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फिरोजाबाद में लगा आलू से चिप्स बनाने वाला प्लांट, महिलाओं के हाथ होगी कमान

यूपी के फिरोजाबाद में आलू से चिप्स बनाने की इकाई स्थापित की गई है, जो बहुत जल्द ही सुचारू रूप से रन करने लगेगी. खास बात यह है इस प्लांट का संचालन स्वयं सहायता समूह की करीब 650 महिलाएं करेंगी.

फिरोजाबाद में लगा आलू से चिप्स बनाने वाला प्लांट.
फिरोजाबाद में लगा आलू से चिप्स बनाने वाला प्लांट.
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Published : Oct 12, 2021, 11:20 AM IST

फिरोजाबाद: जिले में आलू उत्पादक किसानों की वर्षों पुरानी मांग अब पूरी होने वाली है. जिले के शिकोहाबाद इलाके के दिखतौली गांव में आलू प्रसंस्करण और चिप्स बनाने की इकाई स्थापित की गई है, जो बहुत जल्द ही रन करने लगेगी. खास बात यह है कि इस इकाई का संचालन एक स्वयं सहायता समूह की करीब 650 महिलाओं द्वारा किया जाएगा. यह इकाई पूरे प्रदेश में इस मॉडल पर स्थापित होने वाली पहली इकाई होगी. फिलहाल इसके निर्माण कार्य को अंतिम रूप दिया जा रहा है. इस प्लांट को लगाने में करीब 60 लाख रुपये की लागत आई है. इस प्लांट में 50 किलोग्राम आलू का प्रति घंटे के हिसाब से प्रोसेसिंग का कार्य होगा.

फिरोजाबाद में लगा आलू से चिप्स बनाने वाला प्लांट.
फिरोजाबाद जिले की गिनती प्रमुख रूप से आलू उत्पादक क्षेत्र में होती है. यहां का आलू देश भर की मंडियों में बिकने के लिए जाता है. कभी-कभी आलू पर छाई मंदी के कारण किसानों को अपना आलू फेंकना भी पड़ता है. ऐसे में लंबे समय से इस बात की मांग की जा रही थी कि यहां आलू से चिप्स बनाने वाला एक प्लांट लगाया जाय. लगभग हर चुनाव में यह एक बड़ा मुद्दा भी बनता रहा है. कई जनप्रतिनिधि तो इस मुद्दे पर चुनाव भी जीते हैं.

कांग्रेस नेता राज बब्बर ने तो इस जिले में आलू से चिप्स बनाने वाली फैक्ट्री को लगवाने का वायदा भी किया था और वह सांसद भी बने थे. हालांकि उनकी यह घोषणा परवान नहीं चढ़ सकी. इन सबके बीच अब एक राहत भरी खबर यह है कि फिरोजाबाद के आलू उत्पादक किसानों की सालों पुरानी यह मांग पूरी होने जा रही है. शिकोहाबाद इलाके के एक दिखतौली गांव में सरकार के प्रयास से आलू से चिप्स बनाने वाले एक प्लांट को लगाया जा रहा है.

इसका निर्माण कार्य लगभग अंतिम चरण में है. मशीनें भी लग चुकी हैं. इसकी डिजाइन भी लांच हो चुकी है, जो 'आर्च' के नाम से है. फिलहाल ट्रायल चल रहा है. यह प्लांट अपने आप में अलग है. इसकी वजह यह है कि इसका संचालन ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 650 महिलाओं के समूह द्वारा किया जाएगा. इसकी जो अनुमानित लागत है, वह 60 लाख के करीब आ रही है. सभी महिलाओं की इसमें बराबर की भागीदारी होगी. इस प्लांट की स्थापना में सरकारी सहायता भी ली गई है.

इसे भी पढ़ें- आलू लोड कर रवाना हुई किसान एक्सप्रेस, अब आगरा का आलू खाएगा असम

फिरोजाबाद: जिले में आलू उत्पादक किसानों की वर्षों पुरानी मांग अब पूरी होने वाली है. जिले के शिकोहाबाद इलाके के दिखतौली गांव में आलू प्रसंस्करण और चिप्स बनाने की इकाई स्थापित की गई है, जो बहुत जल्द ही रन करने लगेगी. खास बात यह है कि इस इकाई का संचालन एक स्वयं सहायता समूह की करीब 650 महिलाओं द्वारा किया जाएगा. यह इकाई पूरे प्रदेश में इस मॉडल पर स्थापित होने वाली पहली इकाई होगी. फिलहाल इसके निर्माण कार्य को अंतिम रूप दिया जा रहा है. इस प्लांट को लगाने में करीब 60 लाख रुपये की लागत आई है. इस प्लांट में 50 किलोग्राम आलू का प्रति घंटे के हिसाब से प्रोसेसिंग का कार्य होगा.

फिरोजाबाद में लगा आलू से चिप्स बनाने वाला प्लांट.
फिरोजाबाद जिले की गिनती प्रमुख रूप से आलू उत्पादक क्षेत्र में होती है. यहां का आलू देश भर की मंडियों में बिकने के लिए जाता है. कभी-कभी आलू पर छाई मंदी के कारण किसानों को अपना आलू फेंकना भी पड़ता है. ऐसे में लंबे समय से इस बात की मांग की जा रही थी कि यहां आलू से चिप्स बनाने वाला एक प्लांट लगाया जाय. लगभग हर चुनाव में यह एक बड़ा मुद्दा भी बनता रहा है. कई जनप्रतिनिधि तो इस मुद्दे पर चुनाव भी जीते हैं.

कांग्रेस नेता राज बब्बर ने तो इस जिले में आलू से चिप्स बनाने वाली फैक्ट्री को लगवाने का वायदा भी किया था और वह सांसद भी बने थे. हालांकि उनकी यह घोषणा परवान नहीं चढ़ सकी. इन सबके बीच अब एक राहत भरी खबर यह है कि फिरोजाबाद के आलू उत्पादक किसानों की सालों पुरानी यह मांग पूरी होने जा रही है. शिकोहाबाद इलाके के एक दिखतौली गांव में सरकार के प्रयास से आलू से चिप्स बनाने वाले एक प्लांट को लगाया जा रहा है.

इसका निर्माण कार्य लगभग अंतिम चरण में है. मशीनें भी लग चुकी हैं. इसकी डिजाइन भी लांच हो चुकी है, जो 'आर्च' के नाम से है. फिलहाल ट्रायल चल रहा है. यह प्लांट अपने आप में अलग है. इसकी वजह यह है कि इसका संचालन ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 650 महिलाओं के समूह द्वारा किया जाएगा. इसकी जो अनुमानित लागत है, वह 60 लाख के करीब आ रही है. सभी महिलाओं की इसमें बराबर की भागीदारी होगी. इस प्लांट की स्थापना में सरकारी सहायता भी ली गई है.

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