फिरोजाबाद: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के बाद ग्रामीण इलाकों में गांव की सरकार भले ही बदल गई हो, लेकिन ग्रामीण इलाकों में कोई विकास नहीं हो पाया है जो समस्याएं पहले थी. वह आज भी बनी हुई है. ग्रामीणों ने सपना देखा था कि निजाम बदलेगा तो सूरत भी बदलेगी, लेकिन कुछ नहीं बदला और हालत पहले से भी ज्यादा खराब हो गए.
यूपी में इसी साल अप्रैल के महीने में पंचायत चुनाव हुए थे. ग्रामीणों ने अपनी सरकार भी बनवा ली. ज्यादातर गांवों में बदलाव की बयार चली. जहां के ग्राम प्रधानों ने अच्छा काम नहीं किया था. वहां के लोगों ने ऐसे ग्राम प्रधानों को बदल दिया. नए प्रधान जब जीतकर आये तो ग्रामीणों को उम्मीद थी कि कुछ नया होगा. विकास का पहिया तेजी से घूमेगा और उनके गांव की सूरत बदलेगी, लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया. निजाम तो बदला लेकिन विकास का कोई पता नहीं.
नए प्रधान बनने के बाद ग्राम पंचायतों में कितना विकास हुआ है. इसे जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम विकास खंड हाथवन्त की ग्राम पंचायत भामई पहुंची. जहां विकास के दावों की हकीकत विपरित थी. गांव की गलियां कीचड़ से भरी थी. जल निकासी का कोई इंतजाम नहीं था. जो हालत 2 साल पहले थे. उसमें किसी तरह का कोई बदलाव नहीं हुआ. कीचड़ की वजह से लोगों को रास्ते से निकलने में डर लगता है. ग्रामीणों के मुताबिक उन्होंने कई बार इसकी शिकायत अधिकारियों को की, लेकिन उनकी तरफ से किसी समस्या के ऊपर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
जिला पंचायत राज अधिकारी ने बताया कि जिले में 564 ग्राम पंचायतें है. जिनमें से 561 ग्राम प्रधानों के डोंगल एक्टिवेट कर दिए गए हैं. सभी को धनराशि भी जारी कर दी गयी है, लेकिन पहली प्राथमिकता पंचायत घरों का निर्माण है. इनका निर्माण पूरा होने के बाद नालियों, गाली और खड़ंजों के निर्माण पर जोर दिया जाएगा.
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