गाजियाबाद: डीपीएस इंदिरापुरम के टीचर्स और कर्मचारियों पर 1 जुलाई का दिन कहर बनकर टूटा है. डीपीएस इंदिरापुरम ने बुधवार को अपने 30 कर्मचारियों को एक दिन में नौकरी से निकाल दिया, जिनमें कुछ टीचर भी शामिल हैं. स्कूल प्रबंधन ने नोटिस जारी कर कहा है कि, 1 जुलाई से संबंधित स्टाफ और टीचर्स की जरूरत नहीं है, इसलिए उन्हें निकाला जा रहा है. स्कूल प्रबंधन के इस फैसले का अभिभावक संघ ने विरोध किया है.
टीचर्स के समर्थन में पेरेंट्स एसोसिएशन
डीपीएस अभिभावक संघ की अध्यक्ष प्रियंका राणा का कहना है कि स्कूल एक तरफ जहां पेरेंट्स पर मोटी फीस देने का दबाव बना रहे हैं, तो वहीं टीचर्स और स्टाफ को निकाला जाना बिल्कुल सही नहीं ठहराया जा सकता. प्राइवेट स्कूल मनमानी पर पूरी तरह से उतर आए हैं. पेरेंट्स एसोसिएशन ने स्कूलों के पक्ष में सोशल मीडिया पर भी मुहिम शुरू की है.
स्कूल प्रबंधन का कैमरे पर बोलने से इनकार
स्कूल ने संबंधित स्टाफ और टीचर्स को लापरवाह बताया है. डीपीएस की तरफ से ऑफ कैमरा ये भी कहा गया है कि सभी स्टाफ को अगले 3 महीने का वेतन दिया गया है. डीपीएस ने इस बात से इनकार किया है कि ये सभी लोग 17 साल से काम कर रहे थे.
डीपीएस की तरफ से आए बयान में सिर्फ इतना ही बताया गया है कि इनमें से कुछ लोग 5 से 6 साल पुराने स्टाफ का हिस्सा थे और सभी टेंपरेरी बेसिस पर काम कर रहे थे. इनमें से किसी के परमानेंट होने की बात से डीपीएस ने इनकार किया है, हालांकि कैमरे पर डीपीएस इंदिरापुरम स्कूल मैनेजमेंट कुछ भी कहने को तैयार नहीं है.