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हम एक बार फिर कश्मीर की वादियों में ले सकेंगे सांस: कश्मीरी माइग्रेंट्स

सरकार के जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को हटाने के फैसले को नोएडा में रहने वाले कश्मीरी माइग्रेंट्स ने बहुत अच्छा बताया. उन्होंने कहा कि अब अपने घर जाने का मौका मिलेगा.

हम एक बार फिर कश्मीर की वादियों में ले सकेंगे सांस.
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Published : Aug 6, 2019, 1:41 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा: सालों पहले उत्पीड़न और आतंकवाद के कारण कश्मीर छोड़ नोएडा में बसने वाले लोगों ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को हटाने को ऐतिहासिक फैसला बताया है और खुशी जताई है.

उनका कहना है ये फैसला बहुत पहले होना चाहिए था. लेकिन जब भी हुआ अच्छा हुआ. अब कश्मीर की समस्या का भी समाधान हो जाएगा. वे एक बार फिर कश्मीर की वादियों में सांस ले सकेंगे और अपने पैतृक गांव लौट सकेंगे.

जानकारी देते एडी विसेन.

एकजुटता के लिए बनाई एसोसिएशन
मूलरूप से कश्मीर के निवासी अशोक मनवटी ने दो दशक पहले कश्मीर को अलविदा कह दिया था. वे अब नोएडा के सेक्टर 15 में स्टेशनरी की दुकान खोल कर अपना जीवन-यापन कर रहे हैं.

उनको अपनी कश्मीर की मिट्टी से बिछड़ने का दर्द सालता था. उन्होंने कश्मीर की मिट्टी से बिछड़कर नोएडा में बसने वाले कश्मीरी माइग्रेंट्स को एकजुट करने के लिए कश्मीरी माइग्रेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन बनाई. लोगों को एक जुट कर अपने हक के संघर्ष को जारी रखा.

'अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकेंगे'
अशोक मनवटी का कहना है कि यह बहुत खुशी की बात है. इस फैसले से पूरे देश को खुश होना चाहिए. इससे किसी को कोई परेशानी नहीं होगी. उन्होंने आगे कहा कि अलगाववादी इस फैसले का विरोध सिर्फ इसलिए कर रहे हैं क्योंकि अब उनकी मनमानी नहीं चलेगी. अब किसी भी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जा सकेगा.

'स्थिति को सुधारने में दो चार महीने लगेंगे'
अशोक मनवटी के साथ संघर्ष के साथी रहे नरेश भान और एडी विसेन का कहना है कि सरकार के उठाए कदम से स्थिति को सुधारने में दो चार महीने लगेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि हमको घर वापसी का, अपनी संपत्ति को वापस मिलने का मौका मिलेगा.

नई दिल्ली/नोएडा: सालों पहले उत्पीड़न और आतंकवाद के कारण कश्मीर छोड़ नोएडा में बसने वाले लोगों ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को हटाने को ऐतिहासिक फैसला बताया है और खुशी जताई है.

उनका कहना है ये फैसला बहुत पहले होना चाहिए था. लेकिन जब भी हुआ अच्छा हुआ. अब कश्मीर की समस्या का भी समाधान हो जाएगा. वे एक बार फिर कश्मीर की वादियों में सांस ले सकेंगे और अपने पैतृक गांव लौट सकेंगे.

जानकारी देते एडी विसेन.

एकजुटता के लिए बनाई एसोसिएशन
मूलरूप से कश्मीर के निवासी अशोक मनवटी ने दो दशक पहले कश्मीर को अलविदा कह दिया था. वे अब नोएडा के सेक्टर 15 में स्टेशनरी की दुकान खोल कर अपना जीवन-यापन कर रहे हैं.

उनको अपनी कश्मीर की मिट्टी से बिछड़ने का दर्द सालता था. उन्होंने कश्मीर की मिट्टी से बिछड़कर नोएडा में बसने वाले कश्मीरी माइग्रेंट्स को एकजुट करने के लिए कश्मीरी माइग्रेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन बनाई. लोगों को एक जुट कर अपने हक के संघर्ष को जारी रखा.

'अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकेंगे'
अशोक मनवटी का कहना है कि यह बहुत खुशी की बात है. इस फैसले से पूरे देश को खुश होना चाहिए. इससे किसी को कोई परेशानी नहीं होगी. उन्होंने आगे कहा कि अलगाववादी इस फैसले का विरोध सिर्फ इसलिए कर रहे हैं क्योंकि अब उनकी मनमानी नहीं चलेगी. अब किसी भी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जा सकेगा.

'स्थिति को सुधारने में दो चार महीने लगेंगे'
अशोक मनवटी के साथ संघर्ष के साथी रहे नरेश भान और एडी विसेन का कहना है कि सरकार के उठाए कदम से स्थिति को सुधारने में दो चार महीने लगेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि हमको घर वापसी का, अपनी संपत्ति को वापस मिलने का मौका मिलेगा.

Intro:नोएडा – उत्पीढ्न और आतंकबाद के कारण कश्मीर से दूर नोएडा में आशियाना बनाने को मजबूर कश्मीरी माइगेरेंट्स के जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 के समाप्त करने का ऐतिहासिक फैसला एक सपने के पूरे होने के समान था। उनका कहना है ये फैसला बहुत पहले होना चाहिए था, लेकिन जब भी हुआ अच्छा हुआ। अब कश्मीर की समस्या का भी समधान हो जाएगा और वे एक बार फिर कश्मीर की वादियो में सांस ले सकेगे और और अपने पैतृक गाँव लौट सकेगे। इस फैसले से पूरे देश को खुश होना चाहिए। इन कश्मीरी माइगेरेंट्स मिठाई बाँट कर और लोगो खिलाकर खुशी का इजहार किया।



Body:मूलरूप से कश्मीर के निवासी अशोक मनवटी दो दशक पहले कश्मीर को छोड़ आए और नोएडा के सैक्टर 15 में स्ट्रेशनरी की दुकान खोल कर अपना जीवन यापन कर रहे है। उनको अपनी कश्मीर की मिट्टी से बिछड़ने का दर्द सालता था। और उन्होने अपने हक और हुकूक के संघर्ष करते रहे और अपनी कश्मीर की मिट्टी से बिछड़ने नोएडा और नोएडा में बसने वाले कश्मीरी माइगेरेंट्स को एकजुट करने के लिए कश्मीरी माइगेरेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन बनाई। और लोग को एक जुट कर अपना संघर्ष जारी रखा। अशोक मनवटी का कहना है कि यह बहुत खुशी की बात है। इस फैसले से पूरे देश को खुश होना चाहिए। इससे किसी को कोई परेशानी नहीं होगी। उनका कहना है कि अलगाववादी इस फैसले का विरोध सिर्फ इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि अब उनकी मनमानी नहीं चलेगी। किसी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जा सकेगा। इतना ही नहीं चुनाव में धांधली पर चुनाव आयोग भी दखल दे सकेगा।

बाइट – अशोक मनवटी(अध्यक्ष, कश्मीरी माइगेरेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन)


Conclusion: अशोक मनवटी के साथ संघर्ष के साथी रहे नरेश भान और ए॰डी विसेन का कहना है सरकार ने जो कदम उठाया है उससे स्थिति को सुधारने में दो चार महीने लगेंगे। जिन खानदानो ने कश्मीर को बर्बाद कर रखा है। अब उनका प्रभाव कम होगा और हमको घर वापसी का अपनी संपत्ति को वापस मिलने का मौका मिलेगा। कश्मीर ऋषि मुनियों धरती रही है उसकी अपनी एक संस्कृति भी रही है जिसे नष्ट करने का काम हुआ है। अब लगता है हालात सुधरेंगे।

बाइट -- नरेश भान

बाइट -- ए॰डी विसेन
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