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फिरोजाबाद में मुलायम के समधी बिगाड़ सकते हैं सपा का खेल

फिरोजाबाद को सपा का गढ़ माना जाता है और इसे यादललैंड भी कहा जाता है. इस यादव लैंड में अबकी सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. जातिगत आंकड़ों के हिसाब से जनपद की तीन सीटों पर यादव वोट बैंक निर्णायक भूमिका में है. लेकिन इस बार खुद मुलायम सिंह यादव के समधी हरिओम यादव फिरोजाबाद के समीकरणों को प्रभावित कर सकते हैं.

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Published : Feb 18, 2022, 12:55 PM IST

फिरोजाबाद: फिरोजाबाद को सपा का गढ़ माना जाता है और इसे यादललैंड भी कहा जाता है. इस यादव लैंड में अबकी सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. जातिगत आंकड़ों के हिसाब से जनपद की तीन सीटों पर यादव वोट बैंक निर्णायक भूमिका में है. लेकिन इस बार खुद मुलायम सिंह यादव के समधी हरिओम यादव फिरोजाबाद के समीकरणों को प्रभावित कर सकते हैं. फिरोजाबाद में कुल पांच सीटें हैं, जिनमें फिरोजाबाद सदर विधानसभा सीट, शिकोहाबाद विधानसभा सीट, जसराना विधानसभा सीट, टूंडला विधानसभा सीट और सिरसागंज विधानसभा सीट. 20 फरवरी को तीसरे चरण में यहां मतदान होगा और यहां की सभी पांचों सीटों पर कुल 53 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं. इधर, जिले में कुल 18 लाख 47 हजार वोटर्स हैं, जो इन प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे.

जातिगत आंकड़ों की बात करें 18 लाख 47 हजार वोटरों में से साढ़े तीन से लेकर चार लाख की संख्या में यहां यादव जाति के मतदाता हैं. यही वजह है कि फिरोजाबाद को सपा का मजबूत गढ़ और यादव लैंड माना जाता है. खासकर इस जनपद की तीन सीट जसराना, शिकोहाबाद, सिरसागंज तो ऐसी हैं, जहां यादव वोट निर्णायक की भूमिका निभाते हैं. तीनों सीटों पर यादव वोटर्स की संख्या एक लाख के आसपास है. जिले की जसराना, शिकोहाबाद और सिरसागंज सीट तो ऐसी है, जहां यादव वोटर्स जीत-हार की बाजी तक पलटने की ताकत रखते हैं.

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव

इसे भी पढ़ें - सपा सरकार में हावी रहते हैं गुंडे-माफिया, हार के डर से बौखलाहट में अखिलेश: केशव प्रसाद मौर्य

वहीं, साल 2012 में जिले की पांच में से चार सीटें समाजवादी पार्टी के खाते में आई थी. केवल फिरोजाबाद सदर सीट पर भाजपा प्रत्याशी मनीष असीजा जीत कर विधायक बने थे. लेकिन साल 2017 में भाजपा की लहर ने यादव लैंड में विजय पताका फहरायी थी. सपा पांच में से केवल सिरसागंज सीट पर ही विजय हासिल कर सकी थी, शेष सभी सीटों पर भाजपा की जीत हुई थी.

इस बार फिर इन सभी सीटों के लिए भाजपा और सपा के बीच कश्मकश है. यहां यादवों के बीच प्रभाव रखने वाले मुलायम सिंह यादव के समधी हरिओम यादव भाजपा में शामिल होकर सिरसागंज से चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि वो यहां सपा को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

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फिरोजाबाद: फिरोजाबाद को सपा का गढ़ माना जाता है और इसे यादललैंड भी कहा जाता है. इस यादव लैंड में अबकी सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. जातिगत आंकड़ों के हिसाब से जनपद की तीन सीटों पर यादव वोट बैंक निर्णायक भूमिका में है. लेकिन इस बार खुद मुलायम सिंह यादव के समधी हरिओम यादव फिरोजाबाद के समीकरणों को प्रभावित कर सकते हैं. फिरोजाबाद में कुल पांच सीटें हैं, जिनमें फिरोजाबाद सदर विधानसभा सीट, शिकोहाबाद विधानसभा सीट, जसराना विधानसभा सीट, टूंडला विधानसभा सीट और सिरसागंज विधानसभा सीट. 20 फरवरी को तीसरे चरण में यहां मतदान होगा और यहां की सभी पांचों सीटों पर कुल 53 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं. इधर, जिले में कुल 18 लाख 47 हजार वोटर्स हैं, जो इन प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे.

जातिगत आंकड़ों की बात करें 18 लाख 47 हजार वोटरों में से साढ़े तीन से लेकर चार लाख की संख्या में यहां यादव जाति के मतदाता हैं. यही वजह है कि फिरोजाबाद को सपा का मजबूत गढ़ और यादव लैंड माना जाता है. खासकर इस जनपद की तीन सीट जसराना, शिकोहाबाद, सिरसागंज तो ऐसी हैं, जहां यादव वोट निर्णायक की भूमिका निभाते हैं. तीनों सीटों पर यादव वोटर्स की संख्या एक लाख के आसपास है. जिले की जसराना, शिकोहाबाद और सिरसागंज सीट तो ऐसी है, जहां यादव वोटर्स जीत-हार की बाजी तक पलटने की ताकत रखते हैं.

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव

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वहीं, साल 2012 में जिले की पांच में से चार सीटें समाजवादी पार्टी के खाते में आई थी. केवल फिरोजाबाद सदर सीट पर भाजपा प्रत्याशी मनीष असीजा जीत कर विधायक बने थे. लेकिन साल 2017 में भाजपा की लहर ने यादव लैंड में विजय पताका फहरायी थी. सपा पांच में से केवल सिरसागंज सीट पर ही विजय हासिल कर सकी थी, शेष सभी सीटों पर भाजपा की जीत हुई थी.

इस बार फिर इन सभी सीटों के लिए भाजपा और सपा के बीच कश्मकश है. यहां यादवों के बीच प्रभाव रखने वाले मुलायम सिंह यादव के समधी हरिओम यादव भाजपा में शामिल होकर सिरसागंज से चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि वो यहां सपा को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

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