फिरोजाबाद: जिले में एक क्रूर पिता ने अपनी साढ़े चार साल की दिव्यांग बेटी को तालाब में फेंककर हत्या कर दी. दरअसल, बेटी दिव्यांग थी. इसलिए, पिता उसे बोझ समझता था. इधर, आरोपी की पत्नी भी उसे छोड़कर अपने जीजा के साथ चली गई थी. पुलिस ने गुरुवार को आरोपी को गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद जेल भेज दिया गया.
बच्ची को जिंदा तालाब में दिया था फेंक: एसपी देहात कुंवर रण विजय सिंह ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि कल 25 अक्टूबर को शिकोहाबाद थाना क्षेत्र के मोहल्ला लक्ष्मी नगर बोझिया हाईवे के पास एक तालाब में 4-5 साल की बच्ची का एक शव बरामद हुआ था. जो तीन से चार दिन पुराना लग रहा था. इसकी उस वक्त शिनाख्त नहीं हो पा रही थी. काफी प्रयासों के बाद बच्ची की पहचान हुई, जोकि बोझिया मोहल्ले की ही रहने वाली थी.
घर में गंदगी और दिव्यांगता से था परेशान: पहचान होने के बाद पुलिस ने जब पिता विजेंद्र से पूछताछ की तो जो कहानी निकल कर आई, वह काफी चौंकाने वाली और दर्दनाक थी. विजेंद्र ने पुलिस को बताया कि उसकी बेटी दिव्यांग थी. वह अपना कोई भी काम खुद से नहीं कर पाती थी. बल्कि घर में शौच आदि करके गंदगी फैलाती थी. इससे वह तंग आ गया था. इस पर वह गांव में खाली पड़े प्लाट में भरे पानी में बच्ची को फेंक दिया. इसके बाद विजेंद्र ने घर आकर अपनी मां को बताया कि वह बेटी को अनाथालय में छोड़ आया है.
अनाथालय छोड़ने की जगह फेंक दिया तालाब में: इसके बाद विजेंद्र अपने घर से चला गया. जब पुलिस को बच्ची की लाश मिली, तब इस घटना का खुलासा हुआ. विजेंद्र ने पूछताछ में बताया कि 10 साल पहले उसकी लव मैरिज खेरी गांव की रेखा से हुई थी. शादी के बाद दोनों के एक बेटा और एक बेटी हुई. बेटी दिव्यांग थी. 4 साल पहले लॉकडाउन में पत्नी रेखा दोनों बच्चों को लेकर अपने जीजा के साथ घर छोड़कर चली गई थी. बच्ची दिव्यांग थी, जिस कारण रेखा 10 अक्टूबर को बच्ची को मैनपुरी चौराहे पर एक मंदिर में छोड़कर चली गई थी.
पत्नी के छोड़कर चले जाने से था परेशान: बच्ची के कपड़ों की जेब में उसने पिता बिजेंद्र का मोबाइल नंबर लिखकर डाल दिया था. स्थानीय लोगों की सूचना पर पहुंची पुलिस ने नंबर के सहारे तलाश कर बच्ची को पिता विजेंद्र और उसकी मां फूलन देवी को सौंप दिया था. इसके बाद 15 दिन तक विजेंद्र ने बच्ची की देखभाल की. लेकिन, उसकी दिव्यांगता से वह परेशान हो गया था. वहीं, पत्नी भी छोड़कर चली गई थी. इस कारण वह मानसिक तौर पर भी परेशान था. इस सबके कारण उसने बच्ची को जिंदा ही तालाब में फेंक दिया था.