फिरोजाबादः जालसाजी के आरोप में फंसे एक शिक्षा मित्र को फिरोजाबाद की अदालत ने चार साल के कारावास की सजा सुनाई है. कोर्ट ने आरोपी पर तीस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है, जिसे न देने पर उसे तीन माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ेगी. शिक्षामित्र के खिलाफ केस दर्ज हुआ था कि उसने शिक्षा मित्र का वेतन भी लिया और डीपीएड की नियमित पढ़ाई भी की. कोर्ट ने टिप्पणी भी की शिक्षक समाज का पथप्रदर्शक होता है ऐसे में उसके द्वारा अपराध किया जाना समाज विरोधी होता है बल्कि इससे आने वाली पीढ़ियों के लिए भी संदेश गलत जाता है.
थाना जसराना के गांव कल्हारी निवासी सत्यनारायण पुत्र राजेंद्र शिक्षामित्र है. शिक्षामित्र रहते हुए उसने डीपीडी की ट्रेनिंग की. इस दौरान उसने शिक्षा मित्र का मानदेय भी प्राप्त किया. उसके खिलाफ एबीएसए सुबोध पाठक ने धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया था. पुलिस ने विवेचना के बाद न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया. मुकदमा अपर मुख्य न्यायाधीश मजिस्ट्रेट सुब्रत पाठक की अदालत में चला.
एपीओ सत्य प्रकाश मिश्रा ने बताया कि मुकदमे के दौरान कई गवाहों ने गवाही दी. कई साक्ष्य न्यायालय के सामने प्रस्तुत किए गए.गवाहों की गवाही तथा साक्ष्यों के आधार पर न्यायालय ने सत्यनारायण को दोषी करार दिया. न्यायालय ने उसे 4 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है.कोर्ट ने उस पर 30 हजार रुपये का अर्थ दंड भी लगाया है.अर्थ दंड न देने पर उसे 3 माह के अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी.एपीओ ने बताया कि न्यायालय ने निर्णय में लिखा है शिक्षक पद पर भर्ती हुए व्यक्ति से ऐसे कृत्य की अपेक्षा नहीं की जा सकती, जो समाज का पक्ष प्रदर्शक है उसी के द्वारा जघन्य अपराध कारित किया जाना न केवल समाज विरोधी है अपितु इससे आने वाली पीढ़ियों के लिए गलत संदेश जाता है.
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