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दिल्ली में डटे अमरोहा के किसान, बुजुर्ग और बच्चे संभाल रहे खेत-खलिहान - जरूरतमंदों के लिए किसानों की सेवा रहेगी जारी

किसानों द्वारा आज भूख हड़ताल की जा रही है. ऐसे में किसानों का कहना है कि जरूरतमंद लोगों के लिए उनकी सेवा जारी रहेगी.

बुजुर्ग और बच्चे संभाल रहे खेत-खलिहान
बुजुर्ग और बच्चे संभाल रहे खेत-खलिहान बुजुर्ग और बच्चे संभाल रहे खेत-खलिहान
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Published : Dec 14, 2020, 1:20 PM IST

गाजियाबाद : किसानों के आंदोलन का आज 19 वां दिन है. ऐसे में किसानों और सरकार के बीच हुई छह दौर की बातचीत में कोई हल नहीं निकलने के बाद किसान आज भूख हड़ताल कर रहे हैं. ऐसे में किसानों के आंदोलन के आस-पास रहने वाले जरूरतमंद लोगों के खाने की व्यवस्था कर रहे हैं. किसानों ने साफ कर दिया है कि उनका भंडारा हर किसी के लिए खुला हुआ है. जो भी चाहे, यहां आकर भोजन कर सकता है.

दिल्ली में डटे अमरोहा के किसान
आज कई किसान कर रहे हैं अनशन

किसानों का कहना है कि ये भंडारा एक प्रसाद की तरह है. जिसे कोई भी ग्रहण कर सकता है. सभी जगह किसान ने हमेशा अन्नदाता होने का परिचय दिया है. आपको बता दें कि किसान मजदूरों और गरीब लोगों के खाने पीने की व्यवस्था सुचारू रूप से चलती रहेगी. रोजाना की तरह ही भंडारे में तमाम सब्जियां और खाने-पीने का सामान पहुंच रहा है.

1987 में हुआ था बड़ा आंदोलन

किसानों का कहना है कि मेरठ में 1987 में भी इसी तरह का बड़ा आंदोलन किसानों की तरफ से किया गया था. वहां पर भी तमाम किसानों के खाने पीने की व्यवस्था के अलावा गरीब लोगों के खाने-पीने की व्यवस्था की गई थी.

गाजियाबाद : किसानों के आंदोलन का आज 19 वां दिन है. ऐसे में किसानों और सरकार के बीच हुई छह दौर की बातचीत में कोई हल नहीं निकलने के बाद किसान आज भूख हड़ताल कर रहे हैं. ऐसे में किसानों के आंदोलन के आस-पास रहने वाले जरूरतमंद लोगों के खाने की व्यवस्था कर रहे हैं. किसानों ने साफ कर दिया है कि उनका भंडारा हर किसी के लिए खुला हुआ है. जो भी चाहे, यहां आकर भोजन कर सकता है.

दिल्ली में डटे अमरोहा के किसान
आज कई किसान कर रहे हैं अनशन

किसानों का कहना है कि ये भंडारा एक प्रसाद की तरह है. जिसे कोई भी ग्रहण कर सकता है. सभी जगह किसान ने हमेशा अन्नदाता होने का परिचय दिया है. आपको बता दें कि किसान मजदूरों और गरीब लोगों के खाने पीने की व्यवस्था सुचारू रूप से चलती रहेगी. रोजाना की तरह ही भंडारे में तमाम सब्जियां और खाने-पीने का सामान पहुंच रहा है.

1987 में हुआ था बड़ा आंदोलन

किसानों का कहना है कि मेरठ में 1987 में भी इसी तरह का बड़ा आंदोलन किसानों की तरफ से किया गया था. वहां पर भी तमाम किसानों के खाने पीने की व्यवस्था के अलावा गरीब लोगों के खाने-पीने की व्यवस्था की गई थी.

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