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गाजियाबाद: लोगों के आक्रोश से है कुम्हारों में जोश, आप भी जानें कारण

गाज़ियाबाद जिले में दिवाली पर इस बार चाइना का माल नहीं मंगाया गया है. इससे बाजार में मिट्टी के दीयों की मांग बढ़ गई है, जिससे मिट्टी के दीये बनाने वालों को काफी उम्मीदें हैं. वे मिट्ट के रंग-बिरंगे दीपक बनाने में जुटे हुए हैं.

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इस दिवाली मिट्टी के दीपक बनाने वालों की उम्मीद बढ़ी.
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Published : Oct 27, 2020, 2:10 AM IST

गाजियाबाद: जिले में इस बार दिवाली पर चाइना का माल नहीं मंगाया गया है, जिससे मिट्टी के दीपक बनाने वालों की उम्मीद बढ़ी है. पिछले साल के मुकाबले मिट्टी के दीपकों की बिक्री में इस साल इजाफा हो गया है. गाजियाबाद में पिछले कई सालों से मिट्टी के दीपक बनाने वाले उम्र चंद का कहना है कि दिवाली की मांग को देखते हुए मिट्टी के दीपक तैयार कर रहे हैं. पिछले सालों की तुलना में अधिक मात्रा में मिट्टी के दीपक बनाए जा रहे हैं. मिट्टी के रंग-बिरंगे दीपक भी तैयार कर रहे हैं.

इस दिवाली मिट्टी के दीपक बनाने वालों की उम्मीद बढ़ी.

हर तरफ देसी की धूम
बीते सालों में देखा गया था कि पूरे बाजार पर चाइनीज दीयों का कब्जा होता था, लेकिन इस बार भारतीय दीपक की मांग बढ़ गई है. यही वजह है कि मिट्टी के दीपक बनाने वालों की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं, जिस तरह से चाइना के माल का लोगों ने बायकॉट किया है, उससे यह अनुमान है कि देसी सामान की धूम होगी. दिवाली के इस सीजन में कहीं पर भी चाइनीज माल नजर नहीं आ रहा. पटाखा व्यापारियों और खिलौना व्यापारियों ने भी साफ कर दिया था कि वह चाइना का माल नहीं बेचेंगे. इससे जाहिर तौर पर फायदा छोटे दुकानदारों और दीपक बनाने वाले लोगों को भी होगा. क्योंकि मार्केट में उनके सामान की सप्लाई बढ़ेगी, जिससे बीते सालों में हुआ नुकसान भी शायद पूरा हो जाए.

उचित दाम पर भारतीय सामान
भारतीय सामान बनाने वालों ने चाइना को एक बार फिर मुंह तोड़ जवाब दिया है. भारतीय सामान इस बार दिवाली पर उचित दाम पर उपलब्ध हो रहा है. रंग-बिरंगे दीपक भी सस्ते हैं. खास बात यह है कि यह सभी भारत में ही बने हुए हैं. स्थानीय स्तर पर बन रहे सामान की सप्लाई मार्केट में होने से यह मुमकिन हो पाया है. इससे प्रधानमंत्री का वोकल फॉर लोकल स्लोगन भी जीवंत हो रहा है.

गाजियाबाद: जिले में इस बार दिवाली पर चाइना का माल नहीं मंगाया गया है, जिससे मिट्टी के दीपक बनाने वालों की उम्मीद बढ़ी है. पिछले साल के मुकाबले मिट्टी के दीपकों की बिक्री में इस साल इजाफा हो गया है. गाजियाबाद में पिछले कई सालों से मिट्टी के दीपक बनाने वाले उम्र चंद का कहना है कि दिवाली की मांग को देखते हुए मिट्टी के दीपक तैयार कर रहे हैं. पिछले सालों की तुलना में अधिक मात्रा में मिट्टी के दीपक बनाए जा रहे हैं. मिट्टी के रंग-बिरंगे दीपक भी तैयार कर रहे हैं.

इस दिवाली मिट्टी के दीपक बनाने वालों की उम्मीद बढ़ी.

हर तरफ देसी की धूम
बीते सालों में देखा गया था कि पूरे बाजार पर चाइनीज दीयों का कब्जा होता था, लेकिन इस बार भारतीय दीपक की मांग बढ़ गई है. यही वजह है कि मिट्टी के दीपक बनाने वालों की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं, जिस तरह से चाइना के माल का लोगों ने बायकॉट किया है, उससे यह अनुमान है कि देसी सामान की धूम होगी. दिवाली के इस सीजन में कहीं पर भी चाइनीज माल नजर नहीं आ रहा. पटाखा व्यापारियों और खिलौना व्यापारियों ने भी साफ कर दिया था कि वह चाइना का माल नहीं बेचेंगे. इससे जाहिर तौर पर फायदा छोटे दुकानदारों और दीपक बनाने वाले लोगों को भी होगा. क्योंकि मार्केट में उनके सामान की सप्लाई बढ़ेगी, जिससे बीते सालों में हुआ नुकसान भी शायद पूरा हो जाए.

उचित दाम पर भारतीय सामान
भारतीय सामान बनाने वालों ने चाइना को एक बार फिर मुंह तोड़ जवाब दिया है. भारतीय सामान इस बार दिवाली पर उचित दाम पर उपलब्ध हो रहा है. रंग-बिरंगे दीपक भी सस्ते हैं. खास बात यह है कि यह सभी भारत में ही बने हुए हैं. स्थानीय स्तर पर बन रहे सामान की सप्लाई मार्केट में होने से यह मुमकिन हो पाया है. इससे प्रधानमंत्री का वोकल फॉर लोकल स्लोगन भी जीवंत हो रहा है.

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