फिरोजाबाद : जिले में कोरोना काल और लॉकडाउन की वजह से अब खून के रिश्ते भी बेमानी साबित होने लगे हैं. हालत यह है कि लोग अपनों के अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट तो गये लेकिन उनकी अस्थियों को भूल गये. छारबाग रोड स्थित स्वर्गाश्रम के लॉकर में 360 मृतकों की अस्थियां विसर्जन के इंतजार में हैं. स्वर्गाश्रम कमेटी का कहना है कि जिनके पूर्वजों की अस्थियां लॉकर में रखी हैं, वह इन्हें ले जाकर उनका विसर्जन कराएं.
सैकड़ों अस्थियों को अपनों का इंतजार
शहर के छारबाग स्थित स्वर्गाश्रम के लॉकर में इन दिनों करीब 360 मृतकों की अस्थियां अपनों के ही इंतजार में हैं. इन मृतकों को अपनों का कंधा तो मिला लेकिन अंतिम संस्कार के बाद अपनों ने अस्थियों की सुध नहीं ली. वह काम काज में व्यस्त होकर यह भी भूल गए कि इनकी अस्थियों का विसर्जन भी होना है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक, किसी मृतक की अस्थियों का विसर्जन हिन्दू रीति-रिवाज के हिसाब से त्रयोदशी संस्कार से पहले ही किया जाना चाहिए. लेकिन, कोरोना की मार के चलते लॉकडाउन में तो यह लोग अस्थियों को विसर्जन के लिए गंगा नहीं ले जा सके और बाद में भूल गए. जो लोग इन अस्थियों को ले जाना और उनका विसर्जन करना भूल गए हैं, उनसे स्वर्गाश्रम के संचालकों ने ले जाकर विसर्जन की अपील की है ताकि, पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति हो सके.
स्वर्गाश्रम कमेटी की लोगों से अपील
स्वर्गाश्रम कमेटी ने लोगों से अपील की है कि जो लोग अस्थियों को ले जाना भूल गए हैं, वह ले जाएं और उनको मान्यता के हिसाब से गंगा या फिर यमुना नदी में विसर्जित करें. स्वर्गाश्रम कमेटी के संचालक आलिंद अग्रवाल का कहना है कि जो लोग इनका विसर्जन करने नहीं आते हैं, उनके मृतकों की अस्थियों का विसर्जन स्वर्गाश्रम कमेटी वैदिक रीति-रिवाज के साथ कुछ समय बाद कर देती है.
इसे भी पढ़ें - फिरोजाबाद : गांव के सरकार की बागडोर इस बार पढ़े-लिखे युवाओं के हाथ