नई दिल्ली: यमुना प्राधिकरण ने जेपी इंफ्राटेक के अधिग्रहण के प्रस्ताव को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने बड़ा झटका दिया है. एनसीएलटी ने यमुना प्राधिकरण के दावों को स्वीकार नहीं किया है. 1233 करोड़ की रकम यमुना प्राधिकरण को जेपी इंफ्राटेक से वसूलनी थी या फिर विकास कार्यों पर खर्च होनी थी. ऐसे में विकास की परियोजनाओं पर रकम फंसने से असर पड़ेगा.
यमुना एक्सप्रेस-वे के निर्माण के एवज में जेपी इंफ्राटेक को पांच जगह पर 500 हेक्टेयर जमीन लैंड फॉर डेवलपमेंट के लिए दी गई थी. लैंड फॉर डेवलपमेंट नोएडा गौतमबुद्ध नगर टप्पल मथुरा और आगरा में है. ऐसे में एलडीएफ का विकास यमुना अथॉरिटी को जेपी इंफ्राटेक से वसूल करना था.
गौतमबुद्ध नगर में यमुना प्राधिकरण क्षेत्र के एलडीएस 2 का 244 करोड़, एलडीएफ 3 का 380 करोड़, टप्पल की एलडीएफ का 285 करोड़ और आगरा एलडीएफ का 288 करोड़ लेना था. प्राधिकरण को इसमें से किसी का विकास शुल्क नहीं मिला. अथॉरिटी ने इसकी वसूली के लिए एनसीएलटी में दावा पेश किया, जिसे नकार दिया गया है. यमुना प्राधिकरण का पैसा फंसने की वजह से विकास कार्य भी प्रभावित होंगे. 1233 करोड़ रुपये यमुना प्राधिकरण के फंसे हुए हैं. ऐसे में यमुना प्राधिकरण के विकास परियोजनाओं पर भी असर पड़ेगा.