय राज्यमंत्री और सांसद वीके सिंह ने बताया कि गरीब और जरूरतमंद महिलाओं को माहवारी के दौरान बाजार के महंगे सैनिटरी पैड खरीदने से बचाने और उनको सुरक्षित रखने के लिए FIEM फाउंडेशन और सेवा भारती की यह सार्थक कोशिश है. इस मशीन के जरिए एक मिनट में 50 से 60 सैनिटरी पैड बनते हैं.

केंद्रीय राज्यमंत्री और सांसद वीके सिंह

सांसद वीके सिंह ने बताया कि मशीन से बनने वाली सभी नैपकिन महिलाओं को स्वयं सहायता समूह के जरिए मुफ्त दी जाएंगी. जरूरत पड़ने पर यह मशीन दूसरी जगहों पर भी लगाई जाएगी. इस मशीन का संचालन सेवा भारती संस्था करेगी. सहायता समूह की महिलाएं सैनिटरी पैड न सिर्फ गांव-गांव पहुंचाएंगी बल्कि इसके इस्तेमाल को लेकर महिला एवं लड़कियों को जागरूक भी करेंगी.

पढ़ेंः यूपी में कोरोना के घटने लगे केस, 24 घंटे में 158 मरीज मिले

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey) की रिपोर्ट के मुताबिक 15-24 वर्ष की आयु की करीब 50 प्रतिशत महिलाएं अभी भी मासिक धर्म के दौरान कपड़े का उपयोग करती हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक अगर किसी अशुद्ध कपड़े का इस्तेमाल किया जाता है, तो इससे कई तरह के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. एक बड़ी आबादी अब भी सेहत को लेकर जागरूक नहीं है.

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नई दिल्ली/ग़ाज़ियाबाद : गाजियाबाद के हर गांव में घर-घर जाकर महिलाओं और लड़कियों को सैनिटरी पैड मुफ्त बांटे जाएंगे. डासना स्थित सुंदर दीप इंस्टीट्यूट में FIEM Foundation के CSR फंड की मदद से सैनिटरी पैड (नैपकिन) बनाने वाली मशीन लगाई गई है.

केंद्रीय राज्यमंत्री और सांसद वीके सिंह ने बताया कि गरीब और जरूरतमंद महिलाओं को माहवारी के दौरान बाजार के महंगे सैनिटरी पैड खरीदने से बचाने और उनको सुरक्षित रखने के लिए FIEM फाउंडेशन और सेवा भारती की यह सार्थक कोशिश है. इस मशीन के जरिए एक मिनट में 50 से 60 सैनिटरी पैड बनते हैं.

केंद्रीय राज्यमंत्री और सांसद वीके सिंह

सांसद वीके सिंह ने बताया कि मशीन से बनने वाली सभी नैपकिन महिलाओं को स्वयं सहायता समूह के जरिए मुफ्त दी जाएंगी. जरूरत पड़ने पर यह मशीन दूसरी जगहों पर भी लगाई जाएगी. इस मशीन का संचालन सेवा भारती संस्था करेगी. सहायता समूह की महिलाएं सैनिटरी पैड न सिर्फ गांव-गांव पहुंचाएंगी बल्कि इसके इस्तेमाल को लेकर महिला एवं लड़कियों को जागरूक भी करेंगी.

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राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey) की रिपोर्ट के मुताबिक 15-24 वर्ष की आयु की करीब 50 प्रतिशत महिलाएं अभी भी मासिक धर्म के दौरान कपड़े का उपयोग करती हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक अगर किसी अशुद्ध कपड़े का इस्तेमाल किया जाता है, तो इससे कई तरह के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. एक बड़ी आबादी अब भी सेहत को लेकर जागरूक नहीं है.

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