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मुरादनगर हादसा : पहली बरसी पर मृतकों के परिजनों ने धरना स्थल पर किया हवन - मुरादनगर श्मशान घाट हादसे की पहली बरसी

पूरे देश को हिला कर रख देने वाले मुरादनगर श्मशान घाट हादसे (Muradnagar cremation ground incident) को आज एक साल पूरा हो गया है. इस दर्दनाक हादसे की आज पहली बरसी है. वहीं, श्मशान घाट हादसे की पीड़ित महिलाएं 29 नवंबर से नगर पालिका परिषद (muradnagar municipal council) में जारी धरना स्थल पर मना रही हैं.

मुरादनगर हादसा
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Published : Jan 3, 2022, 10:53 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद : गाजियाबाद के मुरादनगर (Muradnagar cremation ground incident) कस्बे में बीते साल तीन जनवरी को नगर पालिका परिषद के भ्रष्ट अधिकारियों के कारण एक हादसा हुआ था. इसमें श्मशान घाट में अर्थी लेकर गए लोगों में से 25 लोगों की अर्थी वापस घर आई थी. इस हादसे पर प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति ने दुख जताया था. आज इस हादसे की पहली बरसी है. इस पर मृतकों के परिजनों ने धरना स्थल पर हवन का आयोजन किया है.

धरना स्थल पर मृतकों के परिजन अपने बच्चों के साथ एक हवन का आयोजन (havan on incident place) किया है. इस हादसे में जान गंवाने वाले 25 लोगों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थनाएं की गई हैं. इस हादसे की पहली बरसी होने के बावजूद नगर पालिका परिषद में प्रशासन का कोई भी अधिकारी मौजूद नहीं है.

मुरादनगर हादसा

पीड़िता पुष्पलता ने बताया कि आज वही मनहूस दिन है. जिस दिन उन्होंने बीते साल तीन जनवरी को अपने परिजनों को खोया था. आज उन्होंने मृतकों की आत्मा की शांति के लिए एक हवन का आयोजन करते हुए प्रार्थनाएं की हैं. शाम के समय वह एक कैंडल मार्च (candle march in muradnagar) भी निकालेंगे. पीड़िता का कहना है कि 29 नवंबर से नगर पालिका परिषद में उनका धरना जारी है. 16 दिसंबर से वह भूख हड़ताल पर भी बैठी हुई है. लेकिन आज तक सरकार ने उनकी कोई भी सुध नहीं ली है.

ये भी पढ़ें : मुरादनगर श्मशान घाट हादसे में घायल पवन कुमार की मौत

पीड़ित महिला का कहना है कि इस सरकार ने उनके लिए अभी तक कुछ भी नहीं किया है सिर्फ मुआवजे के नाम पर 10 लाख रुपये का उनको जहर दिया गया है. उनकी कोई भी मांग पूरी नहीं हुई है. उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, वह नगर पालिका परिषद (muradnagar municipal council) से नहीं हटेंगे. चाहे इसके लिए नगर पालिका में तालाबंदी करने के साथ अपनी जान भी देनी पड़े.

ये भी पढ़ें : मुरादनगर श्मशान घाट हादसा : गुजर गया साल न मिली नौकरी, न इंसाफ

मृतकों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे भारतीय किसान यूनियन टिकैत के जिला महासचिव राहुल सुराना का कहना है कि वह इस हादसे के पहले दिन से ही पीड़ितों के साथ जुटे हुए हैं. इस हादसे में 25 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी. करीब इतने ही लोग घायल हुए थे. उनका कहना है कि इस हादसे के जिम्मेदार सरकार के नेता और अधिकारी हैं. मृतकों और उनके परिजनों का इसमें क्या कसूर है. ऐसे में उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि सरकार पीड़ितों की मांग मानें वरना वह आंदोलन को और अधिक तेज करेंगे.

नई दिल्ली/गाजियाबाद : गाजियाबाद के मुरादनगर (Muradnagar cremation ground incident) कस्बे में बीते साल तीन जनवरी को नगर पालिका परिषद के भ्रष्ट अधिकारियों के कारण एक हादसा हुआ था. इसमें श्मशान घाट में अर्थी लेकर गए लोगों में से 25 लोगों की अर्थी वापस घर आई थी. इस हादसे पर प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति ने दुख जताया था. आज इस हादसे की पहली बरसी है. इस पर मृतकों के परिजनों ने धरना स्थल पर हवन का आयोजन किया है.

धरना स्थल पर मृतकों के परिजन अपने बच्चों के साथ एक हवन का आयोजन (havan on incident place) किया है. इस हादसे में जान गंवाने वाले 25 लोगों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थनाएं की गई हैं. इस हादसे की पहली बरसी होने के बावजूद नगर पालिका परिषद में प्रशासन का कोई भी अधिकारी मौजूद नहीं है.

मुरादनगर हादसा

पीड़िता पुष्पलता ने बताया कि आज वही मनहूस दिन है. जिस दिन उन्होंने बीते साल तीन जनवरी को अपने परिजनों को खोया था. आज उन्होंने मृतकों की आत्मा की शांति के लिए एक हवन का आयोजन करते हुए प्रार्थनाएं की हैं. शाम के समय वह एक कैंडल मार्च (candle march in muradnagar) भी निकालेंगे. पीड़िता का कहना है कि 29 नवंबर से नगर पालिका परिषद में उनका धरना जारी है. 16 दिसंबर से वह भूख हड़ताल पर भी बैठी हुई है. लेकिन आज तक सरकार ने उनकी कोई भी सुध नहीं ली है.

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पीड़ित महिला का कहना है कि इस सरकार ने उनके लिए अभी तक कुछ भी नहीं किया है सिर्फ मुआवजे के नाम पर 10 लाख रुपये का उनको जहर दिया गया है. उनकी कोई भी मांग पूरी नहीं हुई है. उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, वह नगर पालिका परिषद (muradnagar municipal council) से नहीं हटेंगे. चाहे इसके लिए नगर पालिका में तालाबंदी करने के साथ अपनी जान भी देनी पड़े.

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मृतकों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे भारतीय किसान यूनियन टिकैत के जिला महासचिव राहुल सुराना का कहना है कि वह इस हादसे के पहले दिन से ही पीड़ितों के साथ जुटे हुए हैं. इस हादसे में 25 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी. करीब इतने ही लोग घायल हुए थे. उनका कहना है कि इस हादसे के जिम्मेदार सरकार के नेता और अधिकारी हैं. मृतकों और उनके परिजनों का इसमें क्या कसूर है. ऐसे में उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि सरकार पीड़ितों की मांग मानें वरना वह आंदोलन को और अधिक तेज करेंगे.

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