फिरोजाबाद : कम जमीन से ज्यादा पैदावार लेने के चक्कर में किसान खुद की जमीन को बंजर बनाते जा रहे है. जमीन की हालत काफी खराब है. यदि लोग इस स्थिती को लेकर गंभीर नहीं हुए तो आने वाले समय मे हालत और भी ज्यादा खराब हो जाएंगे. फसलों की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए किसान जिस कदर रासायनिक खादों का अंधाधुंध इस्तेमाल कर रहें है. उससे जमीन में जीवाश्म कार्बन की मात्रा कम होती जा रही है जो भविष्य के लिए खतरे की घंटी है. वैसे यह समस्या किसी एक जिले या फिर क्षेत्र विशेष की नहीं बल्कि पूरे प्रदेश की हैं लेकिन फिरोजाबाद जिले के जो आंकड़े हैं, वह काफी डरावने हैं.
एक्सपर्ट के मुताबिक उपजाऊ जमीन के अंदर जीवाश्म कार्बन की मात्रा 0.8 से लेकर 01 प्रतिशत तक होनी चाहिए लेकिन बीते कुछ सालों में यह मात्रा तेजी से गिरी है. जिला कृषि ज्ञान और विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक ओमकार सिंह यादव के मुताबिक मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में जब मिट्टी की जांच करायी गयी तो नए आंकड़ों में मिट्टी में जीवाश्म कार्बन की मात्रा महज 0.2 फीसदी ही पायी गई. यह बेहद कम है. उपजाऊ जमीन के लिए स्थिती खतरे की घंटी है. एग्रीकल्चर एक्सपर्ट ओमकार यादव के मुताबिक जिस जमीन में जीवाश्म कार्बन की मात्रा घटकर शून्य फीसदी है. यानी की वह जमीन बंजर हो चुकी है. उसमें कोई भी फसल पैदा नही हो सकती.
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जिला कृषि अधिकारी रविकांत ने बताया कि यह हालत इसलिए पैदा हो रहे है क्योंकि फसल चाहे आलू ही हो, गेहूं की हो या फिर कोई अन्य, सभी फसलों में ज्यादा उपज के लिए किसान खतरनाक रासायनिक खादों का फसलों पर अंधाधुंध प्रयोग कर रहे है. इन खादों के इस्तेमाल से कम जमीन में ज्यादा उत्पादन तो लिया जा सकता है लेकिन लंबे समय तक ऐसी खाद खेतों की सेहत बिगाड़ सकती है. इसलिए हम किसानों को सलाह देते है कि किसान ज्यादा से ज्यादा मात्रा में जैविक खाद, गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट और केंचुए की खाद का इस्तेमाल करें. खेत मे ढेंचा की फसल जरूर उगायें और संभव हो तो एक दलहनी फसल जरूर उगाएं.
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