फिरोजाबाद: कोरोना महामारी के कारण जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. महामारी के चलते सभी कारोबार ठप पड़े हैं, लेकिन इन सबके बीच सबसे ज्यादा परेशानी समाज के उस वर्ग को हो रही है जो त्योहारों में मूर्तियां बनाकर अपनी रोजी-रोटी कमाता है. हम बात कर रहे हैं दुर्गा पूजा महोत्सव में मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकारों की. मूर्तिकारों के जीवन में कोरोना महामारी महिषासुर बनकर आई है.
आर्थिक तंगी झेल रहे मूर्तिकार
उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले में 20 जगहों पर दुर्गा पूजा के लिए मूर्तियों को बनाया जाता है. जहां 100 से ज्यादा मूर्तिकार मिट्टी की इन मूर्तियों सजीव रूप देते हैं, लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते इन मूर्तिकारों के सामने जीविका का संकट खड़ा हो गया. बता दें 17 अक्टूबर से शरदीय नवरात्र शुरू हो रहा है. हालांकि, यूपी सरकार ने कोरोना काल के दौरान सुरक्षा प्रोटोकॉल के साथ दुर्गा पूजा मनाने की अनुमति दे दी है, लेकिन पहले के जैसे इस बार दुर्गा पूजा में वह रौनक बरकरार नहीं रहेगी. कुछ ही स्थानों में दुर्गा पूजा पंडाल लगाए जाएंगे. जिसको लेकर मूर्तिकारों में मायूसी है.
नहीं हुई बड़ी दुर्गा प्रतिमाओं की बिक्री
मूर्तिकारों का कहना है कि उन्हें साल भर में एक या दो ही मौके मिलते हैं, जिससे साल भर की जीविका चलती है. इस बार चैत्र नवरात्रि में दुर्गा पूजा पंडाल ज्यादा स्थापित नहीं हुए और न ही गणेश पूजा के मौके पर पंडाल स्थापित हुए. इन दोनों ही मौकों पर प्रतिमाओं की बिक्री नहीं हुई. पूरे साल हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे. यही वजह है कि मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए मूर्तिकार छोटी मूर्तियां बनाने में अधिक जोर दे रहे हैं, जिससे मां के भक्त इन मूर्तियों को घरों में स्थापित कर सकें और इन मूर्तियों की बिक्री भी बढ़े.
सरकार की नई गाइडलाइंस के मुताबिक इस बार नव दुर्गा पूजा शारदीय नवरात्रि के मौके पर नव दुर्गा पूजा के बड़े बड़े पंडाल स्थापित नहीं किये जायेंगे. सरकार के इस फैसले के बाद मूर्तिकारों को झटका तो लगा है, लेकिन मूर्तिकारों ने उम्मीद नहीं छोड़ी है. यह मूर्तिकार अब छोटे साइज की मूर्तियां बना रहे हैं. इन्हें उम्मीद है कि मां के भक्त इन छोटी मूर्तियों को अपने अपने घरों में जरूर स्थापित करेंगे.