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चूड़ी कारखाने के मजदूर हो रहे टीबी के शिकार, कैसे हो इनका उद्धार

फिरोजाबाद में टीबी (क्षय रोग) से पीड़ित लोगों की लिस्ट काफी लंबी है. इनमें अधिकांश वे लोग आ रहे हैं, जो चूड़ी के कारखानों में काम करते हैं. डॉक्टरों की माने तो कारखाने से निकलने वाला जहरीला धुआं टीबी रोग का मुख्य कारण है.

स्पेशल रिपोर्ट.
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Published : Nov 26, 2020, 10:28 PM IST

फिरोजाबाद: चूड़ियां बेशक महिलाओं के सौंदर्य में चार चांद लगाती हो, लेकिन इन चूड़ियों को बनाने वाले कारीगरों का दर्द किसी से छिपा नहीं है. कारखाने में चूड़ियां बनाने वाले अधिकांश मजदूर टीबी रोग के शिकार हो जाते हैं. फिरोजाबाद में क्षय रोग से पीड़ित लोगों की फेहरिस्त लंबी है. इनमें से ज्यादातर लोग चूड़ी के कामगार हैं. डॉक्टर भी मानते है कि कारखाने में धुंए के छोटे-छोटे कण सांस के जरिये मजदूरों के अंदर चले जाते हैं और यही क्षय रोग का कारण बनते हैं.

स्पेशल रिपोर्ट.

'सुहाग नगरी' के नाम से मशहूर है फिरोजाबाद
फिरोजाबाद में चूड़ियां का उत्पादन होने से इसे 'सुहाग नगरी' के नाम से जाना जाता है. शहर में करीब 200 कारखानों में चूड़ियों का उत्पादन होता है. इससे 4 लाख लोगों का घर चलता है. शहर ही नहीं, बल्कि देहात में भी घर-घर में चूड़ियां बनाने का काम होता है. इसमें चूड़ियों की जुड़ाई, झलाई का काम होता है. इस काम में केरोसिन (मिट्टी का तेल) का प्रयोग होता है. केरोसिन के जलने से जो धुंआ निकलता है, वह मजदूरों में क्षय रोग का कारण बनता है.

फेफड़ों में मिले धब्बे
टीबी अस्पताल में इलाज करा रहे मरीज प्रमोद बताते हैं कि वह पहले चूड़ी के कारखाने में काम करते थे. उस दौरान उन्हे खांसी हुई और बुखार आने के साथ सांस लेने में भी तकलीफ होने लगी. इसके बाद प्रमोद ने अस्पताल में एक्सरे करवाया. इसमें पता चला कि उसके फेफड़ों में धब्बे आ गए हैं और डॉक्टरों ने टीबी बताकर प्रमोद को अस्पताल में भर्ती कर लिया.

अस्पताल परिसर में बैठी तीमारदार महिला असगरी बताती हैं कि उनकी बेटी चूड़ियों की जुड़ाई का काम करती थी. इस दौरान वह टीबी का शिकार हो गई.

रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर
टीबी अस्पताल में भर्ती प्रमोद और तीमारदार असगरी की बेटी उदाहरण है चूड़ी कारखाने में काम करने के कुप्रभावों का. टीबी अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. मनोज कुमार बताते हैं कि कारखानों के प्रदूषण के छोटे-छोटे कण सांस के जरिये फेफड़ों तक पहुंच जाते है और उन्हें कमजोर कर देते हैं. चिकित्सक के मुताबिक मजदूरों के खान-पान में कमी के चलते उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है और वह टीबी रोग के शिकार हो जाते हैं.

टीबी के लक्षण
टीबी यानी ट्यूबरोकलोसिस को हिंदी में क्षयरोग कहते हैं. दो सप्ताह या उससे अधिक समय से लगातार खांसी और उसके साथ बलगम आना, बुखार, विशेष रूप से शाम को बढ़ने वाला बुखार इसके प्रमुख लक्षण हैं. इसके अन्य लक्षणों में वजन का घटना, भूख कम लगना, सीने में दर्द, बलगम के साथ खून आना शामिल है.

इसे भी पढे़ं- जहरीली शराब लोगों के उजाड़ रहा घर, कब थमेगा इसका क़हर

फिरोजाबाद: चूड़ियां बेशक महिलाओं के सौंदर्य में चार चांद लगाती हो, लेकिन इन चूड़ियों को बनाने वाले कारीगरों का दर्द किसी से छिपा नहीं है. कारखाने में चूड़ियां बनाने वाले अधिकांश मजदूर टीबी रोग के शिकार हो जाते हैं. फिरोजाबाद में क्षय रोग से पीड़ित लोगों की फेहरिस्त लंबी है. इनमें से ज्यादातर लोग चूड़ी के कामगार हैं. डॉक्टर भी मानते है कि कारखाने में धुंए के छोटे-छोटे कण सांस के जरिये मजदूरों के अंदर चले जाते हैं और यही क्षय रोग का कारण बनते हैं.

स्पेशल रिपोर्ट.

'सुहाग नगरी' के नाम से मशहूर है फिरोजाबाद
फिरोजाबाद में चूड़ियां का उत्पादन होने से इसे 'सुहाग नगरी' के नाम से जाना जाता है. शहर में करीब 200 कारखानों में चूड़ियों का उत्पादन होता है. इससे 4 लाख लोगों का घर चलता है. शहर ही नहीं, बल्कि देहात में भी घर-घर में चूड़ियां बनाने का काम होता है. इसमें चूड़ियों की जुड़ाई, झलाई का काम होता है. इस काम में केरोसिन (मिट्टी का तेल) का प्रयोग होता है. केरोसिन के जलने से जो धुंआ निकलता है, वह मजदूरों में क्षय रोग का कारण बनता है.

फेफड़ों में मिले धब्बे
टीबी अस्पताल में इलाज करा रहे मरीज प्रमोद बताते हैं कि वह पहले चूड़ी के कारखाने में काम करते थे. उस दौरान उन्हे खांसी हुई और बुखार आने के साथ सांस लेने में भी तकलीफ होने लगी. इसके बाद प्रमोद ने अस्पताल में एक्सरे करवाया. इसमें पता चला कि उसके फेफड़ों में धब्बे आ गए हैं और डॉक्टरों ने टीबी बताकर प्रमोद को अस्पताल में भर्ती कर लिया.

अस्पताल परिसर में बैठी तीमारदार महिला असगरी बताती हैं कि उनकी बेटी चूड़ियों की जुड़ाई का काम करती थी. इस दौरान वह टीबी का शिकार हो गई.

रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर
टीबी अस्पताल में भर्ती प्रमोद और तीमारदार असगरी की बेटी उदाहरण है चूड़ी कारखाने में काम करने के कुप्रभावों का. टीबी अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. मनोज कुमार बताते हैं कि कारखानों के प्रदूषण के छोटे-छोटे कण सांस के जरिये फेफड़ों तक पहुंच जाते है और उन्हें कमजोर कर देते हैं. चिकित्सक के मुताबिक मजदूरों के खान-पान में कमी के चलते उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है और वह टीबी रोग के शिकार हो जाते हैं.

टीबी के लक्षण
टीबी यानी ट्यूबरोकलोसिस को हिंदी में क्षयरोग कहते हैं. दो सप्ताह या उससे अधिक समय से लगातार खांसी और उसके साथ बलगम आना, बुखार, विशेष रूप से शाम को बढ़ने वाला बुखार इसके प्रमुख लक्षण हैं. इसके अन्य लक्षणों में वजन का घटना, भूख कम लगना, सीने में दर्द, बलगम के साथ खून आना शामिल है.

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