ETV Bharat / state

Panamar Holi in Firozabad: फिरोजाबाद में खेली गई डंडा मार होली, कई वर्षों से चली आ रही परंपरा - टूंडला तहसील

फिरोजाबाद (Panamar Holi in Firozabad) के एक गांव में होली के दूसरे दिन पैना (डंडा) मार होली खेली गई. भाभी और देवरों के बीच खेली जाने वाली यह होली पूरे देश में अपनी अलग पहचान रखती है.

Panamar
Panamar
author img

By

Published : Mar 9, 2023, 10:50 PM IST

फिरोजाबादः रंगो के त्यौहार यानी कि होली पर होली खेलने के लिए कई रंग देखने को मिलते हैं. मथुरा के बरसाना में जहां लट्ठमार और बलदेव में कोड़ामार होली होती है तो वहीं बृज की भूमि कहे जाने वाले फिरोजाबाद के एक गांव में होली के दूसरे दिन पैना (डंडा) मार होली खेली गई. यहां महिलाओं ने अपने देवरों पर डंडे बरसाए.

फिरोजाबाद की टूंडला तहसील में क्षेत्र स्थित चुल्हावली गांव में होली के दूसरे दिन यहां पैना (डंडा) मार होली खेली गई. इस मौके पर एक प्रतियोगिता भी हुई. इस प्रतियोगिता में भाभी अपने देवर को जितने अधिक पैना (डंडा) अपने देवर को मारती हैं. वह उतने ही ज्यादा पुरस्कार पाती है. यही नियम पुरुषों पर भी लागू हुआ. जहां पुरुष जितने ज्यादा पैना (डंडा) खाएगा उसको भी उतना अधिक पुरस्कार दिया गया.

चुल्हावली के ग्रामीण बताते हैं कि यह परंपरा सैकड़ों साल पुरानी है. यहां कोड़ामार और लट्ठमार होली की तर्ज पर पैना मार होली आयोजित होती है. पैना प्राचीनकाल में बैलों को हांकने के काम आता था. इस अनूठी परंपरा के तहत देवर भाभी पर रंग डालता है. इसके बदले में भाभियां देवरों पर उपहार स्वरूप पैना बरसाती हैं. प्राचीन परंपरा को जिंदा रखने के लिए तमाम ग्रामीण आज भी पैना खाने के तैयार रहते हैं. इस मौके पर एक प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है.

बता दें कि होली के परंपरा की शुरुआत बृज से ही होती है. जहां पर रंगभरनी एकादशी से इस त्यौहार की शुरुआत हो जाती है. मथुरा,वृंदावन, बरसाना बलदेव आदि स्थानों पर ठाकुरजी, राधारानी और दाऊजी के मंदिरों में विभिन्न प्रकार की होली उत्साव का आयोजन होता है. बरसाने की लट्ठमार और दाऊजी की कोड़ामार होली तो विश्व प्रसिद्ध है. इसी तरह मथुरा से 120 किलोमीटर दूर फिरोजाबाद के चुल्हावली गांव की यह परंपरा भी इसी का एक हिस्सा है.

यह भी पढ़ें- Pollution In Ambedkarnagar:12 से ज्यादा गांव की आबादी प्रदूषण से परेशान, सरकार ने डीएम और सीएमओ से मांगी रिपोर्ट

फिरोजाबादः रंगो के त्यौहार यानी कि होली पर होली खेलने के लिए कई रंग देखने को मिलते हैं. मथुरा के बरसाना में जहां लट्ठमार और बलदेव में कोड़ामार होली होती है तो वहीं बृज की भूमि कहे जाने वाले फिरोजाबाद के एक गांव में होली के दूसरे दिन पैना (डंडा) मार होली खेली गई. यहां महिलाओं ने अपने देवरों पर डंडे बरसाए.

फिरोजाबाद की टूंडला तहसील में क्षेत्र स्थित चुल्हावली गांव में होली के दूसरे दिन यहां पैना (डंडा) मार होली खेली गई. इस मौके पर एक प्रतियोगिता भी हुई. इस प्रतियोगिता में भाभी अपने देवर को जितने अधिक पैना (डंडा) अपने देवर को मारती हैं. वह उतने ही ज्यादा पुरस्कार पाती है. यही नियम पुरुषों पर भी लागू हुआ. जहां पुरुष जितने ज्यादा पैना (डंडा) खाएगा उसको भी उतना अधिक पुरस्कार दिया गया.

चुल्हावली के ग्रामीण बताते हैं कि यह परंपरा सैकड़ों साल पुरानी है. यहां कोड़ामार और लट्ठमार होली की तर्ज पर पैना मार होली आयोजित होती है. पैना प्राचीनकाल में बैलों को हांकने के काम आता था. इस अनूठी परंपरा के तहत देवर भाभी पर रंग डालता है. इसके बदले में भाभियां देवरों पर उपहार स्वरूप पैना बरसाती हैं. प्राचीन परंपरा को जिंदा रखने के लिए तमाम ग्रामीण आज भी पैना खाने के तैयार रहते हैं. इस मौके पर एक प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है.

बता दें कि होली के परंपरा की शुरुआत बृज से ही होती है. जहां पर रंगभरनी एकादशी से इस त्यौहार की शुरुआत हो जाती है. मथुरा,वृंदावन, बरसाना बलदेव आदि स्थानों पर ठाकुरजी, राधारानी और दाऊजी के मंदिरों में विभिन्न प्रकार की होली उत्साव का आयोजन होता है. बरसाने की लट्ठमार और दाऊजी की कोड़ामार होली तो विश्व प्रसिद्ध है. इसी तरह मथुरा से 120 किलोमीटर दूर फिरोजाबाद के चुल्हावली गांव की यह परंपरा भी इसी का एक हिस्सा है.

यह भी पढ़ें- Pollution In Ambedkarnagar:12 से ज्यादा गांव की आबादी प्रदूषण से परेशान, सरकार ने डीएम और सीएमओ से मांगी रिपोर्ट

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.