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UP Investors Summit की उम्मीदों पर पानी फेर सकती हैं TTZ की बंदिशें?

ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के बाद से फिरोजाबाद में उद्योग को लेकर नई उम्मीद जगी है. शहर में उद्योग लगाने के लिए 5 हजार करोड़ से ज्याद का एमओयू साइन किया गया. वहीं टीटीजेड (Taj Trapezium Zone) की बंदिशों को लेकर उद्योगपतियों के मन कई सवाल हैं.

firozabad glass industries
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Published : Mar 9, 2023, 7:59 AM IST

Updated : Mar 9, 2023, 10:35 AM IST

फिरोजाबाद में उद्योग को लेकर TTZ की बंदिशें को लेकर कारोबारियों ने सरकार से बीच का रास्ता निकालने को कहा

फिरोजाबादः प्रदेश में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए यूपी सरकार हर संभव कदम उठा रही है. प्रदेश भर में इन्वेस्टर्स समिट उद्योगपतियों को उद्योग लगाने के लिए प्रेरित भी किया गया. चूड़ियों के शहर कहे जाने वाले फिरोजाबाद में भी 5400 करोड़ रुपए के एमओयू साइन हुए थे. लेकिन क्या उद्योगपतियों का यह सपना क्या सच में साकार हो पाएगा? इस बात को लेकर संशय बना हुआ है.

संशय का कारण ताज ट्रेपीजियम क्षेत्र है. इसमें नए उद्योगों के लगाने और उनके शिफ्टिंग पर रोक लगी हुई है. इसे लेकर खुद उद्यमी भी हैरान हैं. उनका कहना है इस सरकार पहले इस रोक को हटाए. इसके बाद ही नए उद्योगों को लगा पाना संभव हो सकेगा. फिरोजाबाद के कांच कारोबारी मुकेश बंसल और शैलेंद्र बंसल कहते हैं कि इन्वेस्टर्स समिट आयोजित कर उद्योगपतियों को इंडस्ट्रीज लगाने के लिए प्रोत्साहित करना सरकार का यह कदम काबिले तारीफ है. सरकार को टीटीजेड की बंदिशों की तफर भी ध्यान देना चाहिये. उन्होंने कहा कि साल 1996 से पहले फिरोजाबाद में 625 इंडस्ट्री थीं. इन बंदिशों के कारण अब इनमें से केवल 196 रह गयी हैं. सरकार को इन बंदिशों का कोई बीच का रास्ता निकालना चाहिए.

firozabad glass industries
फिरोजबाद को चूड़ियों का शहर भी कहा जाता है.

चूड़ियों का शहर कहे जाने वाले फिरोजबाद में कई तरह के ग्लास आइटम्स भी बनते हैं, जिनकी सप्लाई विदेशों में भी होती है. लेकिन, यहां की रंग बिरंगी चूड़ियां जितनी खूबसूरत दिखाई देती है. उतना ही दर्द यहां की इंडस्ट्री के लोगों का भी है. दरअसल, फिरोजाबाद शहर आगरा जनपद के नजदीक होने के कारण इस शहर को ताज संरक्षित जोन में रखा गया है. यानी के यहां पर कोई ऐसी गतिविधि नहीं होगी, जिससे ताजमहल को कोई खतरा हो.

साल 1996 में सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका पर कोर्ट ने यहां कोयले से चलने वाली इंडस्ट्री को बंद करने के आदेश दिए थे. कोर्ट के आदेश के अनुपालन में ही यहां के कारखानों को नेचुरल गैस भी मुहैया कराई गई. लेकिन जितनी मात्रा में यहां कारखानों को गैस की जरूरत थी. उतनी तादाद कारखानों को गैस नहीं मिल सकी. परिणाम यह रहा की तमाम कारखाने गैस न मिलने के कारण बंद हो गए. यही नहीं इस इलाके में नई इकाई और उसकी शिफ्टिंग पर भी रोक लगी है. यानी कोई भी कारोबारी गाइडलाइन को फॉलो किये बगैर और टीटीजेड अथॉरिटी से अनुमति के बगैर न तो नई इकाई लगा सकता है और ना ही उसे दूसरी जगह शिफ्ट कर सकता है.

