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आत्मनिर्भर बन रही गोशाला, बाजार में बिकेगी गोबर से बनी खाद - नंदी पार्क गौशाला में बर्मी कम्पोस्ट

नंदी पार्क गोशाला में न सिर्फ गोवंशों का खासा ख्याल रखा जाता है, बल्कि गोवंशों के गोबर को भी प्रयोग में लाया जाता है. कामधेनु अवतरण अभियान गोशाला, शाहजहांपुर के सदस्य आलोक मिश्रा की देखरेख में गोवंशों के गोबर से बर्मी कम्पोस्ट खाद ( केंचुआ खाद) बनाई जा रही है.

आत्मनिर्भर बन रही गोशाला
आत्मनिर्भर बन रही गोशाला
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Published : Apr 15, 2021, 5:59 PM IST

गाजियाबाद : उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में नगर निगम द्वारा संचालित नंदी पार्क गोशाला में तकरीबन डेढ़ हजार से अधिक गोवंश रहते हैं. सड़क पर घूम रहे आवारा और निराश्रित गोवंशों को पकड़कर नगर निगम की टीम नंदी पार्क गोशाला पहुंचाती है. गोशाला में गोवंशों के रख-रखाव के लिए तमाम व्यवस्था मौजूद हैं. नंदी पार्क गोशाला प्रदेश में चल रही गोशालाओं से खासा अलग है. नंदी पार्क गोशाला में ना सिर्फ गोवंशों का खासा ख्याल रखा जाता है, बल्कि गोवंशों के गोबर को भी प्रयोग में लाया जाता है.

आत्मनिर्भर बन रही गोशाला

ये भी पढ़ें- आईआईटी रुड़की के क्वारंटाइन सेंटर में छात्र की मौत, RT-PCR रिपोर्ट थी नेगेटिव

नंदी पार्क गोशाला में तक़रीबन डेढ़ हजार गोवंश हैं, जिनमें 400 देसी गाय और 1100 नंदी हैं. ऐसे में पशुओं से हर रोज़ कई क्विंटल गोबर निकलता है. गोबर को ठिकाने लगाना भी नगर निगम के लिए बड़ी चुनौती होती थी, लेकिन अब गोवंशों के गोबर को खाद बनाने में प्रयोग किया जाता है.



कामधेनु अवतरण अभियान गोशाला, शाहजहांपुर के सदस्य आलोक मिश्रा की देखरेख में गोवंशों के गोबर से बर्मी कम्पोस्ट खाद ( केंचुआ खाद) बनाया जा रहा है. आलोक मिश्रा बताते हैं कि वर्मी कम्पोस्ट खाद को बनाने में 50 दिन से दो महीने का समय लगता है. गोवंश के गोबर से बना खाद बाजार में मिलने वाले खाद की तुलना में अधिक जैविक (organic) होती है. आमतौर पर जैविक वर्मी कंपोस्ट खाद का इस्तेमाल नर्सरी, किचन गार्डन आदि में होता है. शुरुआती दौर में दस टन केंचुआ खाद बनाया जा रहा है. जो कि आने वाले 10 दिन बाद बनकर तैयार हो जाएगा.

ये भी पढ़ें : तिहाड़ जेल में कैदी-कर्मचारी लगातार हो रहे संक्रमित, एक्टिव केस हुए 78

मिश्रा ने बताया कि गोवंशों के गोबर को इकठ्ठा किया जाता है, जिसके बाद गोबर को फैलाकर पानी छोड़ा जाता है, क्योंकि गोबर में काफी गर्मी होती है. ऐसे में गोबर को ठंडा करना जरूरी हो जाता है. क्योंकि गर्म गोबर में केंचुए डालते ही तुरन्त मर जाते हैं. गोबर को ठंडा होने के बाद पिट में भरा जाता है और केंचुए डाले जाते हैं, जिसके बाद खाद बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है.


नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर के मुताबिक गोशाला पर प्रतिमाह होने लाखों रुपए के व्यय की पूर्ति, गोशाला के गोबर से बनाई गई खाद को बाजार में बेचने से प्राप्त आय से हो सकेगी, जिससे गाजियाबाद नगर निगम की गोशाला नंदी पार्क स्वावलंबी बनेगी.

गाजियाबाद : उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में नगर निगम द्वारा संचालित नंदी पार्क गोशाला में तकरीबन डेढ़ हजार से अधिक गोवंश रहते हैं. सड़क पर घूम रहे आवारा और निराश्रित गोवंशों को पकड़कर नगर निगम की टीम नंदी पार्क गोशाला पहुंचाती है. गोशाला में गोवंशों के रख-रखाव के लिए तमाम व्यवस्था मौजूद हैं. नंदी पार्क गोशाला प्रदेश में चल रही गोशालाओं से खासा अलग है. नंदी पार्क गोशाला में ना सिर्फ गोवंशों का खासा ख्याल रखा जाता है, बल्कि गोवंशों के गोबर को भी प्रयोग में लाया जाता है.

आत्मनिर्भर बन रही गोशाला

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नंदी पार्क गोशाला में तक़रीबन डेढ़ हजार गोवंश हैं, जिनमें 400 देसी गाय और 1100 नंदी हैं. ऐसे में पशुओं से हर रोज़ कई क्विंटल गोबर निकलता है. गोबर को ठिकाने लगाना भी नगर निगम के लिए बड़ी चुनौती होती थी, लेकिन अब गोवंशों के गोबर को खाद बनाने में प्रयोग किया जाता है.



कामधेनु अवतरण अभियान गोशाला, शाहजहांपुर के सदस्य आलोक मिश्रा की देखरेख में गोवंशों के गोबर से बर्मी कम्पोस्ट खाद ( केंचुआ खाद) बनाया जा रहा है. आलोक मिश्रा बताते हैं कि वर्मी कम्पोस्ट खाद को बनाने में 50 दिन से दो महीने का समय लगता है. गोवंश के गोबर से बना खाद बाजार में मिलने वाले खाद की तुलना में अधिक जैविक (organic) होती है. आमतौर पर जैविक वर्मी कंपोस्ट खाद का इस्तेमाल नर्सरी, किचन गार्डन आदि में होता है. शुरुआती दौर में दस टन केंचुआ खाद बनाया जा रहा है. जो कि आने वाले 10 दिन बाद बनकर तैयार हो जाएगा.

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मिश्रा ने बताया कि गोवंशों के गोबर को इकठ्ठा किया जाता है, जिसके बाद गोबर को फैलाकर पानी छोड़ा जाता है, क्योंकि गोबर में काफी गर्मी होती है. ऐसे में गोबर को ठंडा करना जरूरी हो जाता है. क्योंकि गर्म गोबर में केंचुए डालते ही तुरन्त मर जाते हैं. गोबर को ठंडा होने के बाद पिट में भरा जाता है और केंचुए डाले जाते हैं, जिसके बाद खाद बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है.


नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर के मुताबिक गोशाला पर प्रतिमाह होने लाखों रुपए के व्यय की पूर्ति, गोशाला के गोबर से बनाई गई खाद को बाजार में बेचने से प्राप्त आय से हो सकेगी, जिससे गाजियाबाद नगर निगम की गोशाला नंदी पार्क स्वावलंबी बनेगी.

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