फिरोजाबादः हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रतीक माने जाने वाले हजरत शाह सूफी के उर्स पर इस साल कोरोना का ग्रहण लग गया है. कमेटी के विवाद और कोरोना के संक्रमण के मद्देनजर जिला प्रशासन ने उर्स के आयोजन की इजाजत नहीं दी है. इसी के साथ ही स्थानीय स्तर पर होने वाली सरकारी छुट्टी को भी रद्द कर दिया गया है. बता दें कि इस उर्स में दूर-दूर से लाखों लोग शिरकत मन्नत मांगते थे. लेकिन इस बार उर्स का आयोजन नहीं होने से लोग मायूस हैं.
हर साल एक लाख अकीदतमंद करते है जियारत
फिरोजाबाद के बसई मोहम्मपुर इलाके के गांव सोफीपुर के जंगल में यमुना नदी के किनारे पर हजरत शाह सूफी की दरगाह है. इस दरगाह का इतिहास मोहम्मद गोरी से जुड़ा है. इस दरगाह पर हर साल उर्स आयोजित होता है, जिसमें करीब एक लाख अकीदतमंद जियारत करने दूर-दूर से आते हैं
मुस्लिमों के साथ हिन्दू भी मांगते हैं मन्नत
इस दरगाह की यह विशेषता है कि यहां मुस्लिम के साथ साथ हिन्दू धर्म के अनुयायी भी इस उर्स में शिरकत करते हैं और मन्नत भी मांगते हैं. इसीलिए इस दरगाह को हिन्दू मुस्लिम एकता की मिसाल माना जाता है. इस बार यह उर्स नौ नबम्बर को आयोजित होने था लेकिन भीड़ की आशंका और कोरोना संक्रमण के चलते इस बार स्थानीय प्रशासन आयोजन की अनुमति नहीं दी है. इसी के साथ ही उर्स वाले दिन नौ नबम्बर को सरकारी दफ्तरों की होने वाली छुट्टी को भी रद्द कर दिया गया है.