ये भी पढ़ेंः Varanai में सोने पर दमकेगी गुलाबी मीनाकारी, इस नए प्रयोग से बढ़ी डिमांड

फिरोजाबाद में उद्योग को लेकर TTZ की बंदिशें को लेकर कारोबारियों ने सरकार से बीच का रास्ता निकालने को कहा

फिरोजाबादः प्रदेश में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए यूपी सरकार हर संभव कदम उठा रही है. प्रदेश भर में इन्वेस्टर्स समिट उद्योगपतियों को उद्योग लगाने के लिए प्रेरित भी किया गया. चूड़ियों के शहर कहे जाने वाले फिरोजाबाद में भी 5400 करोड़ रुपए के एमओयू साइन हुए थे. लेकिन क्या उद्योगपतियों का यह सपना क्या सच में साकार हो पाएगा? इस बात को लेकर संशय बना हुआ है.

संशय का कारण ताज ट्रेपीजियम क्षेत्र है. इसमें नए उद्योगों के लगाने और उनके शिफ्टिंग पर रोक लगी हुई है. इसे लेकर खुद उद्यमी भी हैरान हैं. उनका कहना है इस सरकार पहले इस रोक को हटाए. इसके बाद ही नए उद्योगों को लगा पाना संभव हो सकेगा. फिरोजाबाद के कांच कारोबारी मुकेश बंसल और शैलेंद्र बंसल कहते हैं कि इन्वेस्टर्स समिट आयोजित कर उद्योगपतियों को इंडस्ट्रीज लगाने के लिए प्रोत्साहित करना सरकार का यह कदम काबिले तारीफ है. सरकार को टीटीजेड की बंदिशों की तफर भी ध्यान देना चाहिये. उन्होंने कहा कि साल 1996 से पहले फिरोजाबाद में 625 इंडस्ट्री थीं. इन बंदिशों के कारण अब इनमें से केवल 196 रह गयी हैं. सरकार को इन बंदिशों का कोई बीच का रास्ता निकालना चाहिए.

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फिरोजबाद को चूड़ियों का शहर भी कहा जाता है.

चूड़ियों का शहर कहे जाने वाले फिरोजबाद में कई तरह के ग्लास आइटम्स भी बनते हैं, जिनकी सप्लाई विदेशों में भी होती है. लेकिन, यहां की रंग बिरंगी चूड़ियां जितनी खूबसूरत दिखाई देती है. उतना ही दर्द यहां की इंडस्ट्री के लोगों का भी है. दरअसल, फिरोजाबाद शहर आगरा जनपद के नजदीक होने के कारण इस शहर को ताज संरक्षित जोन में रखा गया है. यानी के यहां पर कोई ऐसी गतिविधि नहीं होगी, जिससे ताजमहल को कोई खतरा हो.

साल 1996 में सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका पर कोर्ट ने यहां कोयले से चलने वाली इंडस्ट्री को बंद करने के आदेश दिए थे. कोर्ट के आदेश के अनुपालन में ही यहां के कारखानों को नेचुरल गैस भी मुहैया कराई गई. लेकिन जितनी मात्रा में यहां कारखानों को गैस की जरूरत थी. उतनी तादाद कारखानों को गैस नहीं मिल सकी. परिणाम यह रहा की तमाम कारखाने गैस न मिलने के कारण बंद हो गए. यही नहीं इस इलाके में नई इकाई और उसकी शिफ्टिंग पर भी रोक लगी है. यानी कोई भी कारोबारी गाइडलाइन को फॉलो किये बगैर और टीटीजेड अथॉरिटी से अनुमति के बगैर न तो नई इकाई लगा सकता है और ना ही उसे दूसरी जगह शिफ्ट कर सकता है.

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Last Updated : Mar 9, 2023, 10:35 AM IST
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