फिरोजाबाद: कच्चे सामान के भाव में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी के चलते फिरोजाबाद की ग्लास इंडस्ट्रीज की हालत इन दिनों बेहद खराब है. कारखानेदारों की मानें तो इन दिनों इंडस्ट्री को चला पाना घाटे की सौदा हो गया है. जो कच्चा सामान ग्लास के आइटम्स बनाने में प्रयुक्त होता है, उसकी कीमतें दो गुने से भी अधिक हो गई हैं. लेकिन, तैयार सामान की कीमत न बढ़ने के कारण इंडस्ट्रीज को लगातार घाटा हो रहा है. कई कारखाने तो बंदी के कगार पर पहुंच गए हैं.
फिरोजाबाद को पूरी दुनिया में कांच की नगरी और चूड़ियों के शहर के नाम से जाना जाता है. यहां चूड़ी और ग्लास के एक्सपोर्टेबल आइटम बनाने वाले कुल चार सौ के आसपास कारखाने चलते हैं. इनसे चार लाख मजदूरों को रोजी-रोटी भी मिलती है. यहां की चूड़ियां पूरे देश में बिकती हैं. एक्सपोर्टेबल आइटम्स पूरी दुनिया में बिकते हैं. खासकर यूरोपियन देशों में फिरोजाबाद के सामान की ज्यादा डिमांड रहती है. फिरोजाबाद से पांच सौ करोड़ का प्रत्यक्ष और 25 सौ करोड़ का अप्रत्यक्ष निर्यात होता है. यहां बनने वाले हर आइटम में सोडा एस नामक केमिकल प्रयुक्त होता है और यहां की इंडस्ट्रीज नेचुरल गैस से चलती है.
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कांच कारोबारी मुकेश बंसल टोनी का कहना है कि पिछले तीन चार महीने में कच्चे माल की कीमतों में बेहद उछाल आया है. यह उछाल रूस और यूक्रेन के युद्ध के बाद से ही आया है. नेचुरल गैस की कीमत जो पहले 16 रुपये घनमीटर हुआ करती थी, वह इस समय 36 रुपये प्रति घन मीटर हो गई है. मुकेश बंसल टोनी के मुताबिक, सोडा एस केमिकल की कीमत 23 रुपये से बढ़कर 48 और कागज की कीमत 21 रुपये से बढ़कर 40 रुपये हो गई है. उन्होंने बताया कि तैयार माल पर लागत तो बढ़ी है, लेकिन सामान की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं. उन्होंने बताया कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद यूरोपियन देशों में इन आइटम्स की डिमांड घटी है, इसलिए इंडस्ट्रीज चलाना घाटे का सौदा हो रहा है.
